रामसेतु बनाने की सेवा में गिलहरी का योगदान

समुद्र तट के पास ही रेत का ढेर था, गिलहरी उस रेत के ढेरपर जाती और वहां से अपने छोटे-छोटे हाथों और पूंछ में छोटे पत्‍थर एवं रेत लेकर सागर में डालती जा रही थी । जितनी उसकी क्षमता थी उसका वह पूरा उपयोग कर श्रीराम कार्य में लग गई । Read more »

प्रभु ‘श्रीराम’ का नाम लिखे पत्‍थरों का पानी पर तैरना

जिन पत्‍थरों पर श्रीराम लिखा था वह तो तैर गए और प्रभु श्रीरामने जो पत्‍थर पानी में छोडा उसपर श्रीरामका नाम न होने से वह डूब गया । प्रभु श्रीराम से भी बडा उनका नाम है; क्‍योंकि हमारे सामने श्रीरामजी उपस्‍थित न हों; परंतु उनका नाम भक्‍तों को तारता है । Read more »

रामराज्य में शिक्षा कैसी थी ?

श्रीराम ने स्वतंत्र शिक्षा देकर घरघर में श्रीराम निर्मित किए थे ! रामराज्य में आर्थिक योजनाओें के साथ ही उच्च कोटिका राष्ट्रीय चरित्र भी निर्मित किया जाता था । उस समय के लोग निर्लाेभी, सत्यवादी, सरल, आस्तिक एवं परिश्रमी थे । आलसी नहीं थे । Read more »

रामराज्य में शिक्षा कैसे प्रदान की जाती थी ?

रामराज्यमें आर्थिक योजनाके साथ ही उच्च राष्ट्रीय चरित्रका निर्माण किया गया था । तत्कालिन लोक निर्लाेभी, सत्यवादी, अलंपट, आाqस्तक और सक्रिय थे; क्रियाशून्य नहीं थे । जब बेकारभत्ता मिलता है तब मनुष्य क्रियाशून्य बनता है । तत्कालिन लोग स्वतन्त्र थे; कारण शिक्षा स्वतन्त्र थी । Read more »

व्यवहार में रहकर भी रखना चाहिए अनुसंधान ईश्वर से !

हम व्यवहार में कार्य करते समय इसका अभिनय हमें उत्तम रूप से निभाना चाहिए । परंतु वे भावनाओं को भीतर मन के भीतर ईश्वर से अनुसंधान रखना चाहिए और बाहर प्रपंच का अपना कर्तव्य निभाना चाहिए । प्रस्तुत कथा से यह हम देखेंगे । Read more »

राम नहीं, तो मोतियों की माला भी मिट्टी के मोल की !

हनुमानजी प्रभू श्रीरामचंद्र के परमभक्त थे । उन्हे हर वस्तु एवं व्यक्ती में श्रीराम का रूप ढूंढते थे । एेसी ही उनकी एक कथा हम देखेंगे । Read more »

दुष्ट वालिका वध

अपनी प्रजा के लिए अपनी पत्नी का भी त्याग करनेवाले प्रभु श्रीराम ने वाली का वधकर सुग्रीव को उसका राज्य किस प्रकार प्राप्त करवाया था, यह आज हम देखेंगे । Read more »

भगवान शिव का वाहन – ‘नंदी’ की उत्पत्ती कथा !

मित्रो, शिवजी का वाहन नंदी पुरुषार्थ अर्थात परिश्रम का प्रतीक है। आइए इस कथा से हम देखेंगे की नंदी शिवजी का वाहन कैसे बना । Read more »

जब माता शबरी ने भगवान श्रीराम को खि‍लाए जूठे बेर . . .

शबरी ने बेरों को चखना आरंभ कर दिया । अच्छे और मीठे बेर वह बिना किसी संकोच के श्रीराम को देने लगी । श्रीराम उसकी सरलता पर मुग्ध थे । उन्होंने बडे प्रेम से जूठे बेर खाए । Read more »