संत गोंदवलेकर महाराजजी का आज्ञापालन

संत गोंदवलेकर महाराजजी ने अपने गुरु प.पू. तुकामार्इ महाराज के हर एक आज्ञा का पालक किया इसिलिए उन्हें उनके गुरु के आशीर्वाद मिले तथा उनपर प्रभु श्रीराम की अखंड कृपा हुई । उनके आज्ञापालन का एक उदाहरण इस कथा से देखेंगे । Read more »

संतों की क्षमाशीलता (संतों का क्षात्रधर्म)

संत तुकाराम महाराजजी की अपकीर्ति करनेवाले कुछ लोंगो को अपनी लीला दिखाकर उनको क्षमा करके चूक स्वीकारनेपर मजबूर कर दिया । तथा उन्हे उस कृत्य के लिए क्षमा भी कर दी । ऐसी क्षमाशीलता प्रतीत करनेवाली कहानी यहा देखेंगे । Read more »

ईश्वरीय अवधान में निरंतरता का आनंद

बाह्यरूप से हम कोई भी काम कर रहे हों, परंतु अंतर्मन से निरंतर ईश्वर के अवधान में रहना चाहिए। निरंतर ईश्वर का नाम लेने से हमारा प्रत्येक कृत्य ईश्वर की इच्छा के अनुसार होता है । ऐसा विचार होने से हमें शांति तथा समाधान मिलता है । Read more »

निराभिमानी, करुणाकर एवं क्षमाशील संत तुकाराम महाराज !

समर्थ रामदास स्वामी नामक सुप्रसिद्ध संत थे । उनके पास आंतरिक एवं बाह्य दोनो प्रकार के सामर्थ्य थे । इसके विपरीत संत तुकाराम महाराज सामान्य रहन-सहन एवं शांत स्वभाव के संत थे । आइए, उनके एक शिष्य के अपने अविचार से किए कृत्य एवं संत तुकाराम महाराज की क्षमाशीलता को जान लें । Read more »

छत्रपति शिवाजी महाराज की गुरुभक्ति !

छत्रपति शिवाजी महाराज अपने गुरुदेव समर्थ रामदास स्वामी के एकनिष्ठ भक्त थे । यह देख अन्य शिष्यों को लगा, ‘‘शिवाजी के राजा होने से ही समर्थ उनसे अधिक प्रेम करते हैं !’’ समर्थ रामदासस्वामी ने यह भ्रम त्वरित दूर करने का संकल्प लिया । Read more »

भगवान पांडुरंग ने छत्रपति शिवाजी महाराज की रक्षा करना !

संत तुकाराम महाराज के कीर्तन सुनने के लिए आए छत्रपती शिवाजी महाराज की भगवान पांडुरंग ने यवन सेना से कैसे रक्षा की यह इस कथा से हम देखेंगे । Read more »

संतों के वचनों का विपरीत अर्थ लगानेवाले को पाठ पढानेवाले समर्थ रामदासस्वामी !

एक बार महाराष्ट्रके मिरज स्थित सुभेदार जलालखान घूमते-घूमते जयरामस्वामीके प्रवचनके स्थानपर पहुंच गए । साधू-संतोंके विषयमें उसके मनमें अनादर था । वहां पहुंचनेपर उसने सोचा, देखे तो सही ये क्या बोलता है ! Read more »

नैतिक तत्त्वों का आदर्श

आयुर्वेद के प्रणेता महर्षि चरक औषधि वनस्पतियों की खोज में अपने शिष्यगणों के साथ जंगलों में, खाई-चोटियों में घूम रहे थे । महर्षि चरक ने नैतिक तत्त्वों का पालन कर अपने शिष्यगणों के सामने एक आदर्श खडा कर के अपनी महानता कैसे सिद्ध की, इसका यह कथा से हम देखेंगे । Read more »

भगवान श्रीराम भवसागर पार करानेवाले खेवनहार !

‘कैकयी को दिया वचन पूरा करने हेतु प्रभु श्रीरामचंद्र अपने भाई लक्ष्मण तथा पत्नी सीता के साथ वनवास जाने को निकले । प्रभु श्रीराम वनवास के मार्गपर गंगा नदीके सम्मुख आए । Read more »