धैर्यशील स्वामी विवेकानंद
हमें विपत्तियों से कदापि भयभीत नहीं होना चाहिए । उनका धैर्य के साथ सामना करना आना चाहिए । – स्वामी विवेकानंद Read more »
हमें विपत्तियों से कदापि भयभीत नहीं होना चाहिए । उनका धैर्य के साथ सामना करना आना चाहिए । – स्वामी विवेकानंद Read more »
स्वामी विवेकानंदजी धर्मप्रसार के लिए भारत के प्रतिनिधी के रूप में ‘सर्व धर्म परिषद’के लिए शिकागो गए थे । वहां उपस्थित श्रोता गणों के मन जितकर वहां ‘न भूतो न भकिष्यति !’ ऐसा अद्भभूत प्रभाव डाला । वहा घटित एक प्रसंग इस कथा से देखेंगे । Read more »
नरेंद्र ने (स्वामी विवेकानंदजी ने) केवल भारत में ही नहीं, अपितु पश्चिमी देशों में भी ‘सनातन धर्म’की ध्वजा फहरायी । उनकी बालक अवस्था मे घटित एक प्रसंग इस कथा से पढेंगे । Read more »
मन:शांति प्राप्त करने का निकटतम मार्ग कौनसा है यह इस कथा से हमे स्वामी विवेकानंदजी ने बताया है । Read more »
‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तथा मैं वह अवश्य प्राप्त करूंगा’ इस सुपरिचित वाक्य के कारण हम उन्हें ‘लोकमान्य ‘के नाम से जानते हैं; परंतु तिलकजी की वृत्ति बाल्यावस्था से ही निर्भयी एवं तेजस्वी किस प्रकार थी, यह हम इस कथा से समझ लेते हैं । Read more »
भगतसिंह जेल में थे । एक दिन भगतसिंह के परिजन उनसे मिलने लाहौर गए । भगतसिंह को बैरक से बाहर लाया गया । उनके साथ पुलिस अफसर सहित कई जवान थे । Read more »
एक बार शरद ऋतु में मूसलाधार वर्षा हो रही थी । आधी रात में मां प्रभावतीदेवी की नींद खुली, तो उन्हें सुभाष की चिंता होने लगी । Read more »
अपने गरीब माता-पितापर बोझ न बनकर उनके पैसे बचाने के लिए प्रतिदिन गंगा नदी तैरकर पाठशाला में जानेवाला असामान्य साहसी बालक लाल बहादुर शास्त्री ! Read more »
‘एक समय लंदन में गुप्तचरों ने स्वा. सावरकरजी को जांच-पडताल के लिए रोका और कहा, ‘‘महाशय, क्षमा कीजिए, हमें आपपर शंका है । Read more »
कोलकता के सिमोलिया पथपर एक बडासा घर था । वहां बाबू विश्वनाथदत्त नामक एक प्रसिद्ध अधिवक्ता (वकील) रहते थे । Read more »