मंदिर के प्रसाद के लड्डू कारागार की महिला बंदीवानों से बनवाना

पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के अध्यक्ष तथा जनपदाधिकारी डॉ. अमित सैनी ने कोल्हापुर स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर के प्रसाद के लड्डू कारागार की महिला बंदीवानों से बनवाने का निर्णय लिया है ।

खंडन

श्री महालक्ष्मी मंदिर का प्रसाद महिला बंदीवानों से नहीं, अपितु देवी के प्रति सेवाभाव रखनेवाले भक्तों से बनवाया जाए !

कारागार का वातावरण स्वास्थ्य की दृष्टि से तो अस्वच्छ होता ही है, साथ ही आध्यात्मिक दृष्टि से तम प्रधान भी होता है । पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के अध्यक्ष तथा जनपदाधिकारी डॉ. अमित सैनी ने कोल्हापुर स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर के प्रसाद के लड्डू कारागार की महिला बंदीवानों से बनवाने का निर्णय लिया है, जो सर्वथा अयोग्य है । इसे व्यावसायिक ठेका नहीं समझना चाहिए, अपितु यह देवी के लिए सात्त्विक प्रसाद बनाने की सेवा है । ऐसा सेवाभाव रखनेवाले भक्तों को ही यह सेवा देनी चाहिए ।

धर्मशास्त्र के अनुसार देवता का प्रसाद ग्रहण करने से ईश्‍वरीय चैतन्य मिलता है और श्रद्धालुआें का वैसा भाव होता है ।

धर्मशास्त्रानुसार कोई भी प्रसाद बनाते समय शुद्धता के सामान्य नियमों का पालन करना आवश्यक होता है । शुद्धि के नियमों में स्नानादि कृत्य, शाकाहार और मासिक धर्म का पालन आदि बातें अंतर्भूत होती हैं । कारागार की महिलाआें द्वारा इन नियमों का पालन किया जाएगा, इसका दायित्व कौन उठाएगा ? उसी प्रकार कारागार में अन्य धर्मीय बंदीवान भी होते हैं, इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि उनमें भी देवी के प्रति वैसा भाव होगा । कळंबा कारागार में गांजा जैसे मादक पदार्थ मिलते हैं । अनेक दुष्कृत्य भी बार-बार उजागर हुए हैं, जिससे कारागार की भयावहता स्पष्ट होती है । अतः श्री महालक्ष्मी जैसी जागृत देवी का पवित्र प्रसाद बंदीवानों से बनवाना आध्यात्मिक और स्वास्थ्य दोनों ही दृष्टि से अयोग्य सिद्ध होता है ।

कारागार की महिलाएं भी निश्‍चित ही देवी की भक्ति कर सकती हैं, क्योंकि भक्तिमार्ग में उपासना के लिए कोई बंधन नहीं होता; परंतु प्रसाद षोडशोपचार पूजन का एक अंग है तथा कर्मकांड का एक भाग है । कर्मकांड के नियमों का पालन करने पर ही श्रद्धालुआें को उसका लाभ होता है । इसलिए मंदिर समिति श्री महालक्ष्मी मंदिर के लिए प्रसाद बनाने की सेवा कारागार की महिला बंदीवानों को न दें । सत्त्वगुणी भक्तों द्वारा वह बनावाया जाए । श्री महालक्ष्मीदेवी पर श्रद्धा रखनेवाले और शुद्धि के सर्व नियमों का पालन कर प्रसाद बनाने की सेवा करने के इच्छुक अनेक गुट कोल्हापुर में कार्यरत हैं । मंदिर व्यवस्थापन को उनका भी विचार करना चाहिए ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

JOIN