शरणागति का महत्त्व !

आनंद रामायण में वर्णन है कि अर्जुन के रथ पर हनुमान के विराजित होने के पीछे भी एक कारण है । एक बार रामेश्‍वरम् तीर्थ में अर्जुन का हनुमानजी से मिलन हो जाता है । इस पहली भेंट में हनुमानजी से अर्जुन ने कहा, ‘अरे राम और रावण के युद्घ के समय तो आप थे ?’ Read more »

अर्जुन का भाव !

अर्जुन भगवान श्रीकृष्‍ण के निस्‍सिम भक्‍त थे । महाभारत युद्ध के बाद भगवान् श्रीकृष्‍ण और अर्जुन द्वारिका जा रहे थे, तबरथ अर्जुन चलाकर ले गए । द्वारका पहुंचकर अर्जुन बहुत थक गए थे, इसलिए विश्राम करने अतिथि भवन में चले गए । रुक्‍मिणीजी ने श्रीकृष्‍णजी को भोजन परोसा । तब वे बोले, अर्जुन हमारे अतिथि हैं, जब तक वह भोजन नहीं करते, तब तक मैं अर्जुन के बिना भोजन कैसे कर सकता हूं ? Read more »

श्री विष्‍णु का हयग्रीव अवतार !

हयग्रीव नाम का एक महापराक्रमी दैत्‍य था । उसका सिर घोडे के समान था । उसने सरस्‍वती नदी के तट पर जाकर भगवती महामाया को प्रसन्‍न करने के लिएकठोर तपस्‍या की । वह बहुत दिनों तक बिना कुछ खाए भगवती के एकाक्षर बीजमंत्र का जाप करता रहा । Read more »

भक्‍त अर्जुन

महाभारत काल में महाभारत के भयंकर युद्ध से पहले योगेश्‍वर भगवान श्रीकृष्‍णजी ने कौरव और पांडवों को वचन दिया था कि ‘युद्ध से पहले जो याचक बनकर मेरे पास आएगा, वह जो मांगेगा, उसे मैं अवश्‍य दूंगा ।’ Read more »

मूषक अर्थात चूहा श्री गणेशजी का वाहन कैसे बना ?

श्रीगणेशजी का गजमुखासुर दैत्‍य से भयंकर युद्ध हुआ । युद्ध में श्रीगणेशजी का एक दांत टूट गया । तब क्रोधित होकर श्रीगणेशजी ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर प्रहार किया । तब वह दैत्‍य घबराकर मूषक अर्थात चूहा बनकर भागने लगा; परंतु गणेशजी ने उसे पकड लिया । मृत्‍यु के भय से वह क्षमायाचना करने लगा । तब श्रीगणेशजी ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया । Read more »

कालिया मर्दन !

आप सबको कालिया मर्दन की कहानी पता है न ? नागपंचमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्‍णजी ने कालिया मर्दन किया था और कालिया के पूरे परिवार को रमणिक द्वीप भेज दिया था । आज हम कालिया मर्दन की कहानी सुनेंगे । Read more »

दैवी गंगा नदी !

सगर के प्रपौत्र (नाती) राजा अंशुमन ने सगरपुत्रों की मृत्‍यु का कारण खोजा एवं उनके उद्धार का मार्ग पूछा । कपिलमुनि ने अंशुमन से कहा, ‘‘गंगाजी को स्‍वर्ग से भूतल पर लाना होगा । सगरपुत्रों की अस्‍थियों पर जब गंगाजल प्रवाहित होगा, तभी उनका उद्धार होगा !’’ मुनिवर के बताए अनुसार गंगा को पृथ्‍वी पर लाने हेतु अंशुमन ने तप आरंभ किया ।’ Read more »

भस्‍मासुर का अंत !

प्राचीन काल में भस्‍मासुर नाम का एक राक्षस था । उसको पूरे विश्‍व पर राज करना था । अपनी यह मनोकामना पूर्ण होने हेतु उसने भगवान शिवजी की कठोर तपस्‍या की । उसकी अनेक वर्षों की दिन-रात की कठोर तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर भगवान भोलेनाथ भस्‍मासुर के सामने प्रकट हो गए । Read more »

सत्‍संग का महत्त्व !

एक बार देवर्षि नारदजी वैकुंठलोक में भगवान श्री विष्‍णुजी के दर्शन करने के लिए पहुंचे । वहां उन्‍होंने भगवान को भावपूर्ण नमस्‍कार किया और बोले, ‘हे प्रभो, कृपया मुझे सत्‍संग का महत्त्व बताइए । Read more »

महाबली हनुमान द्वारा भीम का गर्व-हरण

मित्रो यह कहानी महाभारत काल की है । पांडवों में भीम सबसे अधिक शक्‍तिशाली थे । उन्‍हें अपनी इस शक्‍ति का घमंड हो गया था । उन्‍हें लगता था कि पूरे संसार में उनके जैसा शक्‍तिशाली कोई नहीं है । उनके घमंड को दूर करने के लिए भगवान ने एक बहुत अच्‍छी लीला की । Read more »