महिपतगढ

खेड तहसील के पूर्व में रसालगढ-सुमारगढ और महिपतगढ इन पहाडों की पंक्ति हैं । इन पंक्तियों में उत्तर की ओर महिपतगढ है । यह सबसे ऊंचा एवं बडा विस्तृत भी है । गढका क्षेत्र १२० एकड है । ये तीन गढ एक दूसरे के निकट होने के कारण अनेक प्रवासी (ट्रेकर्स) रसालगढ-सुमारगढ एवं महिपतगढ ऐसा प्रवास (ट्रेक) भी करते हैं ।

गढपर देखने योग्य स्थान

महिपतगढ अपने नाम के अनुरुप है । आकार में विस्तृत है । चारों ओर खडी ऊंचाई टूटी एवं कठोर होने के कारण प्रत्येक स्थानपर तटबंदी की आवश्यकता नहीं है । जहां खडी ऊंचाई चढने में सहज है वहां तटबंदी खडी की है । आज यह तटबंदी टूट गई हैं । गढपर सब मिलाकर छह दरवाजे हैं । ईशान की ओर लालदेवडी दरवाजा, पूर्व की ओर पुसाटी दरवाजा, दक्षिण की ओर खेड दरवाजा, पश्चिममें शिवगंगा दरवाजा, उत्तर की ओर कोतवाल दरवाजा, आग्नेय की ओर यशवंत दरवाजा । आज की स्थिति में ये दरवाजे नाम मात्र ही रह गए हैं ।

ये दरवाजे थे, अब इनके चिह्न मात्र शेष हैं । शिवगंगा द्वार के पास शिवजी की पिंडी हैं । पुसाटी द्वार के पास सीढी है । कोतवाल दरवाजे के पास हनुमानजी का छोटासा मंदिर है । पारेश्वर का एक बडा मंदिर गढपर है । इस मंदिर में रहने की सुविधा है । मंदिर के सामने ही पीने के पानी का कुआं हैं । इसके अतिरिक्त गढ के पठारपर वन है । अनेक प्रकार के अवशेष इस वन में छिपे हैं । इन सबकी जानकारी होना अतिआवश्यक है । इस गढपर एक विशेष प्रकार के उपयोग में न लाए हुए चूने के अवशेष बिखरे हुए दिखाई देते हैं । गढ घूमने के लिए दो से तीन घंटे लगते हैं ।

गढपर जाने के लिए मार्ग

१. खेड से प्रात: ही दहिवली जानेवाली बस पकडनी पडती है । खेड से दहिवली जाने में १ घंटे का समय लगता है । दहिवली गांव से गढपर जाने के लिए पगडंडी है । यह मार्ग लंबा होने के कारण गढ के शीर्षपर पहुंंचने के लिए ४ घंटे लगते हैं । इस मार्ग से जाते हुए दो घाटियां पार करनी पडती हैं ।

२. खेड से वाडीजैतापुर को जानेवाली गाडी पकड सकते है । वाडीजैतापुर पहुंचने के उपरांत पगडंडी मार्ग से वाडीबेलदार गांव में आना पडता हैं । वाडीजैतापुर से वाडीबेलदार तक की दूरी दो से ढाई घंटे की हैं । वाडीबेलदार से गढ शीर्षतक पहुंचने में १ घंटा लगता है । मार्ग की पगडंडी होने के कारण मार्ग में कहीं खोने की संभावना नहीं हैं ।

३. रसालगढ से सुमारगढ मार्ग से भी महिपतगढपर जा सकते हैं । यह दूरी ७ घंटे की है । वन घना होने के कारण खो जाने की संभावना अधिक है ।

रहने की सुविधा : पारेश्वर मंदिर में २० से ३० व्यक्तियों के रहने की सुविधा है ।

भोजन की सुविधा : स्वयं करनी पडती है ।

पानी की सुविधा : बारह महीने उपलब्ध ।

जाने के लिए लगनेवाला समय : दहिवली गांव से – ४ घंटे ।

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