बाजीप्रभू देशपांडे

बाजीप्रभु देशपांडे स्वयं पराक्रमी योद्धा थे; साथ ही वे त्यागी, स्वामीनिष्ठ, तत्त्वनिष्ठ एवं किसी भी प्रलोभन के वश में आनेवाले नहीं थे । पचास वर्ष की आयु में बिना थके हुए, दिनके २०-२२ घंटा काम करनेवाले बाजी का संपूर्ण मावल प्रांत में प्रभाव था । Read more »

गुरु गोविंद सिंह – संतों के क्षात्रधर्म का उत्तम उदाहरण !

गुरु गोविंद सिंहजी सदा-सर्वदा ऐसे विचार करनेवाले थे । उनकी माता का नाम गुजरी एवं पिताजी का नाम गुरु तेगबहादुर सिंहजी था । गुरु गोविंद सिंहजी ने जीवनभर क्षात्रधर्म साधना की । Read more »

२६ जनवरी : गुणवत्तापूर्ण प्रजातंत्र के लिए . . .

नागरिकोंको जन्मसे ही मूलभूत (आधारभूत) अधिकार प्रदान किए गए हैं । मूलभूत अधिकारोंमें भाषण, संचार, शिक्षा, प्रचार एवं स्वतंत्रता आदि अधिकार आते हैं। Read more »

४० सहस्र भारतीय स्त्री-पुरुषों के सहयोग से स्थापित ‘आजाद हिंद सेना’ !

अंग्रेजों के विरोध में लडने हेतु नेताजी सुभाषचंद्र बोसद्वारा ४० सहस्र भारतीय स्त्री-पुरुषों के सहयोग से ‘आजाद हिंद सेना’की स्थापना की गई थी । ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ ऐसा आवाहन किया गया था । Read more »

श्री माणिक प्रभू

श्री माणिक प्रभू का जन्म निजामशाही के बसव कल्याण के निकट लाडवंती नामक छोटे से गांव में हुआ था । उनका संपूर्ण जीवन विलक्षण चमत्कारों से भरा हुआ दिखाई देता है । Read more »

‘श्रीरामचरितमानस’ के रचियता संत गोस्वामी तुलसीदास

गोस्वामीजी की महानता तथा उनके काव्य के मर्म को समझकर उनका आंकलन करना अत्यंत दुष्कर है; काकभुशुंडीजी श्रीरघुनाथजी के रहस्य (गोस्वामीजी के काव्य के वर्ण्य- विषय) के विषय में बताते हुए कहते हैं । Read more »

संत ज्ञानेश्वरजी

संत ज्ञानेश्वर अर्थात महाराष्ट्रके एक अमूल्य रत्न ! महाराष्ट्रके सांस्कृतिक जीवनमें, परमार्थके क्षेत्रमें ‘न भूतो न भविष्यति’की तरह बेजोड व्यक्तित्व एवं असाधारण जीवनवृत्त अर्थात संत ज्ञानेश्वर ! Read more »

श्री नृसिंह सरस्वती (खिस्ताब्द १३७८ से १४५८)

श्री नृसिंह सरस्वती श्री दत्तात्रेय के दूसरे अवतार थे एवं श्रीपाद श्रीवल्लभ पहले अवतार । उन्होंने ही करंजनगर नामक गांव में जन्म लिया । Read more »

गोंदवलेकर महाराज

किसी भी परिस्थिति में राम का स्मरण रखना तथा उनकी इच्छा से गृहस्थी में स्थित सुख-दुख भोगने हैं, यह गोंदवलेकर महाराजजी के उपदेश का सारांश है । Read more »

`हिंमत साहस है तो मुझपर गोली चलाओ – शिरीषकुमार

गुजराती थी मातृभाषा हो बोलनेवाले शिरीषने पदयात्रा में घोषणाएं देना आरंभ किया, ‘नहीं नमशे, नहीं नमशे’, ‘निशाण भूमी भारतनु’ । भारत माता का जयघोष करते हुए यह यात्रा गांव से जा रही थे । Read more »