
नई देहली : उत्तर पूर्वी देहली में हुई हिंसा के मामले में ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल एंड एकेडमिशियन (GIA) ने अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी को सौंप दी। इस रिपोर्ट में बेहद चौंका देने वाले खुलासे हुए हैं ! रिपोर्ट के अनुसार, ‘नॉर्थ ईस्ट देहली दंगा एक सुनियोजित षडयंत्र था। वामपंथी-जिहादी गुट की एक सुनियोजित तथाकथित क्रांति जिसे दूसरे जगहों पर दोहराने की साजिश रची जा रही है। शहरी नक्सल और जिहादी गुट के जाल ने इस दंगा की योजना रची और उसे अमली जामा पहनाया। पिछले कई वर्षों से मुस्लिम समुदाय में कट्टरता को जिस तरह से बढ़ाया गया वो दंगे की एक वजह रही है !’
A group of intellectuals submitted a report title 'Delhi Riots 2020' to the MHA.
1st on TIMES NOW | A group of intellectuals submitted a report title 'Delhi Riots 2020' to the MHA. The report suggests that the conspiracy was planned & has links to urban Naxals- Jihadi network.Listen in: TIMES NOW's Pranesh Kumar Roy takes us through the report.
Posted by TIMES NOW on Tuesday, March 10, 2020
नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर हुई हिंसा की शुरुआत
रिपोर्ट के अनुसार देहली में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोधी प्रदर्शनवाली जगहों से दंगे की शुरूआत हुई । सभी विरोध-प्रदर्शनों की जगहों पर महिलाओं को एक ढ़ाल की तरह उपयोग किया गया। घटना स्थलों पर चल रहे लगातार नारेबाजी की वजह से स्थानीय लोग काफी चिन्तित और भयभीत थे। सड़कों, गलियों और बाजारों के पास आयोजित प्रदर्शनों की वजह हमेशा वहां अफरा-तफरी का माहौल रहा। शाहीन बाग माडेल की वजह से भी एक तनाव जैसा माहौल बनता रहा !
जिहादी भीड ने चुन-चुन कर लोगों को निशाना बनाया
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, ये विरोध प्रदर्शन हिन्दू विरोधी, भारत-विरोधी, पुलिस-विरोधी और सरकार -विरोधी रहा है। जिहादी भीड ने टारगेट हत्याएं , चुन-चुन कर लोगों को लूटना और खास तबके की दुकानों को निशाना बनाया गया। दंगे के लिए हथियारों को पिछले कई दिनों से जमा किया जा रहा था। इन दंगों के तार विदेशी ताकतों से जुड़ी हुई है। जिस नृशंसता से आईबी आफिसर अंकित शर्मा और नेगी की हत्या की गई उससे यही लगता है कि, इन दंगाईयों के तार ISIS जैसे संगठनों से जुड़े हुए हैं !

ज्यादातर दंगाई बाहरी थे
रिपोर्ट के अनुसार, ‘हिन्दू- मुस्लिम समाज के नेताओं और पुलिस ने मिल-जुल कर इस दंगे को संभाला। महिलाओं को हिंसा की कई वारदातों का सामना करना पड़ा। पीड़ितों में ज्यादा तादाद अनुसूचित और जनजाति के लोगों की है। दंगाईयों की पहचान होना जरूरी है। ज्यादातर दंगाई बाहरी थे। पीड़ितों का कहना है।जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भी बढ़-चढ़ कर इस में हिस्सा लिया और वो लोगों को उकसाते हुए पाए गए। सीएए -विरोधी प्रदर्शन शुरूआत से ही हिंसक रहा। दंगों की शुरुआत से पहले कई थानों में हिंसक प्रदर्शन के मामले दर्ज हुए !’
स्त्रोत : झी न्यूज