बच्चो, राष्ट्र की रक्षा करनें का निश्चय कर स्वतंत्रता दिवस मनाएं !

अपने स्वतंत्रता सैनिकोंने १५० वर्ष की अंग्रेजों की दास्यता से हमारे देश को मुक्त किया । इसीलिए स्वतंत्रता दिन का यह समारोह हमें मनाना संभव हो रहा है । अंग्रेजों की दास्यता से हमारा देश मुक्त हो गया । इसके स्मरण के रूप में हम प्रतिवर्ष यह समारोह मनाते हैं ।

भारत स्वतंत्र होने से पूर्व मुगल, पुर्तगीज, अदिलशाह, कुतुबशाह, अंग्रेज आदि लोगोंने भारतपर राज्य किया । इन सभीने भारतवर्ष के स्वार्थी एवं विश्वासघाती राजाओं से हाथ मिलाकर स्वतंत्रता सैनिकोंपर अत्याचार कर राज्य किया । व्यापार करने के निमित्त से अंग्रेज भारत में आएं । ऐसे मुट्ठीभर अंग्रेजोंने हमारे देशपर १५० वर्ष राज्य किया । हम में एकता न होने के कारण अल्प संख्या में आए विदेशियों को हमपर राज्य करना संभव हुआ । हमपर कोई पराए राज्य कर रहे हैं; वे अत्याचारी हैं, यह बात ध्यानमें आनेपर भी, केवल हम में राष्ट्रप्रेम न होने से, एकता न होने से इन विदेशी लोगों को हमपर राज्य करना संभव हुआ । भारत के लोगों को स्वराज्य के प्रति आदर नहीं है । राष्ट्रप्रेम, स्वराज्य के प्रति आदर, एकता जैसे गुणों के अभाव के कारण अथवा उचित समयपर विद्यमान गुणों का उपयोग किया न जाने के कारण हमें परतंत्रता में रहना पडा ।

भारत का इतिहास देखा जाए, तो वह अत्यंत उज्ज्वल है । उससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं । इसके लिए छत्रपती शिवाजी महाराज का उदाहरण सर्वोत्तम है । अत्यंत अल्प आयु में उन्होंने कुछ गिने-चुने मावलों को (स्वतंत्रता सैनिकों को) लेकर स्वराज्य की स्थापना की प्रतिज्ञा रोहिडेश्वर के मंदिर में ली । तत्पश्चात एक-एक मावला सिद्ध किया एवं उनसे मां भवानीदेवी की उपासना करवाई । समर्थ रामदासस्वामी के मार्गदर्शन के अनुसार उन्होंने हिंदवी राज्य स्थापित किया । ‘यह राज्य ईश्वर का है’, यह विचार मन में रखते हुए उन्होंने राज्य स्थापित किया ।

दूसरा उदाहरण लोकमान्य तिलक का है । भारतमाता के पर तंत्रता में रहते हुए ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे प्राप्त करके ही रहूंगा’, ऐसी गर्जना करते हुए उन्होंने भारतीय जनता को जागृत किया । स्वतंत्रतावीर सावरकर, वल्लभभाई पटेल तथा अन्य क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रतासेनानियों के कारण भारत स्वतंत्र हुआ ।

वर्तमान में हम स्वतंत्र भारत में रहते हैं । आज हमें क्या चित्र दिखाई देता है ? वर्तमान में सर्व ओर आतंकवाद फैला है । भारत के कश्मीर, पंजाब, गुजरात, सिक्कीम जैसे राज्योंपर सीमा के निकट के देशोंद्वारा आक्रमण किए जा रहे हैं । आतंकवादी प्रतिदिन बडी मात्रा में घुसपैठ कर बडे-बडे नगरों में बमविस्फोट कर रहे हैं । आतंकवादियोंद्वारा दी जा रही धमकियों के कारण १५ अगस्त, २६ जनवरी जैसे राष्ट्रीय त्योहार भी हमें कडी पुलिस सुरक्षा में मनाने पड रहे हैं । बताइए, क्या हमारा देश वास्तविक अर्थ से स्वतंत्र है ? क्या हमें सुरक्षा मिल रही है ? आपको क्या लगता है ? नहीं न ! इसीलिए हमें राष्ट्राभिमान एवं धर्माभिमान संजोना आवश्यक है ।

इसके लिए हम बच्चे क्या कर सकते हैं ? आइए, ध्वज का सम्मान करें

१५ अगस्त तथा २६ जनवरी जैसे राष्ट्रीय दिनोंपर छोटे आकार के कागद के ध्वजों की बिक्री बडी मात्रा में की जाती है । छोटे बच्चों के साथ अनेक व्यक्ति राष्ट्रभक्ति तथा उत्साह के कारण ये ध्वज खरीदते हैं । ये ध्वज किसी भी प्रकार से लगाए जाते हैं । कुछ दिनों के पश्चात यही ध्वज फाडकर पथपर, कूडेदान में अथवा अन्यत्र फैंके जाते हैं । यह सब करते समय हम राष्ट्रध्वज का अर्थात राष्ट्र का ही अवमान करते हैं । क्या आप भी ऐसा कृत्य करोगे ? हम ही हमारे ध्वज का सम्मान करेंगे । अन्योंसे यदि इस प्रकार ध्वज का अवमान हो रहा हो, तो उस विषय में हम उन्हें बताएंगे और हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य निभाएंगे । २६ जनवरी के उपरांत अन्यत्र बिखरे हुए ध्वज हम उठाकर रखेंगे । इस विषय में हमारे मित्र एवं पडोसियों को भी बताएंगे ।

राष्ट्रीय त्यौहारों के दिनपर स्वतंत्रतावीरोंने राष्ट्र के लिए किए प्रयत्नों का स्मरण करते हुए उसके अनुसार आचरण करने का प्रयत्न करना

१५ अगस्त को सवेरे ध्वजवंदन करने के लिए हम विद्यालय में एकत्र होंगे । इस दिन ध्वजवंदन के उपरांत विद्यालयमें छुट्टी होने के कारण अनेक बच्चे विद्यालयमें न जाकर घर में देरतक सोना, दूरदर्शनपर कार्यक्रम देखते बैठना, घूमने के लिए जाना इत्यादि करते हैं । इसकी अपेक्षा स्वतंत्रता के लिए लडे स्वतंत्रतावीरों का और क्रांतिकारियों का स्मरण करते हुए, उनके जिन गुणोंके कारण उन्होंने स्वतंत्रता की लडाई लडी, उन गुणों को हममें लाकर उसके अनुसार आचरण करने का प्रयत्न करेंगे ।

मन को दृढचित्त करने के लिए नामस्मरण करना

लोकमान्य तिलक, स्वतंत्रतावीर सावरकर जैसे देशभक्तोंने अपने शरीर के साथ अपने मन को दृढचित्त करने के लिए भी प्रयत्न किए । अपना मन यदि दृढचित्त होगा, तो हम किसी भी प्रसंग का धैर्य के साथ सामना कर सकते हैं । मन को दृढचित्त करने के लिए स्वयं में आत्मविश्वास उत्पन्न होना आवश्यक है । इसके लिए हमें अपने प्रिय देवता का स्मरण सतत करना आवश्यक है । पूरे दिन में कुछ ही समय के लिए, संभव होनेपर हमें देवता का नामस्मरण करना चाहिए । विद्यालय एवं अनुशिक्षा वर्ग (ट्युशन) के लिए आते-जाते समय, भोजन करते समय, दूरदर्शन देखते समय, जिस समय हम कोई विशेष महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं करते है, उस समय मन ही मन में हम नामस्मरण कर सकते हैं । देवता के आशीर्वाद होंगे, तो कोई भी कार्य कठिन नहीं होता । इसलिए प्रत्येक कार्य करते समय देवता का स्मरण करना, प्रत्येक कार्य उन्हें बताते हुए करना आवश्यक है । इस विषय में अधिक जानकारी आपको सनातन संस्थाद्वारा आयोजित निःशुल्क बालसंस्कारवर्गों में मिल सकती है ।

शरीर सुदृढ रहने के लिए व्यायाम की आवश्यकता

वर्तमान में मन की दृढचित्तता के साथ अपना शरीर भी सुदृढ करना आवश्यक है । इसके लिए प्रतिदिन व्यायाम करना आवश्यक है । प्रत्येक को प्रतिदिन सूर्यनमस्कार करना आवश्यक है ।

स्वयंमें नैतिक मूल्य अंकित करने का प्रयत्न करना

प्रत्येक कृत्य समयपर करना, प्रामाणिकता से करना, सत्य बोलना, बडों का आदर करना, उन्हें पलटकर उत्तर न देना इत्यादि कृत्य अर्थात नैतिक मूल्य स्वयं में अंकित करना आवश्यक है । हम ऐसा ही कर रहे हैं न इसकी ओर हमारा ध्यान होना आवश्यक है । हम यदि इसी प्रकार का आचरण कर रहे होंगे, तो ही हम ईश्वर को अपेक्षित ऐसा आचरण कर रहे हैं, ऐसा समझें ।

तो आज से हमें अपने देश के उत्तम नागरिक बनने के लिए प्रयत्न करना चाहिए । अपने पाठ्य पुस्तक में दी प्रतिज्ञा के अनुसार राष्ट्राभिमान एवं राष्ट्रभक्ति जागृत करने के लिए और पूरे विश्व में अपने राष्ट्र का नाम उज्ज्वल करने के लिए परिश्रम करने चाहिए । आज के इस दिन भारमाता आनंद में रहें, इसलिए हम प्रतिज्ञा करेंगे ।

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