लक्ष्मणजी की तपस्‍या ! 

प्रभु श्रीरामजी के साथ लक्ष्मणजी वनवास गए थे । प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण इनमें अगाध प्रेम था । रावण के साथ जब महाभयंकर युद्ध हुआ था, तब लक्ष्मणजी ने रावण के पुत्र इंद्रजित का वध किया था । लक्ष्मणजी ने इंद्रजित का वध कैसे किया था, यह कथा अब हम सुनते है । Read more »

विभीषण प्रभु श्रीरामजी की शरण में ! 

रावण के भाई विभीषण धर्मनिष्‍ठ और नीतिवान थे । वे सदाचारी और धर्म के नियमों का पालन करते थे । विभीषण ने रावण को धर्म के अनुसार आचरण कर माता सीता को मुक्‍त करने के लिए कहा । परंतु अधर्मी रावणने विभीषण का कहना न मानकर उसका अपमानही किया । रावण से अपमानित होकर विभीषण शिघ्रता से आकाशमार्ग से उस स्‍थान पर पहुंचे जहां लक्ष्मण सहित प्रभु श्रीरामजी थे । Read more »

लंकादहन !

हनुमानजी माता सीता से लंका में अशोकवाटीका में छोटा रूप धारण कर मिले तथा सीता माता की आज्ञा से अपनी भूख मिटाने के लिए वाटिका से फल तोडकर खाने लगे । तब वहां पर पहरा दे रहे राक्षसोंने हनुमानजी को देखा और उन्‍हें साधारण वानर समझकर उन्‍हें मारने के लिए दौड पडे; परंतु हनुमानजी ने अपनी शक्‍ति का प्रयोग कर राक्षसों पर आक्रमण किया । Read more »

राधाकुंड की निर्मिती !

एक बार कंस ने भगवान श्रीकृष्‍ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नाम के दैत्‍य को भेजा । अरिष्टासुर गाय के बछडे का रूप लेकर श्रीकृष्‍ण की गायों में शामिल हो गया और उन्‍हें मारने लगा । भगवान श्रीकृष्‍ण ने बछडे के रूप में छिपे दैत्‍य को पहचान लिया । श्रीकृष्‍ण ने उसको पकडा और भूमीपर पटक पटककर उसका वध कर दिया । Read more »

भगवान शिवजी का गृहपति अवतार !

भगवान विष्‍णु के अनेक अवतार हुए हैं, वैसेही भगवान शिवजी के भी अवतार हुए है । भगवान शिवजी के अनेक अवतारों में से सातवे अवतार है गृहपति । आज हम उनके इस अवतार की कथा सुनेंगे । Read more »

भगवान शिवजीद्वारा त्रिपुरासुर का वध 

भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था । उसके बाद तारकासुर के तीन पुत्रों ने देवताओं से बदला लेने का निश्‍चय कर लिया । तीनों असुरों के नाम थे – तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्‍माली । देवताओं को पराजित करने के उद्देश्‍य से तीनों तपस्‍या करने के लिए जंगल में चले गए । उन्‍होंने हजारों वर्ष तक अत्‍यंत कठोर तप किया । Read more »

तपस्या का फल ! 

भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती कठोर तपस्या कर रही थी । तपस्या के समय वह भगवान के चिंतन में ध्यानमग्न बैठी थी । उनकी तपस्या पूर्ण ही होनेवाली थी कि उसी समय उन्हें एक बालक के डुबने की चीख सुनाई दी । माता तुरंत उठकर वहां पहुंची । उन्होंने देखा एक मगरमच्छ बालक को पानी के अंदर खींच रहा है । Read more »

प्रभु श्रीराम की बहन शांता और ऋष्यश्रृंग 

आप सभी को ज्ञात होगा कि श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न राजा दशरथ के पुत्र थे । इनके साथ ही राजा दशरथ और रानी कौशल्या की शांता नाम की एक कन्या भी थी । शांता उनकी पहली संतान थी । अर्थात वह प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न इनकी बहन थी । शांति और सद्भाव का प्रतीक थी । Read more »

देवी लक्ष्मी कहां विराजमान रहती है ?

एक दिन धर्मराज युधिष्ठिर ने पितामह भीष्म से पूछा, ‘‘पितामह ! क्या करने से मनुष्य के दुःखों का नाश होता है ? कोई मनुष्य दुःखी होनेवाला है अथवा सुखी होनेवाला है, यह कैसे समझ सकते हैं ? किसका भविष्य उज्ज्वल होगा और किसका पतन होगा यह कैसे पता चल सकता है ? पितामह भिष्म ने कहां, ‘‘पुत्र इस विषय में एक प्राचीन कथा तुम्हे सुनाता हूं । Read more »

प्रभु श्रीराम तथा लक्ष्मण द्वारा मारीच और सुबाहु का वध !

ऋषि विश्वामित्र बडा यज्ञ कर रहे थे तथा राक्षस उनके यज्ञ की अग्नि में मांस, रक्त आदि डालकर उसे अपवित्र कर देते थे । इसलिए महर्षि विश्वामित्र ने अयोध्या में राजा दशरथ से सहायता मांगी तथा यज्ञ की रक्षा के लिए उनके पुत्र प्रभु श्रीराम को साथ भेजने के लिए कहा । महाराज दशरथ की आज्ञा से प्रभु श्रीराम बंधु लक्ष्मण के साथ ऋषि विश्वामित्रजी के गुरुकुल पहुंचे Read more »