रायरेश्वर

इसी रायरेश्वर के पर्वतपर शिवाजी महाराजने स्वराज्य की शपथ ली । मात्र यह घटना काल्पनिक है कि सत्य, इस विषय में कुछ निश्चित कहना कठिन है ।

गढ के दर्शनीय स्थल

रायरेश्वरपर दर्शनीय अधिक कुछ नहीं । रायरेश्वर का पठार ५ से ६ कि.मी. तक फैला हुआ है । इस कारण इस पठार की वर्षाऋतु दर्शनीय है । रायरेश्वरपर शंभुमहादेव का मंदिर दिखाई नहीं देता क्योंकि पठार से थोडा पहले ही गांव बसे हुए हैं । पठारपर धान की खेती अधिक होती है । पांडवगढ, वैराटगढ, पाचगणी, महाबळेश्वर, कोल्हेश्वर, रायगड, लिंगाणा, राजगढ, तोरणा, सिंहगढ, विचित्रगढ, पुरंदर, रुद्रमाळ, चंद्रगढ, मंगळगढ यह संपूर्ण परिसर यहां से दिखता है ।

गढपर जाने के मार्ग

रायरेश्वर जाने के अनेक मार्ग हैं । किसी भी मार्ग से जाना हो तो प्रथम भोर जाएं ।

१. टिटेधरण कोर्लेबाजू से

पुणे से भोर मार्गद्वारा आंबवडे जाए । वहां से टिटेधरण कोर्लेबाजू से रायरेश्वर जा सकते हैं । साधारणतः ३ घंटे लगते हैं । मार्ग कुछ स्थानोंपर दुर्गम है ।

२. भोर-रायरी मार्ग से

भोर गांव से रायरी गांव के लिए सुबह ११ तथा संध्या ६ बजे गाडी जाती है । इसी मार्ग को सांबरदर्या का मार्ग भी कहते हैं । इस मार्ग से रायरेश्वर जाने में दो घंटे लगते हैं ।

३. केजंळगढ से

केजंळगढ से सूणदर्या अथवा श्वानदर्या से भी रायरेश्वर जा सकते हैं ।

निवास की सुविधा : रायरेश्वरावर मंदिर में अथवा गांव में १० से १२ लोगों के निवास की व्यवस्था हो सकती है ।

खाने-पीने की व्यवस्था : स्वयं करें ।

जल की व्यवस्था : जल बारह महीने उपलब्ध है ।

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