अक्लमंद हंस

एक विशाल पेड था । उसपर सहस्र हंस रहते थे । उनमें एक बुद्धिमानऔर दूरदर्शी हंस था । उन्हें सभी आदरपूर्वक ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे ।पेड के तने पर जड के निकट नीचे लिपटी हुई एक बेल को देखकर ताऊने कहा ‘‘देखो, इस बेल को नष्ट कर दो । एक दिन यह बेल हम सभी के लिए कष्टदायी सिद्ध होगी ।’’एक युवा हंस हंसते हुए बोला ‘‘ताऊ, यह छोटी-सी बेल हम सभी के लिए कैसे कष्टदायी सिद्ध हो सकती है ?’’

ताऊने समझाया-‘‘धीरे-धीरे यह पेड के तने से चिपककर एक बडा रूप धारणकर नीचे से ऊपर तक, पेडपर चढने के लिए सीढी बन जाएगी । कोई भी आखेटक इसके सहारे चढकर हम तक पहुंच जाएगा और हम सभी मारे जाएंगे ।’’किसी को भी विश्वास नहीं हुआ कि ‘एक छोटी सी बेल सीढी कैसे बनेगी ?’समय बीतता रहा । ताऊने जैसे कहा था, वैसा होता गया । एक दिन जब सभी हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे, तब एक आखेटक उधर आया । पेडपर बनी लता रूपी सीढी को देखते ही पेडपर चढ गया और जाल बिछाकर चला गया । सांयकल के समय हंसों के पेडपर बैठते ही वे आखेटक के बिछाए जाल में बुरी तरह फंस गए । तब सभी को अपनी चूक का भान हुआ ।

एक हंसने कहा ‘‘ताऊ, हमें क्षमा करें, हम सबसे चूक हो गई, इस संकट से निकलने का सुझाव आप ही बताएं ।’’ सभी हंसोंद्वारा चूक स्वीकार होनेपर, ताऊने उन्हें बताया‘‘मेरी बात ध्यान से सुनो । सुबह जब आखेटक आएगा, तब सभी मृतावास्था में पडे रहना, आखेटक तुम्हें मृत समझकर जाल से निकाल कर धरतीपर रखता जाएगा ।जैसे ही वह अंतिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा । मेरी सीटी सुनते ही सब उड जाना ।’’

प्रात: काल आखेटक आया । सभी हंसोने  वैसा ही किया, जैसा ताऊने समझाया था आखेटक हंसों को मृत समझकर धरतीपर रखता गया । सीटी की आवाज के साथ ही सारे हंस उड गए । आखेटक आश्चर्यचकित होकर देखता रह गया ।

सीख : इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि बडो का परामर्श गंभीरता से लेना चाहिए ।