- ‘जहां महाराष्ट्र के किलों की गिरती हुई स्थिति और किलों के हो रहे इस्लामीकरण को देखा जाए, तो क्या पुरातत्त्व विभाग ही अब इतिहास बन चुका है ?, ऐसा किसी को लगा, तो उसमें आश्चर्य कैसा ? – संपादक
- छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में ही किलों की दुःस्थिति होना अबतक के सर्वदलीय शासनकर्ताओं के लिए लज्जाप्रद ! – संपादक

मुंबई : मुंबई के दक्षिण बाजु के अग्र पर स्थित वांद्रे किले की आधे से भी अधिक तटबंदी (सीमा) गिर चुकी है । इस तटबंदी का समय रहते ही नवीनीकरण नहीं किया गया, तो किले की संपूर्ण सीमा गिर जाने की संभावना है । किले का कुछ निर्माणकार्य तो संपूर्णतः गिर चुका है । यदि ऐसी ही स्थिति रही, तो भविष्य में किलों के अन्य दीवारों की भी गिरने की संभावना है । पुरातत्त्व विभाग के अधीन प्राचीन संरक्षित स्मारक के रूप में यह किला जाना जाता है । यह किला समुद्र से लगकर ही होने के कारण समुद्री लहरों के कारण भी इस किले के निर्माणकार्य को हानि पहुंची है; परंतु कुछ वर्ष पूर्व किले के बाहर निर्माण किए गए संरक्षित कठघरे के कारण आज के समय में समुद्री लहरों से इस किले की रक्षा हो रही है ।
१. वर्ष २००३ में ‘वांद्रे बैंड स्टैंड नागरिक न्यास’ की ओर से वांद्रे किले के नवीनीकरण के लिए प्रयास किए गए । उसके उपरांत तत्कालीन स्थानीय सांसद शबाना आजमी ने अपने सांसद कोष से कुछ धनराशि किले के संवर्धन के लिए आवंटित की । कांग्रेस की सांसद प्रिया दत्त भी इसी लोकसभा चुनावक्षेत्र से चुनकर आई । विधानसभा में भाजपा विधायक आशीष शेलार के चुनावक्षेत्र मेंय यह किला आता है ।
२. कुछ वर्ष पूर्व मुंबई महानगरपालिका में जब इस किले के नवीनीकरण का विषय चर्चा में आया था; परंतु वास्तव में नवीनीकरण का काम अभीतक आरंभ नहीं हुआ है ।
३. किले पर आनेवाले प्रेमीजोडों ने किले के दीवारों पर अपने नाम लिखने से किले की दीवारें विरूप हुई हैं । यह किला पुरातत्त्व विभाग के अधीन होते हुए भी यहां कहीं पर भी पुरातत्त्व विभाग का फलक नहीं लगाया गया है । किले की क्षति अथवा विरूपीकरण न हो; इसके लिए आवश्यक सूचनाएं भी नहीं लगाई गई हैं ।
४. यह किला मुंबई के अरब सागर का अथांग दर्शन करने के लिए एक पर्यटनस्थल के रूप में विकसित हो सकता है; परंतु सरकार और पुरातत्त्व विभाग से इस किले की उपेक्षा होने से प्रतिदिन यह किला गिरता जा रहा है ।
वांद्रे किले का इतिहास
वर्ष १६४० में पोर्तुगीजों ने यह किला बनाया । मुंबई के दक्षिणी सिरे पर अरब सागर की बाजू में एक ऊंची खडक पर इस किले का निर्माण किया गया है । इस किले का परिसर बहुत बडा नहीं है; परंतु इस किले से देखने पर माहिम के परिसरसहित अरब सागर का संपूर्ण क्षेत्र दृष्टि की कक्षा में आता है; इसलिए सामरिक दृष्टि से यह किला महत्त्वपूर्ण है । वर्ष १६६१ में पोर्तुगीजों ने ब्रिटिशों को यह किला भेंट किया । यह किला आगे जाकर मराठों के नियंत्रण में गया, तो अंग्रेजों के राज्य के लिए संकट उत्पन्न हो सके; इसके लिए अंग्रेजों ने यह किला कुछ मात्रा में ध्वस्त किया था, ऐसा बताया जाता है ।