संतोंकी जीवनी पढें एवं भारत देशके आदर्श नागरिक बनें !

हिंदुस्थान संतोंकी भूमि है । संत ज्ञानेश्वर, समर्थ रामदासस्वामी, संत तुलसीदास, संत कबीर, मीराबाई, रामकृष्ण परमहंस संत जनाबाई, संत चोखामेळा, संत एकनाथ, संत नामदेव, संत तुकाराम, आदि अनेक संत हिंदुस्थानमें हुए हैं । ऐसे संतोके चरित्र पढनेसे क्या लाभ होता है ये आगे के लेखमें देखें ।

संतोंकी जीवनी पढनेके लाभ !

अ. संतोंकी जीवनीसे आदर्श निर्माण होना : वर्तमानमें समाजके सामने उपयुक्त आदर्श नहीं हैं । इस कारण समाज दिशाहीन हो गया है । समाजके समक्ष यह प्रश्न है,‘हम किसकाअनुकरण करें ?’ कुछ लोग लेखक, संगीतकार, गायक इन्हें आदर्श मानते है, तो कुछ लोग शिक्षणक्षेत्रसे संबंधित व्यक्ति, उद्योगपतिको अपना आदर्श मानते हैं । छोटे बच्चे तो अभिनेता, खिलाडी इनोको आदर्श मानकर उनके जैसा आचरण करनेका प्रयत्न करते हैं । परंतु संतोंकी जीवनीसे सभीको उचित आदर्श मिलते हैं । संतोंकी जीवनी पढकर यह भी समझमें आता है कि, उनका अनुकरण कैसे करना चाहिए ।

संतोंकी शिक्षा पढकर पाठकोंका अच्छे मार्गकी ओर प्रवृत्त होना संतोंने समय-समयपर समाजको उचित दिशा देकर अच्छे मार्गकी ओर प्रवृत्त किया है । ऐसे उदाहरणोंको पढकर हम भी अच्छा मार्ग अपनाते हैं, उदा. संत ज्ञानेश्वर महाराजजीने भैंसेके मुखसे वेद कहलवाकर यह सिखाया है कि, ‘सभी प्राणियोंमें ईश्वर हैं, अतः सभीसे प्रेम करना चाहिए ।’ विठ्ठलभक्तिमें सदा रत रहनेवाले संत तुकारामजीने सीख दी, ‘सुख-दुःखके प्रसंगमें निरंतर भगवानका स्मरण करना चाहिए ।’

आ. संतोंकी जीवनीका अध्ययन करनेसे ईश्वरपर विश्वास बढना तथा जीवन आनंदमय होना ! : संतोंकी जीवनीका अध्ययन करनेसे ईश्वरपर हमारी श्रद्धा बढती है । संतोंकी जीवनी एवं संतोंके विचारोंके अध्ययन करनेसे जीवनमें ईश्वरकी उपासना करनेका महत्त्व समझमें आता है । ईश्वरकी उपासना करनेसे हमारे सद्गुणोंमें वृदि्ध होती है एवं जीवन आनंदमय बनता है ।

बच्चो, संतोंने साधना एवं गुरुसेवा किस प्रकार की, यह पढें तथा आप भी वैसाही आचरण करके भारत देशके आदर्श नागरिक बनें !

इसकी आपेक्षा संतजीवनी एवं उनके उपदेश किए हुए विचारोंको अध्ययन करने से ईश्वरकी उपासना करनेका महत्त्व समझमें आता है । ईश्वरकी उपासना करने से हमारे सद्गुण बढते है एवं जीवन आनंदमय बनता है । राष्ट्रपुरूषो एवं क्रांतिकारियोंकी जीवनीका अध्ययन करने से धर्म एवं राष्ट्रके प्रति अभिमान बढता है अत: हमारे हाथोंसे धर्म एवं राष्ट्रका कार्य होता है !

संतलिखित ग्रंथ भी पढें !

संत जीवनियोंके साथ संतलिखित ग्रंथ भी पढें । संतलिखित ग्रंथोंमें ईश्वरीय चैतन्य होता है इसलिए उसे पढनेसे ज्ञानके साथ ही उस चैतन्यका भी लाभ हमें होता है ।

संदर्भ : सनातन निर्मित ग्रंथ ‘ सुसंस्कार एवं उत्तम व्यवहार’