संदेह

एक विद्यार्थी था । वह शंकाएं अधिक पूछता था । उसमें भी अनावश्यक शंका ही अधिक पूछता था । वह सदा गुरु को कहता था,‘‘मुझे ईश्वर का दर्शन शीघ्र करवाइए । आप पक्ष पाती हैं । मेरे गुरुबंधु को मुझसे अधिक ज्ञान देते हैं ।’’ फिर उसके गुरुने उसे मार्ग दिखाया ।एक बार नदीपर स्नानहेतु वह गुरु के साथ गया । वहां जानेपर गुरुने उसका सिर नदी में डुबोकर कुछ देर के लिए रखा ! उस समय वह तडप रहा था । उसे लग रहा था कि कब श्वास लूं ।पानी से ऊपर आनेपर गुरुने उससे पूछा, ‘‘कैसा लगा ?’’ उसने बताया, ‘‘मरते-मरते बच गया ।ऐसा लग रहा था कि कब श्वास लूं । गुरु बोले,ऐसी तडप जब ईश्वर के प्रति लगने लगे तब समझ लेना कि उस समय तुम्हें साक्षात्कार होगा । तुम्हारे प्राण इस प्रकार ईश्वर-दर्शन के लिए तडपते है क्या ? नहीं ना ?’’ संदेह एक विघ्न है । उसे फ़ेंक दें ।

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