परीक्षाका भय अथवा चिन्ता मन से दूर कर परीक्षा का सहजता से सामना करें !

विद्यार्थी मित्रों, क्या आपको मौखिक परीक्षा, प्रायोगिक परीक्षा, शालेय एवं महाविद्यालयीन परीक्षा इत्यादिके समय मन पर तनावका अनुभव होता है ? क्या परीक्षाके समय नींद आना, पढाई करनेकी इच्छा न होना, एकाग्रताका अभाव, आत्मविश्वासका अभाव इत्यादि बातें आपके मनमें परीक्षाका भय निर्माण करती हैं ? क्या आपने कभी सोचा है, कि यह सब किस कारण होता है एवं इसे दूर करनेके लिए क्या करें ? नहीं न ! तो यहां दी गई जानकारीको ध्यानसे पढिए एवं उसपर अमल कर अपना जीवन उज्ज्वल बनाइए ।

विद्यार्थियोंके मनमें अध्ययनके प्रति अरुचिका मुख्य कारण है चकाचौंध दुनियाका आकर्षण एवं दूरदर्शन । विद्यार्थी अपना अधिकांश समय पढाई एवं खेलकी अपेक्षा टी.वी. पर गंवाते हैं, जिससे शरीर स्वास्थ्यपर विपरीत परिणाम होता है तथा एकाग्रता एवं आत्मविश्वासका अभाव निर्माण होता है । पढाई करना विद्यार्थियोंका कत्र्तव्य है । इस कर्तव्यको भली-भांति निभानेके लिए यदि निम्नानुसार पढाई करें, तो वे निश्चित ही देशके एक सफल नागरिक बन पाएंगे । विद्यार्थियोंमें परीक्षाके डरका एक अन्य कारण है, स्पर्धाके युगमें अभिभावकों द्वारा बच्चोंसे अवास्तव अपेक्षा । बच्चोंको केवल स्पर्धात्मक दृष्टिकोण देनेकी अपेक्षा बच्चोंकी क्षमताका अभ्यास कर, माता-पिता उन्हें एक आदर्श विद्यार्थी बननेके लिए प्रोत्साहित करें । इससे बच्चोंके मनसे असुरक्षाकी भावना निकल जाएगी और वे अपने सर्वांगीण विकासके लिए स्वयंसिद्ध बनेंगे ।

आज का विद्यार्थी केवल परीक्षार्थी होना

‘किसी विषय का अध्ययन करने का अर्थ वह विषय केवल पढना नहीं अपितु वह विषय पूर्णतः समझकर उसपर आचरण करना है । विद्यार्थी एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने के लिए जो प्रयास करते हैं, उसे हम पढाई अथवा अध्ययन कहते हैं; परन्तु वह केवल परीक्षा की सिद्धता होती है; क्योंकि परीक्षा समाप्त होने के पश्चात उस विषय से सम्बन्धित प्रश्न पूछने पर बालक उसका उत्तर नहीं दे पाते । इसलिए आज का विद्यार्थी केवल परीक्षार्थी बन गया है ।

मन से परीक्षा का भय अथवा चिंता कैसे दूर करेंगे ?

मित्रो, परीक्षा निकट आने पर हम भयभीत हो जाते हैं । इसका कारण समझ में नहीं आता तथा समझने पर भी आगे क्या करना है, यह नहीं सूझता । इस के लिए निम्नांकित सूत्रों का उपयोग होगा ।

अ. परीक्षा आनंददायी होने के लिए यह करें !

१. स्वयं के विषय में नकारात्मक विचार न करें । ऐसे नकारात्मक विचार अथवा मन को भ्रमित करनेवाले विचार लिख लें तथा उस विषय में माता-पिता से चर्चा करें ।

२. स्वयं की क्षमता समझें, स्वयं की तुलना अन्यों से न करें ।

३. परीक्षा में मिलनेवाले अंकों को सर्वस्व न मानें ।

४. परीक्षा के लिए जाने से पूर्व मारामारी, हत्या इत्यादि प्रसंगवाले कार्यक्रम न देखें । आनन्द के क्षणों का स्मरण करें ।

५. घर के अन्नपदार्थ ग्रहण करें ।

६.प्रत्येक विषय की गत वर्ष की प्रश्नपत्रिका हल करें, जिस से आप के मन में परीक्षा का जो भय है वह दूर होगा तथा आप का आत्मविश्वास बढेगा ।

७. परीक्षा के प्रसंग का अभ्यास करें ।

मित्रो, ऊपर दी गई बातें आप कर सकते हैं न ! फिर परीक्षा एवं तनाव को भूल जाओ ! परीक्षा का आनन्द उठाओ ! बुद्धिदेवता श्री गणेश के चरणों में प्रार्थना कर पढने में जुट जाओ !’

आ. परीक्षा के लिए जाने से पूर्व……..

१. परीक्षा के लिए जाने से पूर्व दस मिनट कुलदेवता / उपास्यदेवता का नामजप करें तथा उन से प्रार्थना करें ।

२. उत्तरपत्रिका लिखते समय उत्तर का स्मरण न हो, तो प्रार्थना करें ।

३. ईश्वर ही मुझ से उत्तरपत्रिका लिखवा रहे हैं, ऐसा भाव रखें ।

पढाई किस समय एवं कहां बैठकर करें ?

पढाई किस समय करें ? : आजकल रातमें देरतक बैठकर अध्ययन करना एक पैâशन हो गया है । ऐसा करनेकी अपेक्षा सवेरे शीघ्र उठकर पढाईके लिए बैठें । शास्त्रके अनुसार ब्राह्ममुहूर्तके समय वातावरण शांत एवं सात्त्विक होता है, जो मनकी एकाग्रता बढानेमें सहायक होता है । मन एकाग्र होनेसे पढाई अच्छी होती है एवं कम समयमें अधिक याद कर सकते हैं ।

पढाईके लिए कहां एवं किस प्रकार बैठे ? : याद रहे, पढाई करते समय अपनी मे़ज स्वच्छ हो; जहां स्वच्छता होगी, वहां प्रसन्नता होगी एवं मन प्रसन्न होगा तो आत्मविश्वास एवं एकाग्रता अपनेआप बढेंगे । अपनी मेजके सामने बुद्धिके देवता गणेशजीका चित्र लगाएं । प्रतिदिन एक विशिष्ट स्थानपर बैठकर ही पढाई करें । जहां अच्छी रोशनी हो, वहां सीधे तनकर बैठें अथवा कुर्सी-मे़जका उपयोग करें । ऐसे बैठें, कि आपकी आंखें एवं शरीर तनावरहित हों एवं आप अधिक समय बैठ पाएं । उचित आसनसे आलस्य दूर होता है एवं पढाईमें एकाग्रता आती है ।

समयका नियोजन करें !

खेलकूद, व्यायाम, विश्राम एवं अभ्यास इत्यादिके लिए अपने समयका नियोजन पहले ही कर लें; इससे पढाईके लिए पर्याप्त समय मिलेगा । कौनसे समय किस विषयकी पढाई करनी है, यह भी तय कर लें; जिससे यह स्पष्ट हो कि कौनसा विषय पढना है एवं कौनसा शेष है और सोचनेमें समय व्यर्थ न जाए । साथमें दी गई आदर्श समयसारिणी आपको अपनी समयसारिणी बनानेके लिए सहायक सिद्ध होगी ।

एकाग्रता एवं आत्मविश्वास बढाने हेतु क्या करना चाहिए ?

ईश्वरकी सहायता लेना : हर बार पढाईकी शुरुवातसे पूर्व श्रीगणेश एवं मां सरस्वतीसे प्रार्थना करें कि ‘पढाई अच्छी हो’ । ऐसा करनेसे देवताके आशीर्वाद मिलते हैं एवं आत्मविश्वासमें वृद्धि होती है । प्रार्थनाके उपरांत पढाईमें एकाग्रता साध्य करने हेतु एवं विषयका ठीकसे आकलन होने हेतु ५ मिनट नामजप करें । नामजप एवं प्रार्थनाके कारण मनमें आनेवाले विचारोंका प्रमाण घट जाता है एवं अपने कार्यसे संबंधित विचार ही अधिक मात्रामें आते हैं, जिससे पढाईमें मन लगा रहता है । आप इस पृष्ठ पर दी गई प्रार्थनाओंका उपयोग कर सकते हैं ।

शरीरस्वास्थ्य एवं एकाग्रता : अधिकांश विद्यार्थी पढाई करते समय बोरियत होनेपर टी.वी. देखते हैं अथवा गाने सुननेमें रुचि रखते हैं; मात्र इन सर्व बातोंसे मनकी एकाग्रतापर परिणाम होता है । इसकी अपेक्षा, पढाईके दौरान समयका नियोजन कर, व्यायाम करनेके लिए अथवा थोडी देर बाहर खेलनेके लिए जाएं । इससे मन एवं शरीर स्वस्थ रहेगा एवं पढाई अच्छी होगी । शरीर स्वास्थ्य बने रहनेसे मनमें उत्साह रहेगा एवं पढाईमें एकाग्रता एवं स्मरणशक्ति बढनेमें सहायता होगी ।

परीक्षाके दौरान अपने माता-पितासे अपनी कमियोंका ध्यान दिलानेके लिए कहें

बहुत बार हम प्रयत्न तो बहुत मन लगाकर करते हैं; परंतु हमारे दुर्गुण हमारे ध्येयपूर्तिके मार्गके आडे आते हैं – जैसे लगनकी कमी, आलस, अधिक समयतक टी.वी. देखनेकी तीव्र इच्छा इत्यादि । लगनकी कमीके कारण आलस निर्माण होता है एवं आलसको दूर करनेके लिए हम टी.वी. देखते हैं; परंतु उस समय अपने मुख्य उद्देश्यसे भटक जाते हैं । ऐसेमें विद्यार्थी अपने अभिभावकोंको, भाई-बहनोंको तथा घरके अन्य लोगोंको अपनी कमियोंके बारेमें ध्यान दिलानेके लिए कहें ।

विषयोंकी पढाई किस प्रकार करें ?

बहुत बार विद्यार्थियोंके मनमें प्रश्न निर्माण होता है, कि विषयोंकी पढाई किस प्रकार करनी चाहिए । प्रत्येक नए विषयकी पढाई शुरू करनेसे पूर्व २ मिनट नामजप, ध्यान एवं प्रार्थना करें । सवेरेका समय शांत होता है, रातकी नींदके कारण हमारा शरीर एवं मन तरोता़जा होता है, इसलिए सवेरे कठिन विषयोंका अभ्यास करें । जिस समय नींद आ रही हो अथवा बोरियत हो रही हो, उस समय अपनी रुचिकेके विषयका अभ्यास करें । किसी भी विषय पर निरंतर ४५ मिनटसे अधिक समय मन एकाग्र करना कठिन होता है, इसलिए बीच-बीचमें थोडी देर विश्राम करें अथवा विषय बदलकर पढाई करें । पढाई करते समय नींद आने लगे, तो निद्रादेवीसे प्रार्थना कर सकते हैं ।

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