लालबहादुर शास्त्रीजी की तत्त्वनिष्ठता

श्री. लालबहादुर शास्त्रीजी कारावास में थे । कारागृह में कडा पहरा था । किसीसे भी मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही थी । कठोर प्रयासों के उपरांत उनकी माता रामदुलारी अथवा पत्नी ललितागौरी इनमें से किसी एक को उनसे मिलने की अनुमति मिल पाई । Read more »

लालबहादुर शास्त्रीजी की सीधी रहन-सहन

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्रीजी सरलता और महानता की प्रतिकृति थे ! उनके जीवन के अनेक प्रसंग प्रेरणाप्रद हैं । जब वे देश के प्रधानमंत्री थे तब की बात है । Read more »

प्राणिमात्र में आत्मियता का भाव अनुभव करनेवाली माता पार्वती !

अपने संपू्र्ण तपश्चर्या का फल भगवान शंकर ने ली परीक्षा में एक लडके को बचाने के लिए देनेवाली पार्वती की यह कहानी हम देखेंगे । Read more »

गुरु द्रोणाचार्य एवं शिष्य अर्जुन !

शिष्य इतना जिज्ञासू हो कि गुरु का अंतःकरण अभिमान से भर जाए ! इसका उत्तम उदाहरण है अर्जुन ! प्रस्तुत कथा पढकर यह हमे ध्यान में आएगा । Read more »

स्वामी विवेकानंदजी की सीख

आप स्वामी विवेकानंदजी से तो अवश्य परिचित होंगे । वे रामकृष्ण परमहंस के परमशिष्य थे । दशदिशाओं में अध्यात्म की ध्वजा फहराते हुए उन्होंने जीवनभर अध्यात्म का प्रचार किया । विदेश में भी उनके प्रवचनों को बडी मात्रा में भीड लगी रहती थी । Read more »

छत्रपति शिवाजी महाराज और रायरेश्वर गढ

केवल १६ वर्ष की आयु में ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज स्थापित करने की प्रतिज्ञा की । गिने-चुने मावलों में धर्मप्रेम की जागृति कर उन्हें लडना सिखाया और स्वराज की संकल्पना से उन्हें अवगत कराया । Read more »

स्वामी विवेकानंदजी का उनके सद्गुरु श्रीरामकृष्ण परमहंस के प्रति का भाव !

स्वामी विवेकानंदजी धर्मप्रसार के लिए भारत के प्रतिनिधी के रूप में ‘सर्व धर्म परिषद’के लिए शिकागो गए थे । वहां उपस्थित श्रोता गणों के मन जितकर वहां ‘न भूतो न भकिष्यति !’ ऐसा अद्भभूत प्रभाव डाला । वहा घटित एक प्रसंग इस कथा से देखेंगे । Read more »