आहार एवं रुचि-अरुचि

        इस लेख में यह बताया गया है कि हमारी भोजन में रुचि या अरुचि होने के क्या कारण होते हैं और भोजन में रुचि – अरुचि, किन कारणों पर निर्भर होती है |

१. कभी-कभी कोई विशेष पदार्थ खाने की तीव्र इच्छा क्यों होती है ?

कभी-कभी कोई विशेष पदार्थ खाने की तीव्र इच्छा होती है । जब हमें तीखा, मीठा, खट्टा आदि में से कोई पदार्थ खाने का मन करता है, तब शरीर को उस घटक की आवश्यकता होती है । जिस प्रकार शरीर में पानी घटने पर प्यास लगती है अर्थात हमें पानी पीने की इच्छा होती है, उसी प्रकार शरीर में किसी रस की न्यूनता होने पर उस रस से युक्त व्यंजन खाने की अथवा पीने की इच्छा होती है ।

२. ऋतुनुसार पदार्थ खाने की इच्छा होना

अ. वर्षा ऋतु में तीखा पदार्थ खाने की इच्छा क्यों होती है ?

        वर्षा ऋतु में ठंडे वातावरण के कारण शरीर के घटे हुए तापमान को संतुलित करने हेतु अपने आप ही तीखा पदार्थ खाने की इच्छा होती है । तीखे पदार्थ तेज तत्त्व से युक्त होते हैं । वर्षा ऋतु में वातावरण के कारण शरीर में तेजतत्त्व घट जाता है । (शरीर पंचतत्त्वों से बना है । प्रत्येक की प्रकृतिनुसार पंचतत्त्वों की मात्रा भिन्न होती है । प्रकृति सूक्ष्मदेह का स्थूल प्रकटीकरण है । सूक्ष्म देह उस में विद्यमान त्रिगुणों के अनुसार होती है ।) तीखे पदार्थ से शरीर में उष्णता उत्पन्न होती है । उससे शरीर का तापमान बनाए रखने में सहायता होती है ।

आ. गर्मी में मीठा पदार्थ खाने की इच्छा क्यों होती है ?

        मीठा पदार्थ आप तत्त्व युक्त होता है । गर्मी के दिनों में शरीर पर होने वाला उष्णता का दुष्परिणाम तीखे पदार्थ की अपेक्षा मीठे पदार्थ में पाए जानेवाले आप तत्त्व से मिट जाता है । इसलिए मीठा पदार्थ खाना हितकारी है ।

३. खाने की रुचि-अरुचि पर विजय प्राप्त करने के कुछ उपाय

स्वाद पर विजय प्राप्त किए बिना संपूर्ण आध्यात्मिक प्रगति नहीं होती । यह सबसे अंत में होता है । उसके लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं ।

अ. सर्व पदार्थ एकत्रित कर खाना ।

आ. अन्न को ‘प्रसाद’ समझकर खाना ।

इ. नामजप करते हुए भोजन करना । मन नाम में रत हो जाए, तो हम क्या खा रहे हैं, इस पर ध्यान नहीं जाता ।

 

संदर्भ पुस्तक : सनातन का सात्त्विक ग्रंथ, ‘आधुनिक आहार – हानि,’ भाग २