जगद्गुरु भगवान श्रीकृष्णजी की गुरुदक्षिणा !

छोटी आयु में ही श्रीकृष्णजी और बलराम को शिक्षा प्राप्त करने के लिए उज्जयिनी नगरी में सांदीपनी ऋषि के आश्रम में भेजा गया । शिक्षा पूरी होने के बाद श्रीकृष्ण और बलराम अपने गुरु सांदीपनी ऋषि को विनम्रता से वंदन किया और कहा, ‘‘हे गुरुवर, आपने हमें अमूल्य ज्ञान दिया है । हम आपके चरणों में गुरुदक्षिणा अर्पण करना चाहते हैं ।’’ Read more »

पूतना वध

कंस ने अपनी मुंह बोली बहन पूतना को यह कार्य सौंपा । पूतना में १० हाथियों का बल था । कंस के कहने पर वह गोकुल में बच्‍चों को मारने के लिए चली आई । गोकुल पहुंचने पर पूतना ने अपना वेष बदला और उसने सुंदर स्‍त्री का मायावी रूप धारण किया । वह नंदबाबा के भवन पहुंची । Read more »

बालकृष्‍णद्वारा यमलार्जुन का उद्धार

यशोदा माई ने कान्‍हा को बांधने के लिए रस्‍सी मंगाई और उन्‍हें ऊखल से बांध दिया और वे अपने काम करने चली गई । परंतु वे तो कान्‍हा थे । उन्‍होंने देखा माई अपना काम कर रही है । तो उन्‍होंने भी अपना काम करना आरंभ किया । उनके भवन के बाहर यमलार्जुन के दो वृक्ष थे । Read more »

अर्जुन का भाव !

अर्जुन भगवान श्रीकृष्‍ण के निस्‍सिम भक्‍त थे । महाभारत युद्ध के बाद भगवान् श्रीकृष्‍ण और अर्जुन द्वारिका जा रहे थे, तबरथ अर्जुन चलाकर ले गए । द्वारका पहुंचकर अर्जुन बहुत थक गए थे, इसलिए विश्राम करने अतिथि भवन में चले गए । रुक्‍मिणीजी ने श्रीकृष्‍णजी को भोजन परोसा । तब वे बोले, अर्जुन हमारे अतिथि हैं, जब तक वह भोजन नहीं करते, तब तक मैं अर्जुन के बिना भोजन कैसे कर सकता हूं ? Read more »

भक्‍त अर्जुन

महाभारत काल में महाभारत के भयंकर युद्ध से पहले योगेश्‍वर भगवान श्रीकृष्‍णजी ने कौरव और पांडवों को वचन दिया था कि ‘युद्ध से पहले जो याचक बनकर मेरे पास आएगा, वह जो मांगेगा, उसे मैं अवश्‍य दूंगा ।’ Read more »

कालिया मर्दन !

आप सबको कालिया मर्दन की कहानी पता है न ? नागपंचमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्‍णजी ने कालिया मर्दन किया था और कालिया के पूरे परिवार को रमणिक द्वीप भेज दिया था । आज हम कालिया मर्दन की कहानी सुनेंगे । Read more »

भगवान के अतिरिक्त अपना कोई नहीं ! (द्रौपदी वस्त्रहरण)

द्युत में (जुए में) हारने के पश्चात दुर्योधन ने द्रौपदी को राज्यसभा में लाने का आदेश दिया । अत: दुःशासन उसे घसीटता हुआ राज्यसभा में लेकर आया । ऐसा न करने हेतु द्रौपदी निरंतर विनती कर रही थी; किंतु उनपर उसका कुछ भी परिणाम नहीं हुआ । Read more »