हिन्दू धर्म के अनुसार सुषुप्तावस्था की सर्वोच्च स्थिति अर्थात पूर्णतः जडता !

विचार : मैं ने अंग्रेजी एवं उर्दू भाषाओं में उपलब्ध उपनिषदों का अनुवाद किया । हिन्दू धर्म के अनुसार सुषुप्तावस्था की सर्वोच्च स्थिति अर्थात पूर्णतः जडता (absolute unconsciousness) है । – सूफी तत्त्वज्ञान सिखानेवाले अलीगढ के प्राध्यापक

खंडन :
सुषुप्ति में आत्मा परमात्मा से एकरूप होने से वह आनंदावस्था में रहना : जिस समय मानव गहन निद्रा में होता है, उस समय वह किसी भोग की कामना नहीं करता अथवा कोई स्वप्न नहीं देखता, यही सुषुप्तावस्था है । सुषुप्ति में आत्मा परमात्मा से एकरूप होता है एवं वह जीव आनंदावस्था में होता है । (संदर्भ : मांडुक्य उपनिषद) इसलिए सुषुप्तावस्था पूर्णतः जड कैसी हो सकती है ? जिस प्रकार शक्कर खाए बिना उसकी मिठास समझ में नहीं आ सकती, उसी प्रकार विषय का पूरा ज्ञान हुए बिना अथवा बिना अनुभूति के उसका आकलन नहीं होता; परंतु आधुनिक प्राध्यापक हिन्दू धर्म को निकृष्ट प्रमाणित करने के उद्देश्य से ही उसकी ओर देखते हैं एवं शास्त्रों को कटघरे में खडा कर स्वयं न्यायाधीश कीr भूमिका अपनाते हैं, इसे क्या कहेंगे ?’

– गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी (साप्ताहिक सनातन चिंतन, प्रथम वर्ष, अंक २३)

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