मित्रो, प्रदूषणमुक्त नवरात्र उत्सव कैसे मनाए ?

१. नवरात्र उत्सव में निम्न बातें टालें !

अ. थर्माकोल का उपयोग टालना : अनेक लोग देवी का मखर (मंडप) बनाने के लिए थर्माकोल का उपयोग करते हैं । थर्माकोल पानी में विसर्जित नहीं होता और अग्निविसर्जन करने से वायुप्रदूषण होता है । इस हेतु थर्माकोल का उपयोग टालें ।

आ. पटाखें न जलाएं : मूर्ति लाते समय पटाखें न जलाएं । हम यदि ध्वनि-प्रदूषण करेंगे, तो  देवी को अच्छा लगेगा क्या ? पटाखे जलाने से देवीतत्त्व नष्ट होकर वातावरण प्रदूषित होता है ।

इ. चलचित्रों के गीत न लगाएं : देवीमाता के सामने चलचित्रों के गीत लगाए जाते हैं । यह अयोग्य है । इससे  लोगों के मन में भक्तिभाव जागृत नहीं होता है । इसलिए हमें उसका विरोध करना चाहिए ।

ई. अश्लील भाव-भंगिमाएं करते हुए नृत्य करना टालें : मित्रो, चलचित्रों के गीतपर गरबा खेलना पाप है । इससे देवी के प्रति भक्तिभाव नहीं बढेगा । बहुत से लोग गरबा खेलते समय अश्लील भाव-भंगिमाएं करते हुए नृत्य करते हैं । मित्रो, ऐसे कृत्य से हम देवी की कृपा के पात्र नहीं बनेंगे ।

२. नवरात्र उत्सव निम्नलिखित पद्धति से मनाएं !

अ. प्रदूषण विरहित सजावट : मित्रो, सजावट के लिए कागज का उपयोग न करें । फूल एवं पत्तों के तोरण का उपयोग करें, ऐसा करने से देवी की शक्ति आकर्षित होकर हमें उसका लाभ होगा ।

आ. मूर्ति लाने की योग्य पद्धति : मूर्ति लातेसमय ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः ।’ ऐसा  नामजप करें । दुर्गामाता का जयजयकार करें । हम अधिकाधिक नामजप कर दुर्गामाता की शक्ति का लाभ ले सकते हैं ।

इ. देवी की प्रशंसा करनेवाले गीत लगवाएं :  भजन सुननेपर लोगों के मन में देवी के प्रति भक्तिभाव जागृत होगा एवं उन्हें देवी की उपासना करने का आनंद मिलेगा ।

ई. देवी के स्तुति गीतोंपर तथा त्रिताल पद्धति से गरबा खेलें : गरबा खेलते समय  देवी की स्तुति-गीतोंपर गरबा खेलें ! गरबा खेलते समय हम स्वयं को भूलाकर देवी के भजन में रम जाएं ।

         हम नवरात्र उत्सव के दुराचार बंद कर, विद्यार्थी जीवन में विशेष महत्त्व रखनेवाली देवी सरस्वती की कृपा संपादन कर, उनसे ज्ञान एवं कला प्राप्त करें, शास्त्र के अनुसार नवरात्र उत्सव मनाकर पूरा-पूरा लाभ लें !

– श्री. राजेंद्र पावसकर (गुरूजी), पनवेल.

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