४० वर्ष से कम आयु के युवक हो रहे है जिहादी गतिविधीयोंमें सम्मिलित !
इन दिनो देश के विभिन्न भागों में राष्ट्रीय सुरक्षा यंत्रणा व भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आतंकवादियों की खोजबीन के लिए छापे मारे जा रहे हैं, जिसमें अपेक्षित सफलता भी मिली है और कई आतंकी पकडे गए है किंतु इन सब में एक गंभीर बात उभर कर सामने आई है |
वह यह है कि ‘कट्टरपंथ और जिहाद’ के इस जाल में फंसने वाले ज्यादातर मुसलमान युवा ही हैं | राष्ट्रीय सुरक्षा यंत्रणा एवं सुरक्षा एजेंसियों की टीम ने पहले दिन पहले छापे मारकर जिन लोगो को गिरफ्तार किया था उनमें इन सभी की उम्र 42 वर्ष से अंदर की है और यही हाल पकड़े गये लगभग अन्य संदिग्धों का है जो बेहद कम उम्र के हैं |
महाराष्ट्र के मुंब्रा थाने का मुदब्बीर मुस्ताक शेख, हैदराबाद का मोहम्मद नसीफ खान व शरीफ मोइनुद्दीन खान, मंगलुरू का नजमल हुदा और बेंगलुरू का मोहम्मद अफजल ये सब ४० वर्ष के आसपास या उससे भी कम के हैं |
उसके फिर एक दिन बाद ४ राज्यो में छापे मारकर जिन लोगो को बन्दी बनाया गया उनमें लखनऊ से मोहम्मद आलम (२० वर्ष ), कर्नाटक से सैयद मुजाहिद (३३ वर्ष ),आसिफ अली (२१ वर्ष ), सुहैल अहमद (२३ वर्ष ) ,मोहम्मद अब्दुल अहमद (४६ वर्ष ) तो आंध्र प्रदेश से मोहम्मद ओबेदुल्ला खान (३३ वर्ष ),अब्बु अनस (२४ वर्ष ) महाराष्ट्र से मोहम्मद हुसैन (३६ वर्ष ), इमरान मोयज्जम खान पठान (३२ वर्ष ) के हैं |
इसके बाद फिर कश्मीर से पकड़े गए आतंकियो में से इश्फाक अहमद, एजाज अहमद , आकिब बशीर और गाजी फयाज अहमद सभी की उम्र ३५ वर्ष से नीचे है |
उसके बाद पिछले साल २०१५ में जिनकी गिरफ्तारी हुई थी उनमें आरिफ मोहम्मद खान (सिविल इंजियनीरिंग 24 वर्ष ) ,फहद शेख ,अमन टांडेल (दोनो ही मैकेनिकल इंजियनरिंग २५ वर्ष ) शाहिन (२१ वर्ष ), मोहम्मद सिराजुद्दीन (३५ वर्ष ), आफ्शजबीन (२८ वर्ष) उसके बाद जामिया मिलिया इस्लामिया के दो छात्र जो पकड़े गए उनमे रेहान (दिल्ली ) और सरजिल (संभल ,उप्र ) दोनों युवा हैं |
देश की खुफिया एजेंसियो के अनुसार ईराक में जो लोग मारे गए हैं उनमें से मोहम्मद उमर सुभान (बेंगलुर कर्नाटक , मौलाना अब्दुल कादिर सुल्तान (भटकल ,कर्नाटक ),सहीम फारूक टांकी (ठाणे,महाराष्ट्र ), फैज मसूद (बैंगलोर ,कर्नाटक ) ,मोहम्मद साजिद (आजमगढ़, उप्र ) और आतिफ वसीम मोहम्मद (आदिलाबाद ,तेलांगना ) इन सभी की उम्र भी ३५ वर्ष से नीचे है |
अब जिन लोगो को बन्दी बनाया गया है उनमें मुदब्बिर मुश्ताक शेख इस्लामिक स्टेट के भारतीय प्रमुख के जनूद- उल- खलीफा-ए-हिंद है तो कुशीनगर का रिजवान नायब अमीर यानी उप प्रमुख है, मंगलुर का नजमुल हुदा ISIS का अमीर–ए–असकारी यानी बटालियन कमांडर है तो बिहार का मोहम्मद नसीफ खान अमीर -ए -वयुलत यानी वित्तीय मामलो का प्रमुख है |
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पकडे गए इन आतंकियों की आयु के आंकडो को देखकर तो यही लग रहा है कि इस्लामिक जिहाद में फंसने वाले ज्यादातर मुसलमान युवा ही हैं जो कट्टरपंथियों के बहकावे में फंस रहे हैं |
यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि जिहादियों की इन फौजों में वृद्ध या उम्रदराज मुसलमानोंकी संख्या बहुत कम है जिसका अर्थ है कि एक सुनियोजित मार्ग से मुसलमान युवाओं का ब्रेनवाश किया जा रहा है जो यह इंगित करता है कि नई पीढ़ी के युवा कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं |
भारतीय प्रशासन एवं सुरक्षा एजेंसियों को ना ही केवल एक देशव्यापी खोज अभियान चलाने की आवश्यकता है अपितु आने वाले समय में ऐसे लोगों को जिहाद के जंजाल में फंसने से बचाया जा सके इसके भी उपाय करने होंगे |
ये तो केवल भारतीय आंकडे थे पर यदि हम इसी का वैश्विक रूप से अध्ययन करें तो भी हम पायेंगे कि दुनिया भर में होनी वाली आतंकी घटनाओं में संलिप्त मुसलमान युवा भी ३०-३५ वर्ष की आयु के आसपास के ही हैं | उदाहरण स्वरूप अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत स्थित सान बर्नांदिनो में हमला करने वाले पाकिस्तानी दंपत्ति की उम्र २६ वर्ष के आसपास थी, इसी तरह चर्चित पेरिस आतंकी आक्रमण के हमलावरों की भी उम्र ३० वर्ष के आसपास ही थी |
स्त्रोत : रिव्होल्टप्रेस हिन्दी