बचपन से ही अलौकिक तत्त्व के स्वामी (आद्यगुरु) शंकराचार्य

बालमित्रों, भगवान शंकराचार्य भारतवर्ष की एक दिव्य विभूति हैं । उनकी कुशाग्र बुद्धि को दर्शानेवाली एक घटना है । सात वर्ष की आयु में ही शंकर के प्रकांड पांडित्य तथा ज्ञानसामथ्र्य की कीर्ति सर्व ओर पैâलने लगी । Read more »

ज्ञानेश्वरी की विशेषताएं

‘ज्ञानेश्वरी’ ग्रंथ महाराष्ट्र के संत ज्ञानेश्वर ने बारहवीं शताब्दी में लिखा । शक १२१२(इ.स.१२९०)में प्रवरा तटपर स्थित नेवासे गांव के मंदिर में एक खंभे का आधार लेकर संत ज्ञानेश्वर ने भगवत गीता का भाष्य किया….. Read more »

टेंबेस्वामी : श्री वासुदेवानंद सरस्वती

इनको श्री टेंबेस्वामीजीके नामसे भी जाना जाता है । इनका वास्तविक नाम वासुदेव था; पिताजीका नाम गणेशभट्ट, माताजीका नाम रमाबाई और दादाजीका नाम हरीभट्ट था । Read more »

संतों की सर्वज्ञता

बच्चों, संत ईश्वर का सगुण रूप होते हैं । इसलिए ईश्वर के सभी गुण उनमें दिखाई देते हैं । संतोंपर श्रद्धा होनेवाले भक्तों को इसकी प्रचीती अनेक बार आती है; परंतु कुछ लोगों को इसपर विश्वास नहीं रहता । Read more »

महान विठ्ठलभक्त संत सेनाजी

बच्चों, महाराष्ट्रकी संत शृंखलामें मध्यप्रदेश प्रांतके संत सेना महाराजजी भक्तिमेंअद्वितीय स्थान रखते हैं । उनका जन्म मध्यप्रदेशके बांधवगड संस्थानमें हुआ । वेपंढरपुरके एक महान वारकरी संत थे । Read more »

भक्तवत्सल पांडुरंग

बालमित्रो, पांडुरंग के परमभक्त संत तुकाराम निरंतर पांडुरंग के नाम में तल्लीन रहते थे । उनके घर में उनके पिताजी का श्राद्ध था । श्राद्ध का अर्थ है मृत हुए व्यक्ति की पुण्यतिथि । Read more »

ब्राह्मण की दरिद्रता गुरुकृपा से गई !

बालमित्रो, अक्कलकोट के स्वामी समर्थजी भगवान दत्तात्रेय के तीसरे अवतार हैं । उन्होंने अनेक भक्तोंपर कृपा की है । उनमें से एक हैं, आज की कथा के गरीब ब्राह्मण.. Read more »