स्‍वभाव के गुण-दोषों का व्यक्तित्व पर क्‍या परिणाम होता है ?

१. ‘स्‍वभाव’ का निर्धारण कैसे होता है ?

व्‍यक्‍ति का आचरण एवं उसके बोलने के ढंग से उसका स्‍वभाव निर्धारित होता है । कोई लडका अपनी वस्‍तुएं मित्रों को उपयोग करने देता है, तो उसे ‘दूसरों की सहायता करनेवाला’ कहा जाता है । यदि कोई लडका छोटी-छोटी बातोंसे क्रोधित हो जाता है, तो उसे ‘क्रोधी’ स्‍वभाव का कहते हैं । यदि कोई लडकी उसे बताया गया छोटा-मोटा काम भूल जाती है, तो उसे ‘भुलक्‍कड’
कहते हैं । संक्षेप में, बालक के (लडका/ लडकी के) आचरण एवं बोलनेके ढंग से उनका स्‍वभाव निर्धारित होता है।

२. स्‍वभाव के गुण-दोषों का क्‍या परिणाम होता है ?

बालक के स्‍वभाव के गुणों के कारण वह सबको लिगता है तथा उसके स्‍वभावदोषों के कारण सब उससे दूर रहने का करते हैं । गुणों के कारण बालक रहता है तथा दोषों के कारण बालक दुःखी होता है।

३. स्‍वभावदोषों के कारण बालकों की होनेवाली सर्वसाधारण हानि

अधिक स्‍वभावदोषों से युक्‍त बालकों के जीवन में मानसिक तनाव बढानेवाले एवं दुःख देनेवाले अनेक निर्माण होते हैं । इससे वे
बालक निराश एवं दुःखी होते हैं । इसके अतिरिक्‍त उनकी किस हानि हो सकती है, यह निम्‍नलिखित उदाहरणों से समझ सकते हैं ।

अ. विद्यार्थी जीवन के सन्‍दर्भ में हानि

१. बालकों की पढाई में एकाग्रता घटती है ।

२. उनका आत्‍मविश्‍वास अल्‍प हो जाता है ।

३. उनका गृहकार्य (होमवर्क) निर्धारित समयमें पूर्ण नहीं होता ।

४. उनकी अपने मित्रों के साथ नहीं बनती ।

आ. अन्‍य हानि

१. बालक एकान्‍ति स्‍वार्थी, चिडचिडे एवं क्रोधी बनते हैं ।

२. ऐसे बालकों के व्‍यसनाधीन होने की सम्‍भावना अधिक होती है ।

३. ऐसे बालक कुसंग में (बुरी संगत में) पडकर चोरी करना, गुण्‍डागर्दी करना, इस आचरण करने लगते हैं ।

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