भूदरगढ
कोल्हापुर से लगभग ५०-५५ कि.मी. की दूरीपर भूदरगढ किला है । यह किला यहां के जागृत भैरवनाथजी के देवालय के कारण विख्यात है । Read more »
कोल्हापुर से लगभग ५०-५५ कि.मी. की दूरीपर भूदरगढ किला है । यह किला यहां के जागृत भैरवनाथजी के देवालय के कारण विख्यात है । Read more »
नीरा और कोयना नदी के तटपर शिवाजी महाराजजीने जो सत्ता प्राप्त `की थी, उस सत्ता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए एक दृढ अभेद्य दुर्ग को निर्मित करना आवश्यक था और यह दुर्ग था प्रतापगढ । Read more »
‘राष्ट्रवाद के महानतम पुरोधाओं में एक’ इस प्रकार से वर्णित बिपिनचंद्र पाल, भारत के राजनैतिक इतिहास में लोकमान्य तिलक तथा लाल लाजपत राय के साथ किए गए सहयोग के कारण स्वतंत्रता संग्राम से जुड गए थे । Read more »
प्रबलगढ नाम के अनुरूप ही है । यह दुर्ग सहज ही मुंबई-पुणे महामार्ग से जाते समय हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता है । Read more »
हिंदवी साम्राज्य के संस्थापक तथा एक आदर्श शासनकर्ता के रूप में पहचाने जानेवाले छत्रपति शिवाजीराजे भोसले, एक सर्वसमावेशक, सहिष्णु राजा के रूप में महाराष्ट्र एवं अन्यत्र भी वंदनीय हैं । Read more »
मराठों के इतिहास में अनेक पराक्रमी सरदार हुए हैं । उनमें से होलकर घराने की अहिल्याबाई का नाम आज भी अनेकों के मुखपर हैं । अहिल्याबाई को ‘पुण्यश्लोक’ भी कहा जाता है.. Read more »
सिंहासनारूढ होने हेतु, बत्तीस मन का सुवर्णका सिंहासन तैयार करवाया । अमूल्य नवरत्न जितने कोष में थे, उनमें से खोजकर बहुमूल्य रत्न सिंहासन में जडवाए गए । रायरी का नाम ‘रायगड’ रखा गया । Read more »
देशभक्त नारायणका जन्म २५ मई, १८८८ को हुआ । सावरकर प्रारंभसे ही सुखी संपन्न घरानेके थे; परंतु एकपर एक आकस्मिक संकटों तथा आपत्तियोंके कारण उनका बचपन अत्यंत कष्टों एवं विषम परिस्थितियोंमें बीता । Read more »
स्वा. सावरकरको अंग्रेजोंने लंदनमें बंदी बनाया । अगला अभियोग हिंदुस्तानके न्यायालयमें चलाने हेतु उन्हें ‘मोरिया’ नामक जलयानपर पुलिसके पहरेमें चढा दिया गया । यात्रामें जलयान फ्रांसके मार्सेलिस बंदरगाहपर रुका । ८ जुलाई १९१० की Read more »
जिनका केवल नाम लेने से युवकों में राष्ट्रभक्ति जागृत हो जाती थी, ऐसे थे लोकमान्य तिलक के समय के वासुदेव बलवंत फडके । Read more »