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जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में ‘विनायक दामोदर सावरकर मार्ग’ वाले बोर्ड को फिर से ठीक कर दिया गया है, जिसके साथ वामपंथियों ने आपत्तिजनक हरकतें की थी। तब तक इस मार्ग का सिर्फ़ मौखिक रूप से विरोध होता दिख रहा था। लेकिन रात भर में ये मामला ओछी हरकतों पर पहुंच गया। पहले मालूम चला कि इस मार्ग के बैनर पर जहाँ वीर सावरकर मार्ग लिखा था, वहाँ उनका नाम छिपाकर उसके ऊपर बड़ा-बड़ा बीआर अंबेडकर लिख दिया गया और बाद में उस पर भी कालिख पोत दी गई और वहाँ सीधे जिन्ना की तस्वीर चस्पा दी गई। जिस पर मोहम्मद अली जिन्ना मार्ग लिखा था।
स्त्रोत : OpIndia
१७ मार्च
जेएनयू में वामपंथी छात्रोंद्वारा सावरकर मार्ग के बोर्ड पर कालिख पोतकर लगाए गए मोहम्मद अली जिन्ना मार्ग के पोस्टर
नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में एक सडक का नाम सावरकरजी पर रखे जाने के बाद कल रात वामपंथी छात्रों ने सावरकर मार्ग वाले बोर्ड पर मोहम्मद अली जिन्ना मार्ग के पोस्टर चिपकाए, साथ ही उसका नाम बी. आर. आंबेडकर लिख दिया ।
We can never ever accept apologists and stooges of the British who undermined our secular fabric. Let's respect those who gave us our constitution. #NoToSavarkar pic.twitter.com/kSKGaNppX5
— Aishe (ঐশী) (@aishe_ghosh) March 16, 2020
बता दें कि, विश्वविद्यालय के वामपंथी छात्र संघ ने प्रशासन के इस निर्णय पर आपत्ति जताई थी। जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष ने ट्वीट कर लिखा, ‘सड़क के नामकरण जैसा सम्मान उन्हें दिया जाना चाहिए जिन्होंने देश को संविधान दिया।’
बीते साल 13 नवंबर को इस का नाम वी डी सावरकर मार्ग रखने का निर्णय लिया गया था।
वामपंथियों के इस कृत्य का सोशल मीडिया के माध्यम से राष्ट्रप्रेमी विरोध कर रहे है । साथ ही ऐसा करनेवालों पर कठोर कार्यवाही की मांग भी की जा रही है !
JNU 'students' deface V D Savarkar Marg signboard, put up 'Mohammad Ali Jinnah Marg' poster https://t.co/xD8YT3Yct0
— Praveen Upadhyaya (@PraveenraoU) March 17, 2020
Jinnah is the representative of the mass murders in India during the partition…Savarkar killed nobody, he is the epitome of sacrifice: @VishalVSharma01, Political Analyst tells TIMES NOW over the vandalisation of Savarkar's signboard in JNU. pic.twitter.com/nzMsNog1u5
— TIMES NOW (@TimesNow) March 17, 2020
Few hours after a road was named after Veer Savarkar, commie goons have shown their true colors.
The board was defaced with black paint and a poster with a photo of Mohd. Ali. Jinnah, responsible for millions of death, was put up.
Is this the #JinnahWaliAazadi? pic.twitter.com/2dYiaL2nK7— ABVP JNU (@abvpjnu) March 17, 2020
Anti social elements who vandalised the name of Veer Savarkar must be punished. First they vandalised Vivekananda statue, then Veer Savarkar. JNUTF strongly condemns such vandalism. pic.twitter.com/BJ143GkboC
— JNU Teachers' Federation (@jnutf19) March 17, 2020
So 'Liberals' have defaced the board which was written as V D Savarkar Marg in JNU & have renamed it after Jinnah
It's suspected that @nsui cadre, leftists like @aishe_ghosh are behind this insult to Veer Savarkar.
Why these people shouldn't be deported to Jinnah's Pakistan ? https://t.co/uTAKZv1wKG
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) March 17, 2020
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में जेएनयू में एक रोड का नाम बदलकर हुआ वि।दा। सावरकर मार्ग
JNU के राष्ट्रभक्त छात्रों का अभिनंदन !
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारत की महान विभूतियों के नाम पर भवनों के अथवा मार्गों के नाम रखने की शृंखला में एक और नाम जुड़ गया है स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर मार्ग। इससे पूर्व भारतरत्न बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी के नाम पर पुस्तकालय का नाम रखा जाना हो या महान गणितज्ञ आर्यभट्ट, महान शल्य चिकित्सक सुश्रुत, भारत की समन्वयवादी परम्परा के आचार्य अभिनव गुप्त जी एवं भारतरत्न पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी जैसे भारत के गौरवों के नाम पर मार्गों का नामकरण हो। निसन्देह स्तुत्य एवं सराहनीय कार्य है। ऐसा पुनीत कार्य भारत के विश्वविद्यालयों में जहां भारत के भविष्य की पटकथा लिखी जाती हो, संस्कार निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विश्व के अन्य शीर्ष विश्वविद्यालयों के नाम भी उस देश विशेष के किसी न किसी व्यक्ति, स्थान अथवा परम्परा को ही द्योतित करते हैं। वस्तुतः भारतीय परम्परा में नामकरण केवल अभिधान के लिए नहीं होते अपितु जिस नाम पर सम्बन्धित व्यक्ति का नाम रखा जाता है, उसमें उस नाम के गुण, वैशिष्ट्य की भी साकार अभिव्यक्ति की अपेक्षा रहती है। यथा नाम तथा गुण:।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक लंबे समय तक वामपंथी विचारधारा का प्रभाव रहा। कॉन्ग्रेस ने खुद को सत्ता में बनाए रखने के लिए कम्यूनिस्टों को शिक्षा का दारोमदार सौंप दिया। इसके बाद शुरु हुई भारतीयता को अपमानित करने की प्रथा। जिन कम्यूनिस्टों ने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भारत की वादा खिलाफी की, भारतीय महापुरुषों को अपमानित करने का कार्य किया, कभी सुभाष बाबू को तोजो का कुत्ता तो कभी कवींद्र रवींद्र को माघीर दलाल जैसे अपशब्दों से सम्बोधित किया, उन कम्यूनिस्टों के हाथों में भारत की शिक्षा व्यवस्था वास्तव में भारतीयता को समाप्त करने का ही कुचक्र था।
कम्यूनिस्टों द्वारा भारतीय महापुरुषों को अपमानित करने का ताजा उदाहरण दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में स्वाधीनता सेनानियों को ‘आतंकवादी’ कहने का ही दुस्साहस था, जो कि बाद में अभाविप एवं देश के प्रबुद्ध नागरिकों की आपत्ति व न्यायिक लड़ाई के बाद सुधारना पड़ा। ऐसे ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में विवेकानंद जी की प्रतिमा को नष्ट करने का प्रयास भी कम्यूनिस्टों की इसी गर्हित मानसिकता को प्रकट करता है।
यह एक विडंबना ही कही जाएगी कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ कार्यालय में भी भारतीय महापुरुष विवेकानंद आदि जी का चित्र भी तभी लगाया जाता है, जब ABVP JNUSU में चुनकर आती है। उससे पूर्व वहां मार्क्स, लेनिन, स्टालिन आदि मानवता के हत्यारों को स्थान दिया जाता है, किंतु भारतीयता के अग्रदूतों को नहीं।
यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि मानवता का हत्यारा एवं अनेकों महिलाओं के साथ बर्बरता करने वाला चे ग्वेरा तो कम्यूनिस्टों का रोल मॉडल बनता है किन्तु राष्ट्र की स्वाधीनता के लिए जीवन में दो बार आजीवन कारावास की सजा पाने वाले एवं समरस भारत के स्वप्नद्रष्टा वीर सावरकर इनकी कुंठा के शिकार।
स्वाधीनता के उपरांत अपने ही देश में जितना अपमान वीर विनायक दामोदर सावरकर जी को झेलना पड़ा शायद ही किसी अन्य महापुरुष को ऐसा अपमान झेलना पड़ा हो। एक ऐसे महापुरुष जिनका सम्पूर्ण परिवार ही स्वाधीनता आन्दोलन के लिए समर्पित रहा।
आज जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक मार्ग का नाम सावरकर जी के नाम पर रखा जाना निसन्देह एक दूरदर्शितापूर्ण कदम है। यह कदम उस स्थान पर अत्यावश्यक हो जाता है, जहां बैठकर स्वतन्त्रता उपरांत एक खास इतिहासकारों के वर्ग ने भारतीय मूल्यों को धूलि-धूसरित करने का कार्य करते हुए इतिहास की मनगंढ़त व्याख्या हमारे समक्ष रखी। जहां बैठकर औरंगजेब का महिमामंडन एवं दाराशिकोह को नेपथ्य में रखा गया। जहां फिदेल कास्त्रो का तो गुणगान किया गया किन्तु महामना, स्वामी दयानंद, स्वामी श्रद्धानंद एवं तिलक आदि के स्वाधीनता आन्दोलन के प्रयासों को भुला दिया गया। ये वही कम्यूनिस्ट थे जिन्होनें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की स्थापना के उपरांत वहां दशकों तक संस्कृत केंद्र तक नही खुलने दिया।
संस्कृत केंद्र जब अभाविप के दीर्घकालिक संघर्ष के फलस्वरूप अटल जी के नेतृत्व वाली NDA सरकार में बन गया तो उसे स्कूल में परिवर्तित नहीं होने दिया। योग-संस्कृति और आयुर्वेद को JNU से कम्यूनिस्टों द्वारा धक्का मारने की बात की गई। ऐसे में भारत की महान विभूतियों के नाम पर विश्वविद्यालय के भवन अथवा मार्गों का नामकरण निश्चय ही भारत के भविष्य के कर्णधारों में भारतीयता के गौरव की चेतना विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम है। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन साधुवाद का पात्र है।
जेएनयू एग्जिक्यूटिव काउंसिल की बैठक में कुछ दिनों से इस पर चर्चा हो रही थी। बीते साल 13 नवंबर को इस का नाम वी डी सावरकर मार्ग रखने का निर्णय लिया गया था।
बैठक में जेएनयू रोड को गुरु रविदास मार्ग, रानी अब्बाका मार्ग, अब्दुल हामिद मार्ग, महर्षि वाल्मिकि मार्ग, रानी झांसी मार्ग, वीर शिवाजी मार्ग, महाराणा प्रताप मार्ग और सरदार पटेल मार्ग नाम भी सुझाए गए थे। इन नामों पर विचार करने के बाद जेएनयू एग्जिक्यूटिव काउंसिल ने वीडी सावरकर मार्ग के नाम पर सहमति जताई।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की यह वर्षों पूर्व मांग थी, जो सफल हुई। अभी भी सावरकरजी के नाम पर विश्वविद्यालय में चेयर की स्थापना के प्रयास हों या विश्वविद्यालय में सावरकरजी की प्रतिमा लगवाने की बात हो, विद्यार्थी परिषद इस सकारात्मक वैचारिक आन्दोलन को निरंतर जारी रखेगी।
स्त्रोत : Opindia