राष्ट्राभिमानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस ! 

भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अनेक क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया है । उन्हीं क्रांतिकारियों में से एक क्रांतिकारी थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस । बालक सुभाष बचपन से ही राष्ट्राभिमानी थे । उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए देश के युवकों को आवाहन कर नारा दिया था कि, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा ।’ उन्होंने ‘आजाद हिन्द सेना’ की स्थापना भी की थी । Read more »

ईमानदार स्वामी विवेकानंद ! 

बचपन से ही स्वामी विवेकानंदजी में एक असाधारण प्रतिभा थी । वह जब बात करने लगते तो प्रत्येक व्यक्ति उन्हें ध्यानमग्न होकर सुनने लगता । एक दिन पाठशाला में उनकी कक्षा में वे अपने मित्रों से बात कर रहे थे । उसी समय उनके शिक्षक उनकी कक्षा में आ पहुंचे और उन्होंने अपना विषय पढाना आरंभ कर दिया । परन्तु नरेंद्र की बात सुन रहे छात्रों को कक्षा में शिक्षक आने का पताही नही चला । वे नरेंद्र को सुनते ही रहें । Read more »

लालबहादुर शास्‍त्रीजी की प्रामाणिकता !

हम लालबहादुर शास्‍त्रीजी की यह कथा सुनते हैं । इससे पहले हमने उनकी सरल जीवन पद्धति के बारे मे जान लिया था । आज हम उनके जीवन का एक प्रसंग देखते हैं, जिससे हमें प्रेरणा मिलेगी । शास्‍त्रीजी उनकी सत्‍यनिष्‍ठा और प्रामाणिकता के लिए जाने जाते हैं । Read more »

हिन्‍दू संस्‍कृतिका सम्‍मान करनेवाले स्‍वामी विवेकानंदजी !

स्‍वामी विवेकानंदजी शिकागो गए थे । वहां भी वे केसरिया वेशभूषा पहनते थे । स्‍वामीजी को देखकर कुछ व्‍यक्‍ति उनके सामने आए । वे स्‍वामीजी से बोले, ‘‘हैलो, हाऊ आर यू ?’’(Hello, how are you?) अर्थात आप कैसे हैं ? तब स्‍वामीजी ने हाथ जोडकर कहा, ‘‘नमस्‍कार !’’ Read more »

दानवीर भामाशाह !

एक समय ऐसा आया जब अकबर से लडते हुए महाराणा प्रताप को अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का त्‍याग करना पडा । इस समय महाराणा के सम्‍मुख सबसे बडी समस्‍या धन की थी । भामाशाह को जब महाराणा प्रताप के इन कष्टों का पता चला, तो उन्‍हें बहुत दुःख हुआ । उनके पास स्‍वयं का तथा पुरखों का कमाया हुआ अपार धन था । उन्‍होंने यह सब महाराणा के चरणों में अर्पित कर दिया । Read more »

धर्म के लिए प्राणों की आहुति देनेवाले जोरावरसिंह और फतेहसिंह

गुरु गोविंदसिंहजी मुगलों के साथ आजादी की लडाई लड रहे थे । जब युद्ध चल रहा था, तो ये दोनों लडके अपने पितासे बिछड गए । उस समय जोरावरसिंह केवल ८ वर्ष और फतेहसिंह केवल ५ वर्ष के थे । पिता से बिछडने पर इन्‍हें दुष्‍ट औरंगजेब के दुष्‍ट सूबेदार वजीरखान ने पकड लिया और बन्‍दी बना लिया । Read more »

बचपन से ही वीर, साहसी वृत्ती रहनेवाले लौहपुरुष सरदार वल्लभभार्इ पटेल !

‘भारत के लौह-पुरुष के नाम से सरदार वल्लभभार्इ पटेल जगप्रसिद्ध हुए । उनका जन्म ३१ अक्टूबर १८७५ को गुजरात के नडियाद गांव में हुआ था । Read more »

हिंदी भाषा की रक्षा हेतु स्वातंत्र्यवीर सावरकरद्वारा किए गए प्रयत्न

स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी ने अपने क्रांतीकारी जीवनकार्य में भाषा की ओर भी ध्यान दिया । हिंदी भाषा की रक्षा के लिए कौन से प्रयत्न किए यह इस लेख से हम देखेंगे । Read more »

छ. शिवराय का महत्त्व जाननेवाले और लोकमान्य तिलक की सहायता करनेवाले रवींद्रनाथ टैगोर !

तिलकजी के स्वराष्ट्र प्रेम के विषय में रवींद्रनाथजी के मन में नितांत आदर था । तिलकजी के मन में भी रवींद्रनाथ की विद्वत्ता और कार्य के विषय में कोई संदेह नहीं था । Read more »