लंकादहन !

हनुमानजी माता सीता से लंका में अशोकवाटीका में छोटा रूप धारण कर मिले तथा सीता माता की आज्ञा से अपनी भूख मिटाने के लिए वाटिका से फल तोडकर खाने लगे । तब वहां पर पहरा दे रहे राक्षसोंने हनुमानजी को देखा और उन्‍हें साधारण वानर समझकर उन्‍हें मारने के लिए दौड पडे; परंतु हनुमानजी ने अपनी शक्‍ति का प्रयोग कर राक्षसों पर आक्रमण किया । Read more »

शरणागति का महत्त्व !

आनंद रामायण में वर्णन है कि अर्जुन के रथ पर हनुमान के विराजित होने के पीछे भी एक कारण है । एक बार रामेश्‍वरम् तीर्थ में अर्जुन का हनुमानजी से मिलन हो जाता है । इस पहली भेंट में हनुमानजी से अर्जुन ने कहा, ‘अरे राम और रावण के युद्घ के समय तो आप थे ?’ Read more »

महाबली हनुमान द्वारा भीम का गर्व-हरण

मित्रो यह कहानी महाभारत काल की है । पांडवों में भीम सबसे अधिक शक्‍तिशाली थे । उन्‍हें अपनी इस शक्‍ति का घमंड हो गया था । उन्‍हें लगता था कि पूरे संसार में उनके जैसा शक्‍तिशाली कोई नहीं है । उनके घमंड को दूर करने के लिए भगवान ने एक बहुत अच्‍छी लीला की । Read more »

राम नहीं, तो मोतियों की माला भी मिट्टी के मोल की !

हनुमानजी प्रभू श्रीरामचंद्र के परमभक्त थे । उन्हे हर वस्तु एवं व्यक्ती में श्रीराम का रूप ढूंढते थे । एेसी ही उनकी एक कथा हम देखेंगे । Read more »