भारतीय इतिहास के दो प्रसिद्ध राजा : हरिहर और बुक्कराय

दक्षिण भारत में धूम मचानेवाले मुगल आक्रमकों को निस्तेज कर के ‘शंकराचार्य विद्दारण्य स्वामीजी’के मार्गदर्शन के अनुसार स्वतंत्र विजयनगर के साम्राज्य की स्थापना करनेवाले हरिहर और बुक्कराय ये भारत के इतिहास के प्रसिद्ध राजा हैं । Read more »

मेवाड के सिसोदिया राजवंश के शूरवीर राजपूत राजा : बाप्पा रावळ एवं राणासंग

मेवाडकी भूमिपर रचा गया इतिहास एवं चितौड, उदयपुर, हल्दी घाटी ये धर्मक्षेत्र अपनी तेजस्वी परंपराके कारण चिरकाल तक अमर रहेंगे, उनकी इतनी महत्ता है । Read more »

देशभक्‍त डॉ. नारायण दामोदर सावरकर !

देशभक्त नारायणका जन्म २५ मई, १८८८ को हुआ । सावरकर प्रारंभसे ही सुखी संपन्न घरानेके थे; परंतु एकपर एक आकस्मिक संकटों तथा आपत्तियोंके कारण उनका बचपन अत्यंत कष्टों एवं विषम परिस्थितियोंमें बीता । Read more »

तेजस्वी विचारों से ओतप्रोत हिंदु धर्मप्रसारक : स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंदका मूल नाम था नरेंद्रनाथ था । उनका जन्म १२ जनवरी १८६३ के दिन कोलकातामें हुआ । Read more »

१८५७ के स्वतंत्रता संग्रामका प्रथम क्रांतिकारी वीर मंगल पांडे

मंगल पांडे ३४ वीं पलटन के युवा ब्राह्मण सैनिक थे । वे क्रांतिदल के सदस्य थे । कोलकाता के निकट बैरकपुर की १९ वीं पलटन को उस समय अंग्रेज अधिकारियोंने गाय और सूअर की चरबी लगे नए कारतूस देने का निर्णय लिया । Read more »

तात्या टोपे : स्वतंत्रता संग्राम १८५७ के सेनापति

तात्या टोपे का जन्म १८१४ में येवला में हुआ । उनके पिता का नाम पांडुरंग त्र्यंबक भट था । उनके पिता बाजीराव पेशवा के धर्मदाय विभाग के प्रमुख थे ।
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अपनी आयु के १८ वें वर्ष में मातृभूमिपर अपने प्राणों को न्योछावर करनेवाले हुतात्मा अनंत कान्हेर !

अनंतराव का जन्म १८९१ में रत्नागिरी जनपद के आयनी-मेटे गांव में हुआ । अंग्रेजी शिक्षण हेतु वह अपने मामा के पास संभाजीनगर (औरंगाबाद) गए थे । Read more »

भारत माता के वीर सपूत और अंग्रेज अत्याचारियों के काल : चापेकर बंधू

दामोदर हरि चापेकर का घराना मूल कोकण के वेळणेश्वर का था; किन्तु उनके पूर्वज पुणे के निकट चिंचवड में आकर बस गए । Read more »

‘राष्ट्रवाद के महानतम पुरोधाओं में एक’ इस प्रकार वर्णित बिपिनचंद्र पाल

‘राष्ट्रवाद के महानतम पुरोधाओं में एक’ इस प्रकार से वर्णित बिपिनचंद्र पाल, भारत के राजनैतिक इतिहास में लोकमान्य तिलक तथा लाल लाजपत राय के साथ किए गए सहयोग के कारण स्वतंत्रता संग्राम से जुड गए थे । Read more »

‘पुण्यश्लोक’ अहिल्याबाई होलकर

मराठों के इतिहास में अनेक पराक्रमी सरदार हुए हैं । उनमें से होलकर घराने की अहिल्याबाई का नाम आज भी अनेकों के मुखपर हैं । अहिल्याबाई को ‘पुण्यश्लोक’ भी कहा जाता है.. Read more »