नारियल पूर्णिमा

श्रावण मास में आनेवाले हिंदुओं के त्यौहारों का महत्व !

विद्यार्थी मित्रो, आदर्श हिंदू संस्कृति में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। ‘यह त्यौहार क्यों एवं कैसे मनाएं ? उसके पीछे क्या शास्त्र है ?’, यह हमें कोई नहीं बताता । इसलिए हमारे त्यौहारों में अनेक विकृतियां (शास्त्रों में बताए अनुसार त्यौहार न मनाना व बुराइयां) उत्पन्न हो गई हैं । इसीलिए हमें अपने ही त्यौहारों के विषय में आदर एवं अपनापन नहीं रहा । मित्रो, यह सही है क्या ? हमारे त्यौहार अर्थात ऐसे ही किसी को लगा अथवा किसी के मन में आया; इसलिए हम नहीं मनाते हैं। समाजपर अच्छे संस्कार हों एवं सभी की ईश्वरपर श्रद्धा बढे’, इसीलिए हमारे ऋषीमुनियोनें इन त्यौहारों की निर्मिती की है ।

मित्रो, हम सभी प्रत्येक त्यौहार भावपूर्ण मनाने का निश्चय करेंगे । प्रत्येक के मन में हमारे (हिंदुओं के) त्यौहारों के विषय में आदर एवं भक्तिभाव निर्माण करेंगे । हिंदू धर्म के प्रत्येक त्यौहार के पीछे का उद्देश्य जान लें, तो हम आदर्श एवं आनंदमय जीवन जी सकते हैं ।

नारियल पूर्णिमा

१. श्रद्धा एवं प्रार्थना की शक्ति के कारण वर्षा होना : मित्रो, एक कहानी बताता हूं । एक गांव में एक वर्ष तक वर्षा ही नहीं हुई । तब गांव के लोगोंने निश्चय किया, ‘हम गांव के खुले स्थानपर जाकर वरुणदेवता को प्रार्थना करेंगे, जिससे वर्षा होगी ।’ उसके अनुसार गांव के (श्रद्धालू) लोग प्रार्थना करने गए । एक बच्चेने अपने साथ छाता लिया । अन्योंने उसे पूछा, ‘‘तुमने छाता क्यों लिया है ?’’ उसने कहा, ‘‘हमारे प्रार्थना करनेपर वर्षा होगी । तब भीग जाएंगे; इसलिए मैंने छाता लिया है ।’’ ‘प्रार्थना से वर्षा होगी ही’, ऐसी उस बच्चे की दृढ श्रद्धा थी । आश्चर्य, प्रत्यक्ष में लोगोंद्वारा प्रार्थना करनेपर तुरंत वर्षा हुई । मित्रो, श्रद्धा से की गई प्रार्थनामें बहुत शक्ति है ।

२. ‘वरुणदेवता के प्रसन्न होनेपर वर्षा योग्य समयपर एवं पर्याप्त होती है’, ऐसी लोगों की श्रद्धा होना : मित्रो, हिंदू संस्कृति में ईश्वर ही सबकुछ करते हैं ऐसी श्रद्धा है; इसलिए प्रतिवर्ष लोग नारियली पूर्णिमापर वरुणदेवता की श्रद्धा से पूजा करते हैं । इस दिन हम समुद्र को वरुणदेवता का प्रतीक मानकर उनका पूजन करते हैं। समुद्र का पूजन करना, अर्थात वरुणदेवता का पूजन करना । वरुणदेवता के प्रसन्न होनेपर वर्षा योग्य समयपर एवं पर्याप्त होती है, ऐसी लोगों की श्रद्धा है ।

३. नारियल पूर्णिमा के दिन ‘वरुणदेव आए हैं’, ऐसा भाव रखकर उनकी पूजा करेंगे ! : पहले लोग वर्षा को ‘वरुणदेवता’ मानकर उनकी पूजा करते थे । ‘वरुणदेवता आए हैं’, इस श्रद्धा से नारियली पूर्णिमा के दिन उनका पूजन कर स्वागत करते थे एवं कृतज्ञता व्यक्त करते थे । मित्रो, क्या आज हम इस भाव से पूजन करते हैं? ‘वरुणदेवता आए हैं’, ऐसा मानकर उनका स्वागत करते हैं क्या ? अबसे इस दिन ऐसा भाव रखेंगे एवं उनकी पूजा कर उन्हें प्रार्थना करेंगे ।

४. वरुणदेवता के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करना, यही खरी नारियल पूर्णिमा ! : वरुणदेवता के कारण हमें पानी मिलता है । पानी से बिजली मिलती है । यदि वर्षा न हो, तो क्या होगा ? अनाज नहीं होगा । खाने को अन्न नहीं मिलेगा । हमें अन्न न मिला, तो क्या होगा ? हम जीवन जी सकते हैं क्या ? पानी के बिना हम जी ही नहीं सकते । मित्रो, किसीने हमें कोई वस्तू दी, तो हम उसे तुरंत ‘धन्यवाद’ देते हैं ना ! तो वरुणदेवता हमें पानी देते हैंइसलिए हमें उनके प्रति कृतज्ञता लगती है क्या ? नहीं ना ? इसलिए मित्रो, हम इस दिन उनके चरणोंमें कृतज्ञता व्यक्त करेंगे एवं प्रार्थना करेंगे । यही हमारे लिए खरी नारियल पूर्णिमा होगी ।

मित्रो, आप ऐसा करेंगे ना ?

५. नारियल पूर्णिमा के अवसरपर समुद्र से क्या सीखें ? : समुद्र सभी नदियों का पानी अपने में समा लेता है । वह किसी में भेदभाव नहीं करता । मित्रो, हमें भी समुद्र की तरह व्यापक होना चाहिए । हमें भी सभी से समान प्रेम एवं समान व्यवहार करना चाहिए ।

– श्री. राजेंद्र पावसकर (गुरुजी), पनवेल.

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