श्रीनगर : लद्दाख क्षेत्र में बार-बार घुसपैठ करने वाली चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक अब नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लगती कश्मीर की अग्रिम चौकियों पर भी दिखने लगे हैं । पीएलए की इन गतिविधियों ने सुरक्षा क्षेत्र में हलचल बढा दी है ।
गत तीन महीनों से कश्मीर में पीएलए ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी है । गत दिनों पीएलए के अधिकारियों और सैनिकों का दल पाकिस्तानी सैनिकों के साथ उत्तरी कश्मीर में नौगाम-कुपवाडा विभाग के सामने कश्मीर के अग्रिम क्षेत्र में देखा गया है । कुछ समय पहले टंगडार क्षेत्र में भी चीनी सैनिकों को एलओसी के साथ निकट क्षेत्र में घूमते देखा गया था ।
कश्मीर में चीनी सैनिकों की उपस्थिति २०१२ से देखी जा रही है । परंतु पहले इनकी गतिविधियां केवल गिलगित-बाल्टिस्तान तक ही सीमित थीं । वहीं २०१५ के बाद पीएलए ने कश्मीर के अन्य क्षेत्र में भी अपनी गतिविधियों का विस्तार किया । भारत सरकार ने कई बार कश्मीर में चीनी सेना की उपस्थिति पर आपत्ति दिखार्इ । परंतु पाकिस्तान और चीन सदैव इसे नकारते रहे हैं । इनका हेतु रहा है कि, ४६ बिलियन डालर की मूल्य वाले चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कारीडोर परियोजना की निगरानी के लिए इंजीनियरों के अलावा अन्य संबधित स्टाफ ही कश्मीर में आ-जा रहे हैं ।
सुरंगें बना रहे हैं चीनी सैनिक !
सूत्रों के अनुसार, चीनी सैनिकों द्वारा कश्मीर में लीपा घाटी में सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है । इसके साथ एक मार्ग भी तैयार कीया जा रहा है, जो ग्वादर बंदरगाह को कश्मीर के रास्ते काराकोरम हाईवे और जियांग को जोेडेगी । साथ ही चीन की जिहोबा ग्रुप ऑफ कंपनी लिमिटेड कश्मीर में झेलम-नीलम दरिया पर ९७० मेगावाट की जलविद्युत परियोजना तैयार कर रही है ।
३० हजार सैनिकों की तैनाती की तैयारी
बताया गया है कि, चीनी सैनिक कश्मीर में अपने लिए ऑपरेशन ढांचा तैयार करने के साथ तीन सैन्य प्रभागों का भी गठन कर रहे हैं । इन प्रभागों में लगभग ३० हजार चीनी सैनिक होंगे । इनकी कश्मीर में स्थायी तौर पर तैनाती होगी । तीनों प्रभागों का नाम कश्मीर और पाकिस्तान प्रशासन के साथ बातचीत के आधार पर तय किया जाएगा । संभवतः यह कश्मीर से ही जुडे किसी नए सुरक्षा तंत्र पर हो, ताकि भारत की आपत्ति को नकारा जा सके । इन प्रभागों की मुख्य जिम्मेदारी कश्मीर में चीन के व्यापारिक, आर्थिक और सामरिक हितों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना होगा ।
संदर्भ : नई दुनिया