मैडम कामा

मैडम कामा इनकी मूल प्रतिमा

मैडम कामा का जन्म २४ सितंबर सन् १८६१में एक पारसी परिवार में हुआ । मैडम कामा के पिता प्रसिद्ध व्यापारी थे । मैडम कामाने अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त की । अंग्रेजी भाषापर उनका प्रभुत्व था । श्री. रूस्तम के. आर. कामा के साथ उनका विवाह हुआ । वे दोनों अधिवक्ता होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी थे, किंतु दोनो के विचार भिन्न थे । श्री. रूस्तम कामा उनकी अपनी संस्कृति को महान मानते थे परंतु मैडम कामा अपने राष्ट्र के विचारों से प्रभावित थीं । उन्हें विश्वास था की ब्रिटिश लोग भारत का छल कर रहे हैं । इसीलिए वे भारत की स्वतंत्रता के लिए सदा चिंतित रहती थीं । मैडम कामाने श्रेष्ठ समाजसेवक दादाभाई नौराजी के यहां सेक्रेटरी के पदपर कार्य किया । उन्होंने यूरोप में युवकों को एकत्र कर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन किया तथा ब्रिटिश शासन के बारे में जानकारी दी । मैडम कामाने लंडन में पुस्तक प्रकाशन का कार्य आरंभ किया । उन्होंने विशेषत: देशभक्तिपरआधारित पुस्तकों का प्रकाशन किया । वीर सावरकर की ‘१८५७ चा स्वातंत्र्यलढा’ (१८५७ का स्वतंत्रता संग्राम)यह पुस्तक प्रकाशित करने के लिए उन्होंने सहायता की । मैडम कामाने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए क्रांतिकारियों को आर्थिक सहायता के साथही अन्य अनेक प्रकार से भी सहायता की । सन् १९०७ में जर्मनी के स्ट्रटगार्ड नामक स्थानपर ‘अंतरराष्ट्रीय साम्यवादी परिषद’ संपन्न हुई थी । इस परिषद के लिए विविध देशों के हजारों प्रतिनिधी आए थे । उस परिषद में मैडम भिकाजी कामाने साडी पहनकर भारतीय झंडा हाथ में लेकर लोगों को भारत के विषय में जानकारी दी । मैडम कामाने फहराया हुआ यह पहला झंडा ।

तिरंगा जो मैडम कामा ने फहराया था

मैडम भिकाजी कामाने भारत का पहला झंडा फहराया उसमें हरा,केसरीया तथा लाल रंग के पट्टे थे । लाल रंग यह शक्ति का प्रतीक है, केसरीया विजय का तथा हरा रंग साहस एवं उत्साह का प्रतीक है । उसी प्रकार ८ कमल के फूल भारत के ८ राज्यों के प्रतीक थे । ‘वन्दे मातरम्’ यह देवनागरी अक्षरों में झंडे के मध्य में लिखा था । यह झंडा वीर सावरकरजीने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर बनाया था ।

भारतीय डाक मुद्रांकपर अंकित मैडम कामाजी की प्रतिमा ।

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