‘इच्छाशक्ति, क्रियाशक्ति और ज्ञानशक्ति तथा राष्ट्र एवं धर्मकी स्थिति’ ।

‘इच्छाशक्तिके कारण ‘कुछ करना चाहिए’ ऐसी इच्छा उत्पन्न होती है । क्रियाशक्तिके कारण प्रत्यक्ष कृति करनेकी प्रेरणा मिलती है । कुछ करनेकी इच्छा उत्पन्न होने और प्रत्यक्ष कृति करनेके लिए ज्ञानशक्तिकी सहायता होनेपर ही योग्य इच्छा उत्पन्न होती है जिसके परिणामस्वरूप योग्य कृति होती है । अन्य पंथियोंको उनकी साधनाके कारण ज्ञानशक्ति सहायता करती है । हिंदु साधना नहीं करते इसलिए उन्हें ज्ञानशक्तिकी सहायता नहीं मिलती है । इस कारण मध्यके कुछ वर्ष छोडकर पिछले सहस्र वर्षोंसे उनकी पराजय हो रही है । हिंदुत्ववादी संगठन और राजकीय पक्षोंमें इच्छाशक्ति एवं क्रियाशक्ति है; परंतु साधनाके अभाववश हिंदु अभी भी हार रहे हैं । इसका उपाय यही है कि हिंदुओंको ज्ञानशक्ति प्राप्त हो, इसलिए उनसे साधना करवानी होगी । सनातन संस्था एवं हिंदु जनजागृति समिति इस संदर्भमें प्रयासरत हैं ।’

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