नरकासुर वध ! 

भौमासुर पशुओं से भी अधिक क्रूर और अधर्मी था । वह सबको नरक जैसी यातनाएं देता था । उसकी इन्हीं करतूतों के कारण ही उसका नाम नरकासुर पड गया । भौमासुर को देव-दानव-मनुष्य नहीं मार सकता था; परन्तु उसे स्त्री के हाथों मरने का शाप था । इसलिए भगवान श्रीकृष्णजी ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया । Read more »

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश !

अपने विरुद्ध पक्ष में पितामह भीष्म और द्रोणाचार्य आदि गुरुजनों को देखकर अर्जुन युद्ध करने को तैयार नहीं थे । तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने विश्वरूप का दर्शन कराया और उनसे कहा, ‘पार्थ ! जब धर्म को ग्लानी आती है, तब धर्म की संस्थापना के लिए मैं अवतार धारण करता हूं । उनके साथ युद्ध करना ही उचित क्षत्रिय धर्म है । तुम अपने कर्म के फल की चिंता ना करते हुए अपने क्षात्रधर्म का पालन करो ।’ Read more »

भरत का बंधुप्रेम और पादसेवन भक्ति ! 

जब प्रभु श्रीराम वनवास जा रहे थे, तब उनके छोटे भाई भरत अयोध्या में नहीं थे । जब भरत अयोध्या लौटे, तब उन्हें पता चला कि उनकी माता कैकयी ने उन्हें सिंहासन पर बिठाने हेतु बंधु श्रीराम को १४ वर्ष का वनवास दिया है, तब उन्हें बहुत दुख हुआ । अपने बडे भाई श्रीराम को वापस लाने हेतु वे वन में गए । Read more »

राधा का चरणामृत !

एक बार गोकुल में बालकृष्ण बीमार हो गए थे । कोई भी वैद्य, औषधि, जडी-बूटी उन्हें ठीक नहीं कर पा रही थी । गोपियों को यह बात पता चली । गोपियां कृष्ण से मिलने आई । कृष्ण की ऐसी स्थिति देखकर सभी गोपियों की आंखों में आंसू आ गए । भगवान कृष्णने उन्हें रोनेसे मना किया और कहा, ‘‘मेरे ठीक होने का एक उपाय है । यदि कोई गोपी मुझे अपने चरणों का चरणामृत पिलाए, तो मैं ठीक हो सकता हूं ।’’ Read more »

प्रभु श्रीरामजीद्वारा देवी अहिल्‍या का उद्धार 

ब्रह्माजी की मानसपुत्री थी जिसका नाम अहिल्‍या था । ब्रह्माजी ने अहिल्‍या को सबसे सुंदर स्‍त्री बनाया था । सभी देवता उनसे विवाह करना चाहते थे । अहिल्‍या से विवाह करने के लिए ब्रह्माजी ने एक शर्त रखी । जो सबसे पहले त्रिलोक का भ्रमण कर आएगा वही अहिल्‍या का वरण करेगा, ऐसे उन्‍होंने कहां । Read more »

प्रभु श्रीराम की पितृभक्ति ! 

राजा दशरथ ने अयोध्या के सिंहासन पर श्रीराम का राजतिलक करने का निर्णय लिया था । राज्याभिषेक से कुछ समय पूर्व रानी कैकेयी ने दशरथ से दो वर मांगे । रानी कैकयी ने दो वरों में से एक वर से भरत का राज्याभिषेक और दूसरे से प्रभु श्रीराम को १४ वर्ष के वनवास की मांग की । Read more »

भक्तवत्सल भगवान श्रीकृष्ण ! 

कुरुक्षेत्र को विशाल सेनाओं के आने-जाने की सुविधा के लिए तैयार किया जा रहा था । बडे हाथी पेडों को उखाडने और जमीन साफ करने के काम में लगाए गए थे । उनमें से एक पेडपर एक चिडिया का घोसला था जिसमें वह चिडिया अपने चार बच्चों के साथ रहती थी । जब उस पेड को हाथी ने उखाडा तो उस छोटी सी चिडिया का घोंसला जमीन पर गिर गया । Read more »

गयासुर को मुक्‍ति देनेवाले भगवान श्री विष्‍णु ! 

गयासुर को ब्रह्माजी से भी वरदान मिला था कि उसकी मृत्‍यु संसार मे जन्‍म लेनेवाले किसी भी व्‍यक्‍ती के हाथों नही होगी । अब तो वरदान पाने के बाद गयासुर की शक्‍ती तो बढ गयी । उसने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया । गयासुर को मुक्‍ति कैसे मिली इसकी कहानी सुनते है । Read more »

लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा का वध ! 

हमे पता है कि प्रभु श्रीराम विष्‍णु के अवतार और मर्यादा पुरुषोत्तम थे । उनके अवतार काल मे उन्‍होंने अनेक राक्षसों का वध किया । श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण ने शूर्पणखा नामक राक्षसी का वध किया । अब हम यह कथा सुनेंगे । Read more »

अनंत चतुर्दशी की कथा !

आप कौरवों तथा पांडवों की कथा तो जानते ही हैं । पांडवों के बडे भाई युधिष्‍ठिर थे । वह इन्‍द्रप्रस्‍थ के राजा थे । युधिष्‍ठिर ने वहां एक ऐसा महल बनवाया था जो कि बहुत ही सुंदर और अद्भुत था । उस महल की विषेशता यह थी कि उसमें जल और स्‍थल में अंतर ही नहीं दिखाई देता था । जल के स्‍थानपर स्‍थल और स्‍थल के स्‍थानपर जल के जैसा भ्रम उत्‍पन्‍न होता था । Read more »