सर्वस्व का त्याग करना केवल संतों को ही संभव होना है !

ऋदि्ध-सिदि्ध एवं संपत्ति का मन से त्याग करनेपर ही भगवद्प्राप्ति होती है यह बात साबित करनेवाली संत तुकाराम महाराजची की प्रस्तुत कथा… Read more »

श्री गुरुनानकजी की ईश्वरभक्ति

गुरुनानकजी सिक्ख पंथ के संस्थापक हैं । बचपन से ही वे र्इश्वर की भक्ति करते थे । मन से आर्तता से भगवान को प्रार्थना कर गुरुनानकजी ने दुसरों के खेतों की कैसे रक्षा की यह इस कथा से हम देखेंगे । Read more »

भक्त शिरोमणी संत नरसी मेहता तथा ‘केदार’ राग का जादू !

संत नरसी मेहता की भगवान श्रीकृष्ण पर दृढ श्रद्धा होने के कारण राजाने उनकी ली हुर्इ कठीन परीक्षा में वे कैसे सफल हुए यह इस कहानी से हम देखेंगे । Read more »

एकनाथ महाराजजी का सामर्थ्य

पैठण में एकनाथ महाराज के एक शिष्य रहते थे । उन्हें सभी प्राणियों में परमेश्वर दिखाई देते थे । वे प्रत्येक को साष्टांग नमस्कार करते थे । इसलिए लोग उनकी खिल्ली उडाते हुए उन्हें ‘दंडवत स्वामी’ कहते थे । Read more »

जहां भक्ति वहां ईश्वर की बस्ती

मंगलवेढा के संत चोखामेला की विट्ठलभक्ति अपार थी । वे निरंतर विट्ठल के नामस्मरण में ही मग्न रहते थे । प्रत्यक्ष भगवान विठ्ठल ने उनके घर आकर भोजन किया इसे देखकर लोगों को उनकी महानता का प्रत्यय आया । Read more »

कवि कालिदासजी की कुशाग्र बुदि्धमत्ता

भोजराजा की राजसभा में कालिदास नामक एक महान विद्वान कवि थे । स्वयं राजा भोज भी अनेक निर्णय लेने में कवि कालिदास के मत सुनते थे । कालिदास सभी विद्वानों का आदर करते थे । कवि कालिदासजी की ऐसी ही कुशाग्र बुदि्धमत्ता प्रतीत करनेवाली यह कहानी है । Read more »

ईश्वरीय अवधान में निरंतरता का आनंद

बाह्यरूप से हम कोई भी काम कर रहे हों, परंतु अंतर्मन से निरंतर ईश्वर के अवधान में रहना चाहिए। निरंतर ईश्वर का नाम लेने से हमारा प्रत्येक कृत्य ईश्वर की इच्छा के अनुसार होता है । ऐसा विचार होने से हमें शांति तथा समाधान मिलता है । Read more »

संतों की क्षमाशीलता (संतों का क्षात्रधर्म)

संत तुकाराम महाराजजी की अपकीर्ति करनेवाले कुछ लोंगो को अपनी लीला दिखाकर उनको क्षमा करके चूक स्वीकारनेपर मजबूर कर दिया । तथा उन्हे उस कृत्य के लिए क्षमा भी कर दी । ऐसी क्षमाशीलता प्रतीत करनेवाली कहानी यहा देखेंगे । Read more »