गणतंत्र दिवस

राष्ट्राभिमान जागृत करनेवाले कृत्य कर खरे अर्थ में गणतंत्र दिवस मनाएं !

 राष्ट्राभिमान एवं राष्ट्रप्रेम जागृत करनेवाले कृत्य तथा आदर्श गणराज्य बनें इस हेतु की जानेवाली मांगें इस लेख में बताई गई हैं । वैसे कृत्य करने से ही आदर्श गणराज्य आएगा तथा तभी हम खरे अर्थ में देश के लिए, अर्थात हमारे लिए क्रांतिकारियों के किए बलिदान का ऋण चुका सकते हैं ।

विद्यार्थी मित्रो, हमने नागरिक शास्त्र में लोकतंत्र की व्याख्या पढी है । जनताने जनताद्वारा जनता के कल्याण हेतु चलाया जानेवाला राज्य अर्थात लोकतंत्र ही गणराज्य है; परंतु मित्रो, सच्चे अर्थों में वर्तमान में लोगों का राज्य है क्या ? नहीं ना ? गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में, इसके पीछे क्या कारण है, इसका हमें चिंतन करना चाहिए ।

‘राष्ट्राभिमान का अभाव’ यही देश की सभी समस्याओं का कारण

आज देश में अनेक समस्याएं हैं । देश में भ्रष्टाचार ने कोहराम मचाया है । देश की सीमाएं भी सुरक्षित नहीं हैं । देश की स्थिति ऐसी ही रही, तो हम सभी का अस्तित्व असुरक्षित होगा । इस हेतु देश के भावी नागरिक होने के नाते गंभीरता से विचार कर हमें इसका उपाय ढूंढना  चाहिए, तभी कल का भारत आदर्श तथा सुजलाम्-सुफलाम् होगा । मित्रो, मुझे ऐसा लगता है कि इसके पीछे मुख्य कारण हैं, हम सभी में राष्ट्राभिमान का अभाव होना । हमें आजसे ही ऐसा निर्धार करना चाहिए कि मैं प्रत्येक कृत्य, ‘मुझ में तथा अन्यों में राष्ट्राभिमान जागृत हो’, ऐसा ही करूंगा ।

वर्तमान गणतंत्र में तथा आदर्श गणतंत्र में राजनीतिज्ञ

वर्तमान गणराज्य के राजनीतिज्ञ आदर्श गणराज्य के राजनीतिज्ञ
१. विचार स्वार्थी, स्वयं का विचार करनेवाले ‘राष्ट्र ही मेरा परिवार है’, ऐसा व्यापक तथा जनता के कल्याण का विचार करनेवाले
२. लोगोंको क्या देते हैं ? दुःख आनंद
३. वृत्ति    
अ. झूठ बोलनेवाले सत्य बोलनेवाले
आ. अहंकारी नम्र
इ. भ्रष्टाचारी तन, मन, धन तथा समय आनेपर
प्राणोंका त्याग करनेवाले
४.राष्ट्राभिमान राष्ट्राभिमानशून्य राष्ट्राभिमानी
५. देव तथा धर्म न माननेवाले श्रद्धालु

गणतंत्र दिवसपर राष्ट्राभिमान जागृत करने के लिए किए जानेवाले कृत्य

विद्यार्थी मित्रो, इस स्थिति को बदलने के लिए आजके दिन निम्नलिखित कृत्य करने का निश्चय करेंगे ।

१. ध्वज का अनादर रोकना

२. क्रांतिकारियों के चरित्र का अभ्यास कर उनके मूल्य/गुण कृत्य में लाना

३. राष्ट्रभक्ति पर आधारित गीतों को कंठस्थ करना तथा उन्हें समूह में गाना

४. क्रांतिकारियों के घोषणा वाक्य तथा चित्र घर में लगाना

५. अपने आदर्श के रूप में न्यूनतम एक क्रांतिकारी का चयन करना

६. मित्रों को जन्मदिन पर क्रांतिकारियों के चित्र अथवा उनके संदर्भ में छोटी जानकारी पुस्तिका भेंट में देना

७. अपने विद्यालय में पूर्ण ‘वंदे मातरम्’ गाने के लिए प्रवृत्त करना

८. राष्ट्रगीत का  अपमान हो रहा हो तो उसे रोकना

९. क्रांतिकारियों के जीवन पर आधारित चर्चासत्र लेना

१०. प्रतिज्ञा के अनुसार आचरण करना

११. क्रांतिकारी तथा राष्ट्रभक्तों के चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित करना

१२. क्रांतिकारियों के चित्रों में रंग भरने की प्रतियोगिता रखना

१३. राष्ट्रभक्ति की जागृति  करनेवाले चित्रपट तथा मालिका देखना

मित्रो, उपरोक्त प्रत्येक सूत्र कृत्य में लाना ही खरा गणतंत्र है । हम प्रत्येक सूत्र आचरणमें लाएं तथा अपने मित्रों को भी वैसा करनेके लिए प्रेरित/विवश करें तभी गणतंत्र का अर्थ साकार होगा ।

राष्ट्रप्रेम जागृत करने के लिए तथा आदर्श गणराज्य आने के लिए की जानेवाली कुछ मांगें

गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक विद्यार्थी के रूप में हम कुछ मांग करें । यह मांग यदि वर्तमान राज्यकर्ताओं ने स्वीकार कीं, तो प्रत्येक में राष्ट्रप्रेम जागृत होगा तथा शीघ्र ही आदर्श गणराज्य आएगा । इस मांग के अनुसार हमारी शिक्षापद्धति में परिवर्तन हो, यही ईश्वर के चरणों में प्रार्थना !

अ. गणतंत्र दिवसपर राष्ट्रध्वज का होनेवाला अनादर रोकें ।

आ. राष्ट्रीय शिक्षा में समानता हो । आंतरराष्ट्रीय, केंद्रशासित  राज्य तथा इस प्रकार शिक्षा के टुकडे कर हमारी राष्ट्रीयता की भावना नष्ट न करें ।

इ. प्रत्येक को मातृभाषा में ही शिक्षा मिलनी चाहिए ।

ई. हमें सैनिक शिक्षा दें ।

उ. हम में राष्ट्रप्रेम जागृत करनेवाले आदर्श क्रांतिकारियों की अपकीर्ति न होने दें ।

ऊ. हम में संघभावना बढे; इस हेतु जाति, धर्म तथा पंथ के आधारपर हमारा वर्ग विभाजन न करें ।

ए. गणतंत्र दिवस तिथिनुसार मनाएं ।

ऐ. हमारी गुणवत्ता के अनुसार विद्यालय में प्रवेश दें, आरक्षण नहीं चाहिए ।

ओ. सर्व विद्यालयों में पूर्ण ‘वंदे मातरम्’ गाने का बंधन डालें  ।

औ. सर्व विद्यालयों की प्रार्थना एक ही हो ।

अं. विद्यालय की पोशाक (यूनीफॉर्म) अंग्रेजों के वेश के अनुसार, उदा. टाई, टी-शर्ट  न हो ।

विद्यार्थी मित्रो, इस गणतंत्र दिवस पर हम उपरोक्त सभी सूत्र कृत्य में लाने का दृढ निश्चय करेंगे ।

– श्री राजेंद्र पावसकर (गुरुजी), पनवेल.