- समय रहते ही नवीनीकरण न होने से गिर रहा है किला !
- और उपेक्षा हुई, तो बुर्ज का निर्माण नामशेष होने की संभावना !
गिर रहा शीव किले का बुर्ज
मुंबई : पुरातत्त्व विभाग के मुंबई मंडल कार्यालय की बाजू में ही स्थित शीव किला बडी मात्रा में गिर रहा है । समय रहते ही नवीनीकरण न किए जाने से इस किले की यह दुःस्थिति है । इस किले की और उपेक्षा हुई, तो किले का निर्माणकार्य गिर जाने की संभावना है । दुर्भाग्य की बात यह कि पुरातत्त्व विभाग के कार्यालय की बाजू में ही यह किला होते हुए भी यह किला संपूर्णरूप से उपेक्षित है । कुल मिलाकर इस किले की स्थिति देखी जाए, तो पुरातत्त्व विभाग की ओर से यह ऐतिहासिक वास्तु टिकी रहे, इसके लिए प्रयास होते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं ।
१. शीव का यह किला पुरातत्त्व विभाग के अधीन प्राचीन संरक्षित स्मारक है ।
२. शीव (सायन) की एक ऊंचाईवाली टीले पर एक बडा बुर्ज बनाया गया है । यह टीला इतना ऊंचा है कि यहां से मुंबईसहित ठाणे जनपद का परिसर भी दिखाई देता है ।
३. बुर्ज के अंदर ६ कक्ष हैं, तो किले पर प्राचीन तोप पडी हुई है । किले पर पानी का संग्रह करने के लिए १५ फीट गहराईवाला तालाब है । शत्रु पर ध्यान रखने के लिए किले पर खिडकियां हैं ।
४. किले के इर्द-गिर्द विविध वृक्षों का घना अरण्य है । यह टीला प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न है तथा इस परिसर के नागरिक प्रातःकाल में यहां व्यायाम करने के लिए आते हैं, साथ ही छुट्टी के दिन कई पर्यटक और छात्र यहां आते हैं ।
जो वास्तु है, उसे टिकाए रखने का भी प्रयास नहीं !
किलाप्रेमियों की निरंतर मांग पर वर्ष २००९ में इस किले के नवीनीकरण का काम हाथ में लिया गया था; परंतु धनराशि के अभाव में यह काम बंद किया गया । उसके उपरांत पुरातत्त्व विभाग और सरकार ने इस किले की उपेक्षा की । उसके फलस्वरूप जुलाई २०२१ में किले के बुर्ज की दीवारें गिर गईं । आज के समय में किले का सभी प्रकार का निर्माणकार्य गिर गया है । किले पर आनेवाले प्रेमीजोडों ने किले की दीवारों पर अपने नाम लिखने से किले की दीवारें विरूप हुई हैं । यहां आवश्यक सूचनाओं का फलक भी नहीं लगाया गया है । तोप जैसी ऐतिहासिक वस्तुओं का महत्त्व ध्यान में लेकर उसकी जानकारी का फलक भी यहां लगाया नहीं गया है ।
शीव किले की जानकारी
मुंबई टापू जब पोर्तुगीजों के अधीन था, तब बाजू के प्रदेश पर ध्यान रखने के लिए उन्होंने वर्ष १६६९ से १६७७ की अवधि में शीव किले का निर्माण किया । आजे जाकर जब ब्रिटीशों ने यह किला अपने नियंत्रण में लिया, तब मुंबई के तत्कालीन गर्वनर गेराई ऑगियर ने इस किले का पुनर्निर्माण किया । इस किले का सामरिक महत्त्व ध्यान में लेकर ब्रिटिशों ने यहां अपना सैन्यशिविर बनाया था । इस किले की रक्षा के लिए ब्रिटिशों का एक सेनाधिकारी और ३१ सैनिक स्थाईरूप से इस सेवा में थे ।