महाबली हनुमान द्वारा भीम का गर्व-हरण

मित्रो यह कहानी महाभारत काल की है । पांडवों में भीम सबसे अधिक शक्‍तिशाली थे । उन्‍हें अपनी इस शक्‍ति का घमंड हो गया था । उन्‍हें लगता था कि पूरे संसार में उनके जैसा शक्‍तिशाली कोई नहीं है । उनके घमंड को दूर करने के लिए भगवान ने एक बहुत अच्‍छी लीला की । Read more »

रामसेतु बनाने की सेवा में गिलहरी का योगदान

समुद्र तट के पास ही रेत का ढेर था, गिलहरी उस रेत के ढेरपर जाती और वहां से अपने छोटे-छोटे हाथों और पूंछ में छोटे पत्‍थर एवं रेत लेकर सागर में डालती जा रही थी । जितनी उसकी क्षमता थी उसका वह पूरा उपयोग कर श्रीराम कार्य में लग गई । Read more »

सदाचरण का महत्‍व

मित्रो, सदाचार अर्थात अच्‍छा आचरण ही हमारे जीवन का आधार है । सत् आचरण का अर्थ है, नैतिक और धार्मिक आचरण ! देवता भी सदाचरण करनेवाले के साथ ही रहते हैं । इस कहानी से हम यह सीखेंगे कि सदाचारी व्‍यक्‍ति के साथ लक्ष्मी, दान आदि कैसे रहते है !   Read more »

प्रभु ‘श्रीराम’ का नाम लिखे पत्‍थरों का पानी पर तैरना

जिन पत्‍थरों पर श्रीराम लिखा था वह तो तैर गए और प्रभु श्रीरामने जो पत्‍थर पानी में छोडा उसपर श्रीरामका नाम न होने से वह डूब गया । प्रभु श्रीराम से भी बडा उनका नाम है; क्‍योंकि हमारे सामने श्रीरामजी उपस्‍थित न हों; परंतु उनका नाम भक्‍तों को तारता है । Read more »

गुरु के आज्ञापालन का महत्त्व

एक दिन समर्थ रामदास स्‍वामी ने उनके शिष्‍य कल्‍याणस्‍वामी से कहा, ‘एक पेड की टहनी कुएं के ऊपर आ गई है । उस टहनी को उलटी दिशा से तोडना है ।’ इस कथा में देखते है गुरु की आज्ञा का पालन कर कल्‍याणस्‍वामी रामदासस्‍वामी के उत्तम शिष्‍य कैसे बन गए । Read more »

ईश्‍वर का नाम जपनेवालों को काल का डर न होना

यह संसार एक चक्‍की के समान है और भगवान उस खूंटी के समान है । जो भगवान का नामजप करते हुए उनके चरणों में रहते हैं उनको वह कभी पिसने नहीं देते । Read more »

अपने गुरु का दर्द दूर करने के लिए ये शूरवीर शिष्य ले आया था शेरनी का दूध…

समर्थ गुरु रामदास स्वामी अपने शिष्यों में सबसे अधिक प्रेम छत्रपति शिवाजी महाराज से करते थे। शिष्य सोचते थे कि, शिवाजी महाराज राजा होने के कारण ही अधिक प्रिय है। समर्थ स्वामी ने शिष्यों का यह भ्रम दूर करने के बारे में विचार किया। Read more »

बचपन से ही वीर, साहसी वृत्ती रहनेवाले लौहपुरुष सरदार वल्लभभार्इ पटेल !

‘भारत के लौह-पुरुष के नाम से सरदार वल्लभभार्इ पटेल जगप्रसिद्ध हुए । उनका जन्म ३१ अक्टूबर १८७५ को गुजरात के नडियाद गांव में हुआ था । Read more »

संसार को प्रसन्न करना कठिन होना !

लोगों को क्या अच्छा लगता है, इस ओर ध्यान देने की अपेक्षा ईश्वर को क्या अच्छा लगता है, इस ओर ध्यान दीजिए । सर्व संसार को प्रसन्न करना कठिन है, ईश्वर को प्रसन्न करना सरल है । Read more »

रामराज्य में शिक्षा कैसी थी ?

श्रीराम ने स्वतंत्र शिक्षा देकर घरघर में श्रीराम निर्मित किए थे ! रामराज्य में आर्थिक योजनाओें के साथ ही उच्च कोटिका राष्ट्रीय चरित्र भी निर्मित किया जाता था । उस समय के लोग निर्लाेभी, सत्यवादी, सरल, आस्तिक एवं परिश्रमी थे । आलसी नहीं थे । Read more »