सांस्कृतिक और राष्ट्रीय अभिमान बढानेवाली रुचियां रखें !

बच्चो, डाक टिकट अथवा विविध देशों के पत्रमुद्रा (नोट) संग्रह करना, दूरदर्शनपर मनोरंजन के कार्यक्रम देखना, क्रिकेट का खेल खेलना एवं देखना, ‘वीडिओ गेम’ खेलना आदि रुचि रखने के स्थानपर आगे दिए अनुसार रुचि रखें.. Read more »

‘हैरी पॉटर’ नही, अपितु हिंदु राजाओं, राष्ट्रपुरुषों एवं क्रांतिकारियों की जीवनी की कथाएं पढें !

बच्चो, ‘हैरी पॉटर’ एक काल्पनिक कथा है जिसका वास्तविकतासे कोई संबंध नहीं है । क्या यह काल्पनिक कथा कभी भी वास्तविक बन पाएगी ? ऐसेमें जो असत्य है (उदा. हैरी पॉटर, टार्जन, अरेबियन नाईटस् आदि कथाएं) उन्हें पढनेमें समय व्यर्थ क्यों गंवाएं ? विदेशी संस्कृतिके साहित्यमें डूबकर हिंदु संस्कृतिकी अनमोल धरोहरको क्यों भुलाएं ? Read more »

संतोंकी जीवनी पढें एवं भारत देशके आदर्श नागरिक बनें !

बच्चो, ‘हैरी पॉटर’ एक काल्पनिक कथा है जिसका वास्तविकतासे कोई संबंध नहीं है । क्या यह काल्पनिक कथा कभी भी वास्तविक बन पाएगी ? ऐसेमें जो असत्य है उन्हें पढनेमें समय व्यर्थ क्यों गंवाएं ? Read more »

जीवन आदर्श बनाने के लिए योग्य आदर्श चुने !

राष्ट्रद्रोह करनेवालों को अपना आदर्श मानना, उनके राष्ट्रद्रोही कृत्यों का समर्थन करने समान है । इसिलिए हमे भक्त प्रहलाद, बालक ध्रुव, संत ज्ञानेश्वर आदि थोर विभूतीयों का आदर्श रखकर आचरण करना चाहिए । Read more »

अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम बढाने के लिए यह करें !

बच्चो, परिवार का एक सदस्य होने के नाते आप छोटे-मोटे कार्य करते हैं । उसी प्रकार आप जिस देश में रहते हैं, उस देश के प्रति भी आपके कुछ कर्तव्य होते हैं । इन कर्तव्यों को पूर्ण करना हो तो (साकार करना हो तो), सर्वप्रथम राष्ट्राभिमान जागृत करना चाहिएं । Read more »

भारत माता की रक्षा के लिए विद्यार्थी बंधुओं स्वयं को सिद्ध करें !

आज हमारे भारत देश में हो रहे अनुचित प्रकार एवं घटनाआे का हमें अंतर्मुख होकर विचार करने की आवश्यकता है । इसी विषय को लेकर प्रस्तुत यह लेख… Read more »

माता-पिता की सेवा मनःपूर्वक करें !

माता-पिता एवं घर के सभी बडे व्यक्तियों को झुककर अर्थात उनके चरण छूकर प्रणाम करना चाहिए ।‘मातृदेवो भव । पितृदेवो भव ।’ अर्थात् ‘माता-पिता ईश्वर के समान हैं ।’ यह हमारी महान हिंदू संस्कृति की शिक्षा है । Read more »

स्वयं में ‘मितव्ययी’ इस गुण की वृद्धी करें !

भगवानजी की कृपा से मनुष्य को अनेक सुविधाएं उपलब्ध हुई हैं । इन सुविधाओं का अपव्यय टालकर, आवश्यकतानुसार उपयोग करना, इसीको ‘मितव्ययी’
कहते है । Read more »