स्‍वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया क्या है ?

आज के युग में सफल होने के लिए (कैरियर बनाने के लिए) बौद्धिक क्षमता के साथ-साथ पूरे व्‍यक्‍तित्‍व का विकास होना भी आवश्‍यक है । स्‍वयं को हीन समझना, भय, चिन्‍ता, निराशा आदि स्‍वभावदोषों से मन दुर्बल बनता है । स्‍वार्थ, द्वेष, चिडचिडापन जैसे दोषों के कारण, सभी सुविधाएं होते हुए भी सुख-सन्‍तोष नहीं मिलता । जीवन में निरन्‍तर आनन्‍द में रहने के लिए स्‍वभावदोष दूर करने हेतु निरन्‍तर और लगनसे करना आवश्‍यक होता है । स्‍वभावदोष दूर होने पर बच्‍चों में आन्‍तरिक सुधार होने पर ही खरे अर्थों में व्‍यक्‍तित्‍व का विकास होगा ।

‘स्‍वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया’ का अर्थ है, स्‍वभावदोष दूर करना । ‘स्‍वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया’ अर्थ है, स्‍वभावदोष दूर करने के लिए उचित पद्धति से और नियमित की जानेवाली एक विशिष्‍ट ।

१. ‘स्‍वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया’ का महत्त्व

अ. सुखी एवं आदर्श जीवन जी पाना

स्‍वभावदोषों से हानि कैसे होती है यह आपको उपरोक्‍त विवेचन से स्‍पष्‍ट हुआ होगा । संक्षेपमें, स्‍वभावदोषों से जीवन दुःखी एवं निराशाजनक हो जाता है । स्‍वभावदोष- निर्मूलन दोष नियन्‍त्रण में आते हैं और स्‍वयं में गुणों का विकास होता है; जिससे जीवन सुखी एवं आदर्श बनता है ।

आ. व्‍यक्‍तित्‍व का वास्‍तविक विकास होना

अनेक बालक अपना व्‍यक्‍तित्‍व आदर्श बनाने के लिए उच्‍च शिक्षा करना, क्षेत्र में कुशलता करना, विविध भाषाओं का अध्‍ययन करना, परीक्षाएं देना, व्‍यायाम एवं खेलद्वारा शरीर सक्षम बनाना, ऐसे विविध मार्ग अपनाते हैं ।

बच्‍चो, अनेक दोषों से युक्‍त व्‍यक्‍तित्‍व क्‍या किसी को अच्‍छा लगेगा? वास्‍तव में अपना भयग्रस्‍त स्‍वभाव, लोगों से बात न कर पाना, कम बोलना, अन्‍यों का विचार न करना इत्‍यादि स्‍वभावदोष दूर करने से व्‍यक्‍तित्‍व का वास्‍तविक विकास होता है । ऐसा दोषरहित व्‍यक्‍तित्‍व ही अन्‍य व्‍यक्‍ति अथवा समाज को कर सकता है; इसलिए व्‍यक्‍तित्‍व विकास के लिए स्‍वभावदोष नष्‍ट करना अनिवार्य है ।

इ. जीवन के कठिन सहजता से सामना कर पाना

अनेक बालक कठिन विचलित हो जाते हैं । स्‍वभावदोष-निर्मूलन मन एकाग्र एवं दृढ होने के साथ विवेक बुद्धि भी जागृत होती है । इससे कठिन स्‍थिर रह पानेके साथ ही हम मन को अनुचित अथवा अविचारी क्रिया करने से रोक सकते हैं ।

ई. आजके शीर्षपर रह पाना

स्‍वभावदोष-निर्मूलन करने से मन की शक्‍ति अनावश्‍यक बातों पर व्‍यय नहीं होती । इससे व्‍यक्‍ति की कार्यक्षमता का परिपूर्ण उपयोग होता है । इससे आज के शीर्ष पर रहना सम्‍भव होता है ।

 २. स्‍वभावदोषों पर विजय करने के लिए रूपरेखा

बालको, स्‍वभावदोषों पर विजय करने के लिए निम्‍नलिखित रूपरेखा समझ लें !

१. अपने स्‍वभावदोषों की सूची बनाना

२. स्‍वभावदोष सारणी लिखना

३. स्‍वसूचना बनाना

४. सूचना सत्र करना

५. दण्‍ड अथवा लेना

६. नामजप करना एवं स्‍वभावदोष-निर्मूलनके लिए करना

७. दोष-निर्मूलन ब्‍यौरा दूसरे को देना

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