पाठशाला को विद्या का मंदिर समझकर आदर्श पद्धति से आचरण करें !

बच्चो, आगामी जीवन में सफल होने के लिए पाठशाला में प्रामाणिकता से आचरण कर एवं गुणसंपन्न बनकर हिंदुस्थान के भावी आधारस्तंभ बनें ! इसके लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखें !

पाठशाला में आचरण ऐसा हो

१. साइकिल पंक्ति में खडी करें एवं कक्षा में जाकर बस्ता रखें ।

२. पाठशालाके प्रांगण में प्रार्थना के लिए एकत्र होते समय कक्षा से पंक्ति में निकलें एवं पंक्ति में ही खडे रहें । प्रार्थना के उपरांत पुनः कक्षा में पंक्तिबद्ध होकर ही जाएं ।

३. कक्षा में जाने के पश्चात् वास्तुदेवता, स्थानदेवता तथा विद्याकी देवता श्री गणेश एवं श्री सरस्वतीदेवी को मन-ही-मन वंदन कर प्रार्थना करें, ‘आपकी कृपासे ही मुझे इस वास्तु में ज्ञान ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हुआ है । आज सिखाए जानेवाले सर्व विषयों का ज्ञान मैं एकाग्रता से ग्रहण कर पाऊं ।’

४. प्रत्येक विषय के सत्र के प्रारंभ में कुलदेवता अथवा उपास्यदेवता से प्रार्थना करें, ‘शिक्षकमें मुझे आपका रूप दिखने दीजिए एवं अब कक्षा में अध्यापक जो कुछ पढाएंगे वह मैं भलीभांति समझ पाऊं ।’

५. कक्षा के मध्य में अध्यापक से कुछ प्रश्न करना हो, तो बीच में ही ऊंचे स्वर में प्रश्न न करें । पहले हाथ ऊपर करें एवं अध्यापक की अनुमति मिलने पर ही प्रश्न करें ।

६. सत्र के (पीरियड के) अंत में देवता के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करें, ‘आपकी कृपा से शिक्षकद्वारा सिखाया विषय मैं समझ पाया । इसलिए मैं आपके चरणों में कृतज्ञ हूं ।’

७. कागद के (कागज के) टुकडे, पेंसिल छीलनेपर निकले छिलके, रबर से मिटाने पर निकलनेवाले छोटे-छोटे कण अथवा अन्य कूडा कक्षा में इधर-उधर न फेंकें, उसे कूडेदान में ही डालें । कक्षा एवं पाठशाला का परिसर सदैव स्वच्छ रखें ।

८. मित्र एवं सहेलियों से आत्मीयता से एवं प्रेम से व्यवहार करें । उनकी सदैव सहायता करें ।

९. पाठशाला के सभी शिक्षक, कर्मचारी तथा चपरासी काका से आदरपूर्वक बात करें ।

पाठशाला में आचरण ऐसा न करें !

१. कक्षा में अनुपस्थित मित्रकी उपस्थिति न लगाएं ।

२. जब कक्षा चल रही हो, तब चॉकलेट अथवा अन्य पदार्थ न खाएं ।

३. दो सत्रो के बीचके समय में कक्षा में ऊधम न मचाएं ।

४. कक्षा के बच्चों को चिढाना, मारना, उनके कपडों पर लेखनी से (पेन से) रेखाएं खींचना जैसे अनुचित कार्य न करें ।

५. अध्यापक से किसी की झूठी शिकायत न करें ।

६. पाठशाला की बही एवं पुस्तकोंपर स्याहीके धब्बे न लगाएं । इसी प्रकार, बही एवं पुस्तकों में छपे चित्रों पर दाढी-मूंछ बनाकर उन्हें कुरूप न करें ।

७. कक्षा की बेंचोंपर तथा दीवारों पर नाम लिखना अथवा रेखाएं खींचना आदि कृत्य न करें ।

८. शारीरिक प्रशिक्षण (पी.टी.) से बचने के लिए अस्वस्थता का झूठा बहाना न बनाएं ।

बच्चो, ‘पाठशाला विद्याकी देवी श्री सरस्वतीदेवी का देवालय ही है’, यह भाव रखकर इस विद्यामंदिर की पवित्रता बनाए रखें ! इससे सरस्वतीदेवी प्रसन्न होगी एवं आपको अच्छी विद्या प्राप्त होगी ।

संदर्भ : सनातन निर्मित ग्रंथ ‘ सुसंस्कार एवं उत्तम व्यवहार’

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