छत्रपती शिवाजी महाराज जैसा आदर्श राजा बनाना ही खरा शिवराज्याभिषेक दिन !

विद्यार्थी मित्रो, ज्येष्ठ शुक्ल पक्षत्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११५ को शिवराज्याभिषेक दिन है । आज के शासकों की मानसिकता देखकर हमें ज्ञात होगा कि आज छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे राजा की आवश्यकता क्यों है । शिवाजी महाराज जैसे राजा के कारण ही राष्ट्र की, धर्म की एवं हमारी भी रक्षा होगी । मित्रो, आज हम अपने शासकों को राष्ट्र की करोडों रुपयों की संपत्ति लूटते हुए देखते हैं । आज भ्रष्टाचारी, चरित्रहीन तथा अनेक अपराधों में लिप्त शासक इस देश में राज्य कर रहे हैं । क्या ऐसे दुर्गुणी शासक हमारी तथा हमारे राष्ट्र की रक्षा कर पाएंगे ? नहीं न ? इसलिए, आज के दिन, ऐसे शासकों को सत्ता की कुर्सी से हटाकर, शिवाजी महाराज जैसे शासकों को चुनकर लानेका निश्चय करना ही, खरा शिवराज्यभिषेक दिन मनाना है ।

१. देवताओं का सर्वत्र अनादर हो रहा है, देश एवं धर्म की स्थिति विकट है, ऐसे समय छ. शिवाजी की भांति हिंदुओं का रक्षक मिलना आवश्यक ।

शिवाजी राजा का राज्यभिषेक होने से पूर्व हमारी माता-बहनें असुरक्षित थीं । स्त्रियोंपर अनेक अत्याचार होतेथे । उनका कोई रक्षक नहीं था । हिंदुओंपर अत्याचार कर उन्हें मुसलमान बनाया जाता था । अर्थात उस समय भी हमारे देवालय, देश, धर्म इत्यादि संकट में थे । हिंदुओं का कोई रक्षक नहीं था । ऐसी विकट परिस्थिति में शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ तथा जनता को माता-पिता समान प्रेम करनेवाला, उनका ध्यान रखनेवाला राजा मिला । इसलिए, उस काल में प्रजा सुखी थी तथा अपने राजा शिवाजी से प्राणों से भी अधिक प्यार करती थी ।आज, हमें भी लगता है न कि हमारा राजा छ. शिवाजी महाराज जैसा हो !

२. छत्रपतिशिवाजी के स्फूर्तिदायक इतिहास को छिपाने के लिए आज के शासकोंद्वारा किए जा रहे प्रयास !

२ अ. विद्यलयों में झूठा तथा मनगढंत विकृत इतिहास पढाना : एन.सी.ई.आर.टी.की पुस्तकों में झूठा इतिहास पढाया जाता है कि हमारे आदर्श राजा शिवाजी महाराज लुटेरे थे तथा लुटेरे ही उस काल के आदर्श शासक थे ।अकबरने अनेक हिंदू स्त्रियों का चारित्र भ्रष्ट किया, तो भी वह आदर्श था, यह बच्चों के मनपर अंकित करने के लिए पाठ्य पुस्तक में पृष्ठ-के-पृष्ठ भरकर वर्णन किए गए हैं । किंतु, जिसका संपूर्ण विश्वने आदर्श राजा कहकर गौरव किया है, ऐसे छ. शिवाजी का परिचय केवल चार पंक्तियोंमें लिखा जाता है ।

मित्रो, इन राष्ट्रद्रोही शासकोंने हमारी पाठ्यपुस्तक से शिवाजी महाराज का तथा महाराजद्वारा वध होते हुए विदेशी आक्रमणकारी अफजलखान के चित्र को भी हटा दिया है ।

२ आ. जिस रायगढ दुर्गपर शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था, वहां उनकी जयंती मनानेपर प्रतिबंध लगा दिया गया है । तो मित्रो, खरा इतिहास छिपानेवाले हमारे वर्तमान शासक हमपर कौन-सा संस्कार करना चाहते हैं ?

३. आज के शासकों का वास्तविक रूप

३ अ. बचपन से विषमता का बीज बोना : हम विद्यालय में जाते हैं, तो कक्षा में पूछा जाता है कि तुम्हारी जाति क्याहै ? तुम्हें छूट मिलेगी, क्योंकि तुम किसी विशिष्ट जाति के हो । उसी प्रकार तुम्हें परीक्षा में अल्प अंक मिले हों,तो भी चिंता की बात नहीं, विद्यालय में प्रवेश मिल ही जाएगा ! अर्थात, विद्यार्थी जीवन से ही हमारे मन में विषमता का बीज बोया जा रहा है । हमें ऐसे शासक नहीं चाहिए । प्रत्येक बच्चे को उसकी गुणवत्ता के आधारपर प्रवेश मिलना चाहिए, फिर वह किसी भी जातिका हो । इससे समाज में समानता एवं बच्चों में एकता की भावना उत्पन्न होगी ।

छत्रपतिशिवाजी महाराज अपनी सेना में युवाओं को भरती करते समय, यह नहीं देखते थे कि वह किस जातिका है । वे यह देखते थे कि जिसे चुनना है, वह युवक सैनिक का कार्य अच्छी प्रकार से कर पाएगा अथवानहीं । हमें, ऐसा ही राजा चाहिए, जो सभीके साथ समानता का बरताव करे तथा एकता की भावना बनाए रखकर राष्ट्र की रक्षा हेतु युवा पीढी का निर्माण करे ।

३ आ. बच्चों के खाद्यपदार्थ तथा सुगंधी दूध में मिलावट करना : वैसे तो राजा को मां समान होना चाहिए; जो अपने बच्चों की सब प्रकार से रक्षा करती है । परंतु, हमारे आज के इन शासकों को हमारे प्राणों की कोई चिंता नहींहै । जो शासक विद्यार्थियों को दिए जानेवाले भोजन तथा दूध में भी भ्रष्टाचार करते हैं, क्या वे कभी हमारी रक्षा करेंगे ? असंभव । ऐसे शासकों का धिक्कार करना ही खरा शिवराज्याभिषेक दिन मनाना है ।

३ इ. जनता को भूखा रखकर अन्न से शराब बनाने के लिए प्रोत्साहन देना : आज हमारे देश में ४० प्रतिशत जनता भूखी है । जनता के खाने के लिए अनाज न होने से वह भूखों मर रही है । फिर भी, अनाज से मदिरा, अर्थात शराब बनाई जाती है । ऐसे घोर स्वार्थी शासकों को मनुष्य भी कहें, तो किस मुंह से ? उन्हें तो राज्य करनेका भी अधिकार नहीं है ? आज के दिन उन्हें हटाने का निश्चय करना ही खरा शिव राज्याभिषेक दिन मनाना है । तो बच्चों, आइए, हम सब मिलकर ऐसे दुष्ट शासकों को हटाने का निश्चय करें !

३ ई. पाश्चात्यों का अनुकरण करनेवाले चित्रपट तथा विज्ञापनों से बच्चोंपर कुसंस्कार होंगे, इसका विचार नकरना : आज हमपर अच्छे संस्कार हों, इस हेतु कौन-सा माध्यम उपलब्ध है ? सभी चित्रपटों में मारामारी, हत्या एवं डकैती करना दिखाया जाता है । इससे हमपर कौन-से संस्कार होंगे ? चित्रपट एवं विज्ञापनों में शरीरपर छोटे कपडे पहने लडकियां एवं लडके दिखाए जाते हैं । यह सब हमें संस्कारित करने के लिए दिखाया जाता है अथवा बिगाडने के लिए ? हमें ऐसे शासक नहीं चाहिए, जो हमपर राष्ट्र, धर्म एवं भारतीय संस्कृति के संस्कार नहीं करते । आइए, हम ऐसे शासकों को हटाने का दृढ निश्चय करें !

३ उ. बच्चोंपर विदेशी भाषा लादकर उन्हें स्वभाषा से वंचित करना : आप हमें बचपन से विदेशी भाषा में शिक्षाक्यों देते हैं ? जिसकी मातृभाषा अच्छी है, वह अन्य भाषा भी सहजता से सीख सकता है । इस विदेशी भाषा के कारण हमारे मन में तनाव उत्पन्न होता है एवं न्यूनगंड उत्पन्न होकर निराशा आती है । हमें मातृभाषा में ही शिक्षादें । हमें अपने देवताओं की जानकारी तथा जीवन के सभी मूल्य सिखानेवाले रामायण-महाभारत की शिक्षा दें ।भावी पीढी सक्षम बने, ऐसा विचार न करनेवाले आज के शासक हमारी किसी समस्या का समाधान नहीं करसकते ।

विद्यार्थी मित्रो, ऐसे शासक हमें अच्छे लगते हैं क्या ? नहीं न ? हमें छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे राजा चाहिएन ? तो आइए, हम भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रार्थना करें, ‘हे श्रीकृष्ण, हमें शिवाजी महाराज जैसे शासक शीघ्रतिशीघ्र मिलें, आदर्श राज्य का प्रभात देखने के लिए मिले, यह आपके चरणों में प्रार्थना है !

– श्री. राजेंद्र पावसकर (गुरुजी), पनवेल.