चराचर में भगवान का अस्‍तित्‍व !

बालमित्रो संत नामदेव महाराज महाराष्‍ट्र के महान संत थे । संत नामदेव महाराजजी गांव-गांव जाकर प्रवचन करते थे ।
एक दिन महाराज अपने शिष्‍यों को ज्ञान-भक्‍ति का प्रवचन दे रहे थे । उस समय श्रोताओं में बैठे एक शिष्‍य ने पूछा, ‘‘गुरुदेव, आप कहते हैं कि ईश्‍वर सृष्‍टि के कण कण में ईश्‍वर का वास होता है; परंतु वह हमें कभी दिखाई क्‍यों नहीं देते?’, ‘हम कैसे मान लें कि ईश्‍वर सचमुच हैं’ और यदि हैं, तो ‘हम उन्‍हें कैसे प्राप्‍त कर सकते हैं ?

शिष्‍य की बात सुनकर संत नामदेवजी महाराज मुस्‍कुराए और बोले, ‘आज हम ईश्‍वर के अस्‍तित्त्व के बारे में जान ही लेते हैं । इतना कहकर उन्‍होंने एक शिष्‍य को एक लोटा पानी और थोडा सा नमक लाने के लिए कहा । शिष्‍य तुरंत पानी और नमक लेकर आ गया । वहां बैठे शिष्‍यों को उत्‍सुकता थी कि महाराज पानी और नमक के माध्‍यम से ईश्‍वर का अस्‍तित्‍व कैसे सिद्ध करेंगे ।

संत नामदेव महाराजजी ने पुनः उस शिष्‍य से कहा, ‘‘वत्‍स, अब तुम नमक को लोटे में डालकर उसे पानी में घोल दो । शिष्‍य ने ठीक वैसा ही किया । नामदेव महाराजजी ने वह लोटा सभी को दिखाया और बोले, ‘‘बताइये, क्‍या इस पानी में किसी को नमक दिखाई दे रहा है ?’’ सब शिष्‍यों ने ‘नहीं’ कहकर सिर हिला दिए ।

उसके बाद संत नामदेव जी ने पूछा, ठीक है ! अब आपमें से कोई एक जन आकर इसे चख कर देखे और बताए क्‍या चखने पर नमक का स्‍वाद आ रहा है ? एक शिष्‍य पानी चखते हुए बोला, ‘‘हां । नमकीन स्‍वाद आता है ।’’

अब महाराजजी ने दूसरे शिष्‍य को बुलाकर पानी उबालने के लिए कहा । कुछ देर तक पानी उबलता रहा । जब सारा पानी भाप बन कर उड गया, तो महाराजजी ने पुनः शिष्‍यों को लोटे में देखने को कहा और पूछा, ‘‘क्‍या अब आपको इसमें कुछ दिखाई दे रहा है ?’’ एक शिष्‍य बोला, ‘‘जी, हमें नमक के कण दिख रहे हैं ।’’

संत नामदेव जी मुस्‍कुराए और अपने शिष्‍यों को समझाते हुए बोले,‘‘जिस प्रकार तुम पानी में नमक का स्‍वाद तो अनुभव कर पाए पर उसे देख नहीं पाए । उसी प्रकार से इस संसार में आपको ईश्‍वर दिखाई नहीं देते इसका अर्थ यह नहीं है कि ईश्‍वर हैं ही नहीं । आप उन्‍हें उनके नाम से अनुभव कर सकते हो । जहां भगवान का नाम है, उस नाम के साथ उनकी शक्‍ति भी कार्यरत रहती है । नामजप करने से हमें उनके अस्‍तित्‍व का भान होने लगता है । जिस प्रकार से अग्‍नि के ताप से पानी भाप बन कर उड गया और नमक दिखाई देने लगा । उसी प्रकार हम नामजप करते हैं, तो हमारे मन के विकार, गलत सोच आदि का अंत हो जाता है और हमारे मन में बसे भगवान को हम अनुभव कर सकते हैं ।