समय का व्यवस्थापन कर अपनी कार्यक्षमता बढाएं !

समय का व्यवस्थापन, अर्थात स्वयं का व्यवस्थापन । इससे आपकी कार्यक्षमता बढती है ! समय की योजना बनाते समय आगे निम्नांकित बातोंपर ध्यान देना चाहिए । Read more »

नियोजन कुशलता सीखें एवं अपना जीवन आनंदमय बनाएं !

‘नियोजन का महत्त्व समझने हेतु उदाहरण के रूप में हम श्याम एवं राम के अनुक्रम से नियोजन का अभाव तथा सुयोग्य नियोजन के कारण उसका परिणाम क्या हुआ, यह देखेंगे । Read more »

पश्चिमी नहीं, हिंदू संस्कृति अनुसार आचरण करें !

प्रातः उठनेपर चाय-कॉफी-बिस्किट का सेवन न कर, व्यायाम, स्नान आदि कर दूध पिया करें !
‘टेबल-कुरसी’पर नहीं, अपितु पीढा, चौकी अथवा आसनीपर पालथी आसन में बैठकर भोजन करें ! Read more »

बच्चो, देवालय और तीर्थक्षेत्रों की पवित्रता बनाए रखें !

बच्चो, देवालय तथा तीर्थक्षेत्रों में जानेपर अपने अयोग्य वर्तन से वहां की पवित्रता नष्ट न हो, इसका ध्यान रहे । हमारे द्वारा पवित्रता नष्ट हुई, तो हमें पाप लगेगा और यदि हमने पवित्रता बनाई रखी, तो हमें देवता के आशीर्वाद प्राप्त होंगे । Read more »

आपका अमूल्य समय खर्च करनेवेले दूरदर्शन संच को दूर रखें !

दूरदर्शन देखना, यह एक प्रकार का व्यसन है । छोटे-बडे सभी लोग दूरदर्शन देखने का मोह छोड नहीं पाते हैं । अत: बच्चो हमने तुम्हारे लिए कुछ पर्याय ढूंढे हैं । Read more »

सुपरमैन जैसे काल्पनिक पात्रों के प्रति आकर्षण रखने की अपेक्षा सर्वशक्तिमान ईश्वर को जाने !

वर्तमान में छोटे बच्चों के लिए स्पाइडरमैन, सुपरमैन, शक्तिमान जैसे काल्पनिक पात्रों की मनोरंजनात्मक मालिकाएं दूरदर्शनपर दिखाई जाती हैं । Read more »

हॅरी पॉटर नहीं, अपितु देवताओं की एवं वीरों की कथाओंवाली पुस्तकें पढें !

बच्चों, हॅरी पॉटर की कथा वास्तविक नहीं है, यह काल्पनिक कथा है । यह काल्पनिक साहस कथा सत्य कभी भी नहीं हो सकती । उनके पीछे पडकर अपनी संस्कृति की अनमोल धरोहर ना भूलें । Read more »

‘वीडियो गेम्‍स’ खेलने के बजाय मैदान में खेलने के लिए जाएं !

आपको भी प्रिय हैं न ‘वीडियो गेम्‍स’ ? आप भी खेलते हो न ‘वीडियो गेम्‍स’ ? परन्‍तु सावधान ! ये ‘वीडियो गेम्‍स’ मनका रंजन नहीं करते, अपितु मनको विकृत करते हैं, यह ध्‍यान रखें ! Read more »

संगणकीय खेलों के माया में लिप्त न हो जाएं !

संगणक तथा इससे उत्पन्न होनेवाले दुष्परिणामों को देखें तो विश्वामित्र की प्रतिसृष्टि के प्रयत्नों का ही स्मरण होता है’, यदि ऐसा कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । Read more »