ध्‍येय पर पूरा ध्‍यान रखने से ही सफलता प्राप्‍त होती है !

गुरु द्रोणाचार्यजी कौरवों एवं पाण्‍डवों को धनुर्विद्या अर्थात धनुष्‍य बाण चलाने की विद्या सिखा रहे थे । इस विद्या में उनके शिष्‍य धीरे-धीरे पारंगत अर्थात निपुण हो रहे थे, तब गुरु द्रोणाचार्य के मन में विचार आया कि मेरी शिक्षा को इन्‍होने कितना ग्रहण किया है ये जानने के लिए क्‍यों न इन कौरव और पांडवों की परीक्षा ली जाए । Read more »

संगठन का महत्त्व

गोपाल के पांच बेटे थे; परंतु वे प्रतिदिन आपस में झगडते रहते थे । अपने बेटों को रोज इस प्रकार झगडते देखकर गोपाल बहुत दु:खी रहता था । उसने अपने बेटों को बहुत समझाया; किन्‍तु उसका कुछ भी समझाना व्‍यर्थ हो जाता था । गोपाल समझ नहीं पा रहा था कि वह क्‍या करे ? एक दिन उसे एक तरकीब सूझी । Read more »

सदाचरण का महत्‍व

मित्रो, सदाचार अर्थात अच्‍छा आचरण ही हमारे जीवन का आधार है । सत् आचरण का अर्थ है, नैतिक और धार्मिक आचरण ! देवता भी सदाचरण करनेवाले के साथ ही रहते हैं । इस कहानी से हम यह सीखेंगे कि सदाचारी व्‍यक्‍ति के साथ लक्ष्मी, दान आदि कैसे रहते है !   Read more »

ईश्‍वर का नाम जपनेवालों को काल का डर न होना

यह संसार एक चक्‍की के समान है और भगवान उस खूंटी के समान है । जो भगवान का नामजप करते हुए उनके चरणों में रहते हैं उनको वह कभी पिसने नहीं देते । Read more »

संसार को प्रसन्न करना कठिन होना !

लोगों को क्या अच्छा लगता है, इस ओर ध्यान देने की अपेक्षा ईश्वर को क्या अच्छा लगता है, इस ओर ध्यान दीजिए । सर्व संसार को प्रसन्न करना कठिन है, ईश्वर को प्रसन्न करना सरल है । Read more »

देशद्रोही को पाठ पढानेवाली वीरमति !

‘चौदहवीं शताब्दी में देवगिरी राज्यपर राजा रामदेव राज्य करते थे । मुसलमान सम्राट (बादशाह) अल्लाउद्दीन ने देवगिरीपर आक्रमण किया तथा राजा को आत्मसमर्पण करने हेतु कहा; परन्तु पराक्रमी रामदेव ने उसे धिक्कारा । Read more »

समुद्र मंथन एवं राहू

जनमेजय राजा ने ऋषि वैशंपायन को समुद्र मंथन की कथा सुनाने की विनती की । इसलिए वे कथा सुनाने लगे – राजा, प्राचीनकाल में देव और दैत्यों ने समुद्र मंथन कर अमृत तथा अन्य रत्नों को निकालने का निश्चय किया । Read more »

ऋषि कक्षीवान की पहेली

एक बार कक्षीवान ऋषि प्रियमेध ऋषि के पास गए तथा बोले, `प्रियमेध, मेरी एक पहेली सुलझाओ । ऐसी कौन-सी वस्तु है जिसे जलानेपर प्रकाश नहीं उत्पन्न होता ?’ Read more »