श्री संकष्टनाशन गणपतिस्तोत्र का पारायण करें !

कुछ विद्यार्थियों को परीक्षा का डर लगता है । ‘पढा हुआ ध्यान में रहेगा ना ?’, ‘प्रत्यक्ष परीक्षा में लिखते समय स्मरण रहेगा ना?’ ऐसे प्रश्नों से विद्यार्थी तथा अभिभाव कों को तनाव आता है । इस पर उपाय है गणपतिस्तोत्र का पारायण !

श्री गणेशस्तोत्र का पारायण करने की पद्धति

१. पूर्व दिशा की ओर मुखकर आसन पर बैठें ।

२. संभव हो तो पद्मासन अथवा सुखासन में बैठें ।

३. आधा गिलास पानी लेकर उस में उदबत्ती की विभूती डालें ।

४. श्रीगणेशजी को मन से भावपूर्ण प्रार्थना करें ।

५. श्री गणपतिस्तोत्र का श्लोक क्र. २ से ४ (`प्रथमं वक्रतुंडच’ से `द्वादशन् तू गजानन’ तक) ११० बार पढे ।

६. उसके उपरांत १११ वीं बार, संपूर्ण गणपतिस्तोत्र एक बार पढें ।

७. अंत में गणपतिजी को भावपूर्ण कृतज्ञता व्यक्त करें ।

८. आधे घंटे में यह पारायण पूर्ण होता है । इसके पश्चात् श्रद्धापूर्वक तीर्थ (गिलास में रखा विभूती का पानी) ग्रहण करें ।

उपरोक्त अनुसार गणपतिस्तोत्र का पारायण ११ दिन करें

गणपतिस्तोत्र के पारायण का लाभ

१. मन की एकाग्रता बढती है ।

२. एक-दो बार पढने से भी स्मरण में रहता है । अल्प समय में स्मरणशक्ति बढती है ।

३. श्रीगणपति बुद्धि के देवता हैं । बुद्धि सात्त्विक तथा सूक्ष्म होती है ।

– प.पू. परशुराम पांडे महाराज

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