स्कूलों में बंद हो भजन, योग और सूर्य नमस्कार, कमजोर हो रहा इस्लाम : कश्मीर में उलेमा की मांग

वैसे देखा जाए तो कश्मीर में मुसलमानों के पहुंचने से पहले वह हिन्दू धर्म का ज्ञानपीठ था, परंतु मुस्लिम आक्रांताआें ने वहां के हिन्दू मंदिर, धर्मपीठों को ध्वस्त कर वहां अपना राज्य बसाया था । इसीलिए हिन्दू समाज ने यह मांग करनी चाहिए की कश्मीर में अब इन लोगों की मनमानी नहीं चलेगी । – संपादक, हिन्दुजागृति

जम्मू कश्मीर में इस्लामी मजहब संगठनों के एक समूह ‘मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (MMU)’ ने सरकार और शिक्षा विभाग से स्कूलों में ‘भजन और सूर्य नमस्कार’ को रोकने की माँग की है। मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा का मानना है कि भजन और सूर्य नमस्कार से मुस्लिमों की मजहबी भावना और जम्मू कश्मीर की मुस्लिम पहचान कमजोर हो रही हैं।

शनिवार (24 सितंबर, 2022) को आयोजित एक बैठक के बाद एमएमयू के एक प्रवक्ता ने कहा हिंदू भजन और सूर्य नमस्कार से संबंधित आदेश मुसलमानों की मजहबी भावनाओं को आहत करते हैं और उनमें पीड़ा पैदा करते हैं। संगठन ने दावा किया कि स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिम छात्रों को भजन गाने के लिए कहकर जम्मू कश्मीर की मुस्लिम पहचान को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।

इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर यह भी कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से लागू की जा रही गतिविधियों पर एमएमयू को खेद है। उलेमाओं ने कहा कि योग और सुबह की प्रार्थना के नाम पर मुस्लिम छात्रों को भजन करने के लिए कहा जाता है और कई बार सूर्य नमस्कार करने के लिए भी कहा जाता है। उन्होंने दावा किया कि यह मान्यता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

एमएमयू ने यह भी कहा कि इस बैठक से उन्हें सरकार और शिक्षा विभाग को यह सूचित करना है कि जम्मू कश्मीर में मुस्लिमों द्वारा इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह उनकी मजहबी और इस्लामी मान्यताओं के लिए एक सीधी चुनौती है। एमएमयू ने सरकार से अपने आदेश तुरंत वापस लेने और ‘भजन व सूर्य नमस्कार’ को रोकने की अपील की है।

एमएमयू की ओर से अभिभावकों को सूचित करते हुए कहा गया, “यदि आपके बच्चों को सरकारी स्कूलों में गैर-इस्लामिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए मजबूर किया जाता है, तो बच्चों को वापस बुला कर प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन कराना चाहिए। हम मुस्लिम शिक्षकों से इस तरह की गैर-इस्लामी गतिविधियों को बढ़ावा देने से बचने और उनके विश्वास को बढ़ावा देने का आग्रह करते हैं।”

दरअसल, यह विवाद तब शुरू हुआ जब दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में स्कूली बच्चों का ‘रघुपति राघव राजा राम’ भजन गाते हुए का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो के सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत कई मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई थी। महबूबा मुफ्ती ने स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में योग और भजन को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर ‘जम्मू-कश्मीर में हिंदुत्व के एजेंडे’ को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था।

वहीं, इस पूरे मामले पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर में कट्टरवाद को पनपने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जो हो रहा है उसमें कुछ भी नया नहीं है और जो लोग भजनों पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें पहले भजन सुनना चाहिए और फिर बयान देना चाहिए।

संदर्भ : ऑपइंडिया

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​