दक्षिण भारत में ‘इस्लामी खिलाफत’ चाहता था अल-हिंद का आतंकी : NIA की चार्जशीट

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) के अल-हिंद मॉड्यूल से जुड़े एक आतंकवादी के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है। इससे पता चला है कि आतंकवादी ने दक्षिण भारत में ‘इस्लामी खिलाफत’ स्थापित करने की कोशिश में था। इस मामले में एनआईए की ओर से दायर यह दूसरी चार्जशीट है। एजेंसी द्वारा पहली चार्जशीट जुलाई 2020 में चेन्नई में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष दायर की गई थी।

टाइम्स नाउ का दावा है यह चार्जशीट उसके पास है। इसमें बताया गया है कि आईएसआईएस आतंकवादियों ने बेंगलुरु को बेस के रूप में चुना था। 2019 से कर्नाटक और तमिलनाडु में साजिशों को लेकर कई बैठकें की थी। प्रतिबंधित आतंकवादी समूह ISIS की विचारधारा का प्रचार करने में लगा था। पुलिस अधिकारियों और हिंदू नेताओं की हत्या के लिए हथियारों और विस्फोटकों को इकट्ठा करने की साजिश रची गयी। एनआईए का कहना है कि आरोपित ने एक अज्ञात आईएसआईएस हैंडलर के साथ साजिश रची थी।

3 सितंबर को दायर चार्जशीट में चेन्नई निवासी 39 वर्षीय शिहाबुद्दीन (उर्फ सिराजुदीन और खालिद) के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी, आर्म्स एक्ट 1959 की धारा 25(1)(ए) और गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम 1967 की धारा 18, 20, 38 और 39 के तहत आरोप लगाए गए हैं। शिहाबुद्दीन को एनआईए ने जनवरी 2021 में स्पेशल सब-इंस्पेक्टर ए विल्सन की नृशंस हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। एनआईए के मुताबिक, आईएसआईएस आतंकवादी शिहाबुद्दीन मुंबई में हथियार और गोला-बारूद इकट्ठा करने और आपूर्ति करने में एक बड़ी साजिश का हिस्सा था।

जनवरी 2020 में तमिलनाडु के पुलिस अधिकारी एसएसआई विल्सन को मारने के लिए शिहाबुदीन और उसके सहयोगियों द्वारा बन्दूक और गोला-बारूद का इस्तेमाल किया गया था। एसएसआई को मारने के बाद शिहाबुद्दीन कतर भाग गया था। 6 जनवरी, 2021 को कतर से आने पर उसे एनआईए द्वारा चेन्नई हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था।

एसएसआई विल्सन की हत्या में शुरुआती जाँच से पता चला था कि उसके हत्यारे ‘स्व-घोषित जिहादी’ थे, जिन्होंने जनवरी 2020 में बेंगलुरु में तमिलनाडु पुलिस द्वारा अपने आईएसआईएस सहयोगियों की गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने विल्सन की नृशंस हत्या के सिलसिले में 6 आरोपित आईएसआईएस आतंकवादियों के खिलाफ चेन्नई में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया है। चार्जशीट में विल्सन हत्या मामले में अब्दुल शमीम, वाई तौफीक, खाजा मोहिदीन, महबूब पाशा, एजस पाशा और जफर अली को आरोपित बताया गया है। इन पर आईपीसी की धारा 120 बी, 302, 353 और 506 (ii) 34 के तहत आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा यूए (पी) एक्ट 1967 के तहत 16, 18, 18बी, 20, 23, 38 और 39 और आर्म्स एक्ट की धारा 25(1बी)(ए) और 27 के तहत आरोप लगाए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि बेंगलुरु में महबूब पाशा और 16 अन्य लोगों के खिलाफ सद्दुगुंटेपल्या पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। बेंगलुरु के गुरप्पनपाल्या के रहने वाले महबूब पाशा और खाजा मोइदीन, जो तमिलनाडु में विभिन्न आतंकवाद और हत्या के मामलों में आरोपित है, ने दक्षिण भारत में युवा मुस्लिमों की भर्ती करके एक आतंकवादी समूह का गठन किया। एनआईए ने 23 जनवरी, 2020 को मामला फिर से दर्ज किया था और 1 फरवरी को तमिलनाडु पुलिस से मामला अपने हाथ में ले लिया था। जाँच से पता चला कि आरोपितों ने अल-हिंद मॉड्यूल का गठन किया था और अप्रैल 2019 में बेंगलुरु को अपने बेस के रूप में चुना था।

चार्जशीट में यह भी कहा गया कि पुरुषों को जंगलों में जीवनयापन करने और हिंदू नेताओं और सरकारी अधिकारियों का शिकार करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। आरोपितों ने आतंकवादी हमले को अंजाम देने के बाद शरण लेने के लिए कोलार, कोडागु और अन्य स्थानों (कर्नाटक), जंबुसर (गुजरात), रत्नागिरी (महाराष्ट्र), चित्तूर (आंध्र प्रदेश), बर्दवान और सिलीगुड़ी आदि स्थानों पर सुरक्षित ठिकानों की पहचान की। जाँच के क्रम में आरोपितों के घरों और संपत्ति से प्रशिक्षण सामग्री जैसे धनुष, तीर, रस्सी की सीढ़ी, पानी की चरखी, जंगल के जूते, स्लीपिंग बैग, टेंट, जंबो बैग आदि जब्त किए गए। इसके साथ ही आरोपित व्यक्तियों के पास से बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री भी जब्त किए गए।

ऑनलाइन भर्ती की कोशिश

इसके अलावा एनआईए ने 25 आईएसआईएस संदिग्धों की भी पहचान की है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे अफगानिस्तान में हैं और अफगानिस्तान संकट के बाद जिहाद के लिए भारतीयों को ऑनलाइन भर्ती करने का प्रयास कर रहे हैं। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “बेंगलुरू आईएसआईएस मॉड्यूल में विदेशी हैंडलर की पहचान अभी तक नहीं हुई है। उनके चैट में उसका नाम ‘भाई’ है।”

संदर्भ : OpIndia

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