चतुर खरगोश ! 

आज हम एक चतुर खरगोश की कहानी सुनते हैं । एक घने जंगल में एक बहुत बडा शेर रहता था । वह प्रतिदिन शिकार पर निकलता और कई जानवरों को मारकर खा जाता था । इस कारण जंगल के सभी जानवर डर लगने लगा कि यदि शेर इसी प्रकार शिकार करता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा कि जंगल में कोई भी जानवर जीवित नहीं बचेगा । Read more »

संत शिरोमणी नरसी मेहता ! 

नरसी मेहता एक उच्च कोटि के संत थे । वह कृष्‍णभक्‍त थे और सदैव भगवान श्रीकृष्‍णजी की पूजा एवं नामजप में मग्‍न रहते थे । वह भिक्षा मांगकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे । नरसीजी के पिताजी की मृत्‍यु हो गई थी तथा उनका वार्षिक श्राद्ध करना था । Read more »

श्रीकृष्‍णजी की बांसुरी !

आज भगवान श्रीकृष्‍ण की बांसुरी के उत्‍पन्‍न होने की एक सुन्‍दर कहानी सुनते हैं । हम सब जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्‍ण के हाथ में सदैव बांसुरी रहती है । बांसुरी को मुरली भी कहते हैं । भगवान श्रीकृष्‍ण के हाथ में मुरली होने के कारण उन्‍हें ‘मुरलीधर’ भी कहा जाता है । Read more »

राष्ट्राभिमानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस ! 

भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अनेक क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया है । उन्हीं क्रांतिकारियों में से एक क्रांतिकारी थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस । बालक सुभाष बचपन से ही राष्ट्राभिमानी थे । उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए देश के युवकों को आवाहन कर नारा दिया था कि, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा ।’ उन्होंने ‘आजाद हिन्द सेना’ की स्थापना भी की थी । Read more »

कान्‍हाजी की दर्पण सेवा !

एक गांव में एक माई रहती थी । वह कृष्‍ण की भक्‍त थी । अपने श्‍याम सुन्‍दर श्रीकृष्‍णजी की बहुत मन से सेवा करती थी, वह सुबह उठकर अपने कान्‍हाजी को अत्‍यंत दुलार और मनुहार से उठाती थी और उनका स्नान श्रृंगार करने के बाद उनको दर्पण दिखाती थी । उसके बाद भोग लगाती थी । Read more »

भक्त मंगल !

एक गांव में एक धनवान सेठ के पास एक मंगल नामक व्यक्ति काम करता था । मंगल बहुत ईमानदार था । सेठ मंगल पर बहुत विश्‍वास करते थे । मंगल भगवान जगन्नाथ का बहुत बडा भक्त था । एक दिन मंगल ने सेठ से श्री जगन्नाथ धाम की यात्रा करने के लिए कुछ दिन का छुट्टी मांगी । सेठ ने उसे छुट्टी देते हुए कहा, ‘मंगल, तुम जा ही रहे हो तो ये सौ मुद्राएं मेरी ओर से श्री जगन्नाथ प्रभु के चरणों में अर्पित कर देना ।’ Read more »

भक्त आलोक !

यह प्राचीन काल की बात है । एक नगर में आलोक नामक एक स्वर्णकार रहते थे । सोने के आभूषण बनानेवाले को स्वर्णकार कहते हैं । आलोक भगवान श्रीकृष्णजी के अनन्य भक्त थे । वे सदैव भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे और संतसेवा करते रहते थे । Read more »

श्रद्धालु सुनंदा ! 

वेदनगर गांव में एक सुनंदा नाम की महिला रहती थी । सुनंदा ईश्‍वर भक्त और श्रद्धालु थी तथा भोलीभाली थी। वह सदैव ईश्‍वर का नामजप किया करती थी । उसके पास दो गायें थी । उन गायों का दूध बेचकर वह अपना निर्वाह करती थी । वह प्रतिदिन दूध लेकर नाव से नदी पार करती तथा पूर्णानगर गांव में जाकर दूध बेचती थी । Read more »

रानी सत्यभामा, सुदर्शन चक्र और गरूड का गर्वहरण !

एक बार क्या हुआ कि, द्वारका में भगवान श्रीकृष्ण रानी सत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे । उनके निकट ही गरुड और सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे । तीनों के चेहरे पर दिव्य तेज झलक रहा था । बातों ही बातों में रानी सत्यभामा ने श्रीकृष्ण से पूछा, ‘हे प्रभु ! आपने त्रेतायुग में प्रभी श्रीराम के रूप में अवतार लिया था, देवी सीता आपकी पत्नी थीं । क्या वह मुझसे भी अधिक सुंदर थीं ?’ Read more »

पन्ना धाय की स्वामीभक्ति ! 

यह उस समय की बात है जब राजस्थान के मेवाड में राणा संगा का राज था । उनके बेटे का नाम उदयसिंह था, जो मेवाड का भावी राजा था । पन्ना धाय राणा उदयसिंह की धाय मां थी । राणा उदयसिंह को पन्ना धाय ने ही पालपोसकर बडा किया था । पन्ना ने पूरी लगन से राणा उदयसिंह की परवरिश और सुरक्षा की । Read more »