सुपरमैन जैसे काल्पनिक पात्रों के प्रति आकर्षण रखने की अपेक्षा सर्वशक्तिमान ईश्वर को जाने !

काल्पनिक पात्र का वास्तव में शक्तिमान न होना तथा इस कारण उनसे कभी भी हमारी सहायता न हो पाना

वर्तमान में छोटे बच्चों के लिए स्पाइडरमैन, सुपरमैन, शक्तिमान जैसे काल्पनिक पात्रों की मनोरंजनात्मक मालिकाएं दूरदर्शनपर दिखाई जाती हैं । ये काल्पनिक पात्र संकट-काल में समाज की सहायता करते हुए और अन्यों का कल्याण करने हेतु प्रयास करते हुए दिखाई देते हैं । इन पात्रों को उडना, अदृश्य होना, चलती रेल (ट्रेन)को रोकना आता है एवं वे उंगलियों से बंदूक समान गोलियां अथवा विनाशकारी किरणें छोड सकते हैं । इन सबकी सहायता से वे अनिष्ट व्यक्तियों का नाश करते दिखाए जाते हैं । इसलिए बच्चों में इन पात्रों के प्रति अत्याधिक आकर्षण निर्माण होता है । उन्हें लगता है कि, ये पात्र संकट में हमारी भी सहायता करेंगे । परंतु ये सब पात्र केवल काल्पनिक ही हैं, उनका वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं है । अतः यदि हम संकट के समय उन्हें पुकारेंगे, तो वे कभी भी हमारी सहायता नहीं कर पाएंगे ।

काल्पनिक पात्र सहायता करेंगे, ऐसा समझकर बच्चोंद्वारा कृत्य करने से बच्चों की हानि होना

कुछ बच्चे इन काल्पनिक पात्रों की कथाएं देखते अथवा पढते रहते हैं तथा उनके जैसी वेशभूषा भी करते हैं । इस प्रकार के पात्र वास्तव में जीवित हैं, ऐसा लगने से बच्चों की कितनी हानि होती है, इसका एक उदाहरण इस प्रकार है । दूरदर्शनपर दिखाया जानेवाला ‘शक्तिमान’ नामक धारावाहिक में एक बुरा व्यक्ति ऊंची इमारत से बच्चों तथा बडों को नीचे फेंक रहा होता है कि तभी शक्तिमान उडते हुए आकर उन्हें बचाता है । यह देखकर कुछ बच्चों को लगा कि, ‘शक्तिमान बच्चों को बचाने आता है’ तथा वे वास्तव में ऊंचे भवन से नीचे कूद गए । यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि, उस समय शक्तिमान उन्हें बचाने के लिए नहीं आया ।

काल्पनिक पात्रों की गति की अपेक्षा हनुमानजी की गति एवं शक्ति अधिक होना

१. हमें काल्पनिक स्पाइडरमैन अथवा सुपरमैन का अचरज लगता है कि वह कितनी तीव्र गति से आकाश में उडता है; परंतु भगवान हनुमानजी की गति केवल इन काल्पनिक पात्रों से ही नहीं; अपितु मन की गतिसे भी अधिक है । प्रभु श्रीरामचंद्र एवं रावण के युद्ध में इंद्रजीतद्वारा छोडी गई शक्ति से लक्ष्मणजी मूच्र्छित हो गए । उस समय वैद्यराज ने द्रोणागिरी पर्वत से ‘संजीवनी बूटी’ लाने के लिए कहा । उसे लाने के लिए हनुमानजी ने रातोंरात प्रबल वेग से अनेक योजन लम्बी उडान भरी तथा ‘संजावनीबूटी’ की पहचान न होने के कारण वे द्रोणागिरी पर्वत ही उठा लाए  एवं लक्ष्मण के सचेत होते ही उसी रात वे पर्वत पुनः वहीं जाकर रख आए । यह सब उन्होंने अति तीव्र गति से किया; इससे सहज ही ज्ञात होता है कि हनुमानजी कितने शक्तिशाली हैं ।

२. अशोक वाटिका में जब हनुमान जी सीताजी से मिले, तब उन्होंने सीताजी से उनके साथ चलने की प्रार्थना की । उनका लघु रूप देखकर सीताजी के मन में उनके बल के विषय में शंका निर्माण हुई । तब हनुमानजी ने उन्हें अपना विशाल रूप कर के दिखाया ।

– कु. इंद्राणी पुराणिक, गोवा.

अतः बच्चों,  स्पायडरमॅन, सुपरमॅन, शक्तीमान जैसे काल्पनिक पात्रों के प्रति आकर्षण रखने की अपेक्षा सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान  एवं सर्वव्यापी ईश्वर को जानने की जिज्ञासा रखें ।

देवता केवल कल्पना नहीं हैं, उनका अस्तित्व है; यह समझने के लिए ‘साधना’ करें !

हिंदु धर्म में बताए भगवान काल्पनिक नहीं हैं; अपितु उनका अस्तित्व है । ‘साधना’ करनेवालों को तथा भाव एवं उत्कंठा रखनेवालों की ही भगवान सहायता करते हैं । सनातन के संस्कारवर्ग में आनेवाले सैकडों बच्चों को इसकी अनुभूतियां हुई हैं इसलिए बच्चों, स्पाइडरमैन, सुपरमैन, शक्तिमान जैसे काल्पनिक पात्रों के प्रति आकर्षण रखने की अपेक्षा सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान एवं सर्वव्यापी ईश्वर को समझने की जिज्ञासा रखिए तथा अधिकाधिक ‘साधना’ कीजिए !

संदर्भ : सनातन निर्मित ग्रंथ ‘ सुसंस्कार एवं उत्तम व्यवहार’

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